भारतीय मूल की अमेरिकी नेता क्षमा सावंत इस समय सुर्खियों में हैं। दरअसल, भारत के लिए उनका वीजा आवेदन तीन बार खारिज कर दिया गया। वहीं, उनके पति को बीमार मां से मिलने के लिए आपातकालीन वीजा मिल चुका है। क्षमा सिएटल सिटी काउंसिल की पूर्व सदस्य हैं। उन्होंने शुक्रवार को सिएटल में भारतीय वाणिज्य दूतावास पहुंचकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। दरअसल, क्षमा बेंगलुरु में अपनी बीमार मां को देखने के लिए आपातकालीन वीजा की अपील कर रही है लेकिन तीन बार उनका वीजा खारिज हो गया।
सावंत पहले सिएटल सिटी काउंसिल में काम कर चुकी हैं। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि उनके पति का वीजा अप्रूव हो गया है, जबकि उनका आवेदन तीसरी बार खारिज कर दिया गया और उनका नाम रिजेक्ट लिस्ट में डाल दिया गया है।
एक्स पर क्या लिखा?
एक्स पर पोस्ट कर सावंत ने लिखा, 'मेरी मां की गंभीर हालत को देखते हुए आपातकालीन वीजा मेरे पति को दे दिया लेकिन मेरा आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि मेरा नाम रिजेक्ट लिस्ट में है। हमें कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जा रहा है।'
क्षमा सावंत ने किया विरोध प्रदर्शन
क्षमा सावंत ने कहा कि वह और उनके संगठन वर्कर्स स्ट्राइक बैक के सदस्य भारतीय वाणिज्य दूतावास में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और जवाब मांग रहे हैं कि आखिर उनका वीजा क्यों खारिज किया जा रहा है। एक वीडियो में सावंत अपने पति के साथ भारतीय वाणिज्य दूतावास के अंदर खड़े देखा जा सकता है। इस वीडियो में वह कह रही थीं 'हम केवल स्पष्टीकरण चाहते हैं। मेरा नाम रिजेक्ट लिस्ट में क्यों है? मेरा वीजा तीन बार क्यों खारिज किया गया।'
भारतीय वाणिज्य दूतावास ने क्या दी सफाई?
इस पूरे मामले में सिएटल में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा, 'कुछ व्यक्तियों द्वारा वाणिज्य दूतावास में बिना अनुमति के प्रवेश किया है और उन्होंने हमारे कर्मचारियों के साथ अक्रामक और धमकी भरा व्यवहार किया। वाणिज्य दूतावास ने कहा कि बार-बार अनुरोध करने के बावजूद ये लोग परिसर से बाहर नहीं गए। इसके कारण स्थानीय प्रशासन को बुलाना पड़ा।'
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कौन हैं क्षमा सावंत?
पुणे में पैदा हुई सावंत ने 1994 में मुंबई विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की। बाद में, वह अमेरिका चली गईं और 2003 में नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। राजनीती में एंट्री करने से पहले उन्होंने तीन साल तक अर्थशास्त्र पढ़ाया। उन्होंने 2006 में खुद को अमेरिका स्थित राजनीतिक संगठन सोशलिस्ट अल्टरनेटिव से संबद्ध किया।
2012 में वाशिंगटन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में एक पद हासिल करने के असफल प्रयास के बावजूद, उन्होंने सिएटल सिटी काउंसिल में सफलतापूर्वक सीट हासिल की। वह हमेशा से भारत सरकार के खिलाफ बोलती रही है। 2023 में, उनके नेतृत्व में, सिएटल काउंसिल कानून के माध्यम से जाति-आधारित भेदभाव को प्रतिबंधित करने वाला पहला अमेरिकी शहर बन गया। इस कदम ने हिंदू अमेरिकियों से काफी विरोध किया था।
2020 में, उन्होंने सीएए और एनआरसी का विरोध करते हुए सिएटल सिटी काउंसिल के प्रस्ताव को सफलतापूर्वक पारित कराया, जिसमें दावा किया गया कि ये उपाय 'महिलाओं, मुसलमानों, दमित जातियों के सदस्यों, स्वदेशी और एलजीबीटी व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव करते हैं।'