अभी कुछ दिन पहले खबर आई थी कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने पहली बार महिलाओं को संगठन से जोड़ने के लिए एक नई ब्रांच का गठन किया है। उस ब्रांच का नाम जमात-उल-मुमिनात रखा गया है। इस महिला ब्रांच में भर्ती बढ़ाने और धन जुटाने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म 'तुफात अल-मुमिनात' भी शुरू किया है। अब यह खबर आ रही है कि 8 नवंबर से हर दिन 40 मिनट के लिए इस कोर्स के तहत ट्रेनिंग दी जाएगी। इसकी जिम्मेदारी मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर और समायरा अजहर को दी गई है। इसमें आने वाली हर महिला से 500 पाकिस्तानी रुपये दान के तौर पर लिए जाएंगे।
सुरक्षा अधिकारियों के हिसाब से इस पहल के तहत JeM नेताओं के परिवार की महिला सदस्य, कोर्स में भाग लेने वाले मेंबर को जिहाद और इस्लाम के हिसाब से उनके कर्तव्यों के बारे में सिखाएंगी। आपको बता दें कि मसूद ने 8 अक्टूबर को बहावलपुर के मरकज उस्मान-ओ-अली में जमात-उल-मुमिनात के गठन की घोषणा की थी। 19 अक्टूबर को समूह ने महिलाओं को संगठित करने के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रावलकोट में दुख्तरान-ए-इस्लाम नाम का प्रोग्राम भी किया था।
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ISIS, हमास और लिट्टे जैसा संगठन
पाकिस्तान के रूढ़िवादी सामाजिक मानदंड को देखते हुए JeM ने महिलाओं की भर्ती के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का सहारा लिया है। पाकिस्तान में महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। सूत्रों की मानें तो इसका विचार ISIS, हमास और लिट्टे जैसे संगठन की तर्ज पर महिला फोर्स बनाना है। इनका इस्तेमाल खासकर फिदायीन या आत्मघाती हमलों के लिए किया जा सकता है। 500 रुपये की फीस यह भी दिखाती है कि कैसे पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन फाइनेनशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) के मानदंडों का पालन करने के इस्लामाबाद के दावे के बावजूद नए-नए तरीको से पैसे जुटाना जारी रखता है।
बहनों को दी कमांड
मसूद ने अपनी छोटी बहन सादिया अजहर को जमात-उल-मुमिनात का नेतृत्व करने को कहा है। सादिया का पति JeM कमांडर भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारा गया था। उसकी दूसरी बहन अफरीरा फारूक और पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड उमर फारूक की पत्नी भी इसमें शामिल हैं। उमर फारूक भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
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यह समूह अपने कमांडरों की पत्नियों और बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मनसेहरा में अपने सेंटर में पढ़ रही आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं की भर्ती पर ध्यान दे रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के बाद, JeM के चीफ को एहसास हुआ कि महिला सदस्यों का इस्तेमाल सुरक्षा जांच से बचने के लिए और आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए किया जा सकता है। यह सिलेबस इसी का हिस्सा है।
देवबंदी विचारधारा
जैश-ए-मोहम्मद परंपरागत रूप से देवबंदी विचारधारा से प्रेरित है। इसमें महिलाओं को सशस्त्र जिहाद में शामिल होने से रोकता रहा है। यह कदम ISIS, बोको हरम, हमास और लिट्टे जैसे समूहों द्वारा अपनाई गई रणनीतियों को दर्शाता है। इनमें से सभी ने पहले महिला लड़ाकों या आत्मघाती हमलावरों को तैनात किया है।