इजरायल और ईरान की जंग में आखिरकार अमेरिका की एंट्री हो ही गई। अमेरिकी सेना ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट पर बमबारी की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर इसकी जानकारी दी। ईरान पर बमबारी करने के बाद उन्होंने लिखा कि 'अब शांति का समय है।'


इजरायल और ईरान के बीच 13 जून से जंग चल रही है। इजरायल का दावा है कि ईरान उसके अस्तित्व के लिए खतरा है, इसलिए जंग जरूरी है। इजरायल ने ईरान की न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाते हुए हमला किया था। बदले में ईरान ने भी इजरायल पर हमला कर दिया। इसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका से इस जंग में शामिल होने की मांग कर रहे थे। इजरायल चाहता था कि अमेरिका भी इसमें शामिल हो, क्योंकि ईरान की न्यूक्लियर साइट अंडरग्राउंड है और उन्हें सिर्फ अमेरिकी बमों से ही तबाह किया जा सकता है। अब ईरान पर इजरायल के हमले के लगभग 9 दिन बाद अमेरिका भी इस जंग में कूद गया है।


इससे पहले शुक्रवार को ट्रंप ने कहा था कि ईरान में ग्राउंड फोर्स भेजने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस जंग में शामिल होने का फैसला वे दो हफ्ते में लेंगे। हालांकि, शनिवार को ही अमेरिका ने ईरान पर बमबारी कर दी।

 

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अमेरिका ने कहां बरसाए बम?

अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट पर बमबारी की है। अमेरिका ने जहां बम गिराए हैं, उनमें फोर्दो, नतांज और इस्फहान शामिल है।


ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बहुत कामयाब हमला किया है, जिसमें फोर्दो, नतांज और इस्फहान शामिल है। सभी अमेरिकी विमान अब ईरान के एयरस्पेस से बाहर हैं। फोर्दो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया। सभी विमान सुरक्षित लौट रहे हैं। हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई। दुनिया में कोई और सेना नहीं है, जो ऐसा कर सकती थी। अब शांति का समय है।'

 


ईरान पर हमले के बाद ट्रंप राष्ट्र को संबोधित भी करने वाले हैं। ट्रंप ने कहा, 'यह अमेरिका, इजरायल और दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। ईरान को अब इस युद्ध को खत्म करने के लिए राजी होना चाहिए।'

 

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किन बमों का किया इस्तेमाल?

अमेरिका का सबसे अहम निशाना फोर्दो न्यूक्लियर साइट है। वह इसलिए, क्योंकि यह साइट जमीन में कई फीट नीचे तक बनी है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट जमीन से लगभग 200 फीट नीचे है। इजरायल के पास ऐसे बम नहीं हैं, जो यहां तक पहुंच सके। इसलिए इजरायल ने अमेरिका से मदद मांगी थी।


ट्रंप ने भी अपनी पोस्ट में बताया है कि फोर्दो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया है। फोर्दो न्यूक्लियर साइट ईरान के कोम शहर के पास है। ईरान की सरकारी मीडिया FARS ने बताया कि स्थानीय लोगों ने शहर के बाहर धमाकों की कई आवाजें सुनी हैं। 

 


CNN ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अमेरिकी सेना ने ईरान पर हमला करने के लिए B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया है। यह बहुत ही हाईटेक और रडार को चकमा देने वाले विमान हैं। यह विमान बंकरों और जमीन के नीचे मौजूद ठिकानों को तबाह करने के लिए 30 हजार पाउंड के 'बंकर बस्टर बम' को ले जा सकते हैं।


फॉक्स न्यूज ने बताया है कि अमेरिकी सेना ने ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर 6 बंकर बस्टर बम गिराए हैं। बताया जा रहा है कि नतांज और इस्फहान में हमले के लिए अमेरिका ने 30 टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल किया था।

 

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क्या इससे जंग और भड़केगी?

अमेरिका के इस जंग में कूदने से अब जंग और भड़कने का खतरा बढ़ गया है। माना जा रहा है कि अमेरिका का यह फैसला खतरनाक हो सकता है, क्योंकि ईरान ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका इस जंग में शामिल होता है तो वह जवाबी कार्रवाई करेगा।


ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने बुधवार को कहा था कि अगर ईरान पर अमेरिका का हमला होता है तो उन्हें बहुत गहरी चोट पहुंचाई जाएगी।


इजरायली सेना ने शनिवार को कहा था कि वह एक लंबे युद्ध की तैयारी कर रहा है। वहीं, ईरान के विदेश मंत्री इस्माइल बघेई ने चेतावनी दी थी कि अमेरिकी दखल से एक बड़े युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा था, अमेरिका का जंग में उतरना सभी के लिए बहुत खतरनाक होगा।


इतना ही नहीं, यमन के हूती विद्रोहियों ने भी अमेरिका को चेतावनी दी थी। हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन मिला है। हूती ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका हमला करता है तो लाल सागर में उनके जहाजों पर फिर से हमले किए जाएंगे। 


अल-जजीरा के मुताबिक, अमेरिकी हमले के बाद हूती नेता मोहम्मद अल-फराह ने कहा, 'यहां-वहां न्यूक्लियर साइट को तबाह करना युद्ध का अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है।' अल-फराह ने कहा कि अब 'हिट एंड रन' का समय चला गया है।