पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के करीब 13 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में मेहुल चोकसी को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। बेल्जियम की एक अदालत ने मेहुल के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। फैसले में कहा गया कि भारत का बेल्जियम पुलिस पर उसकी गिरफ्तारी का दबाव जायज था। यह फैसला भारत के लिए कूटनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

 

मेहुल चोकसी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के आधिकारिक प्रत्यर्पण रिक्वेस्ट के बाद 11 अप्रैल को एंटवर्प पुलिस ने गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में है और उसके भागने की आशंका के कारण उसकी कई जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं।

 

यह भी पढ़ें- न मिसाइल दी, न जंग रोक पाए, ट्रंप से मिलकर जेलेंस्की को क्या मिला?

जमानत अर्जी खारिज

धोखाधड़ी का मामला सामने के बाद मेहुल एंटीगुआ और बारबुडा भाग गया था। घोटाले का खुलासा होने के बहुत पहले ही उसने वहां की नागरिकता ले ली थी। अपनी गिरफ्तारी के बाद बेल्जियम की अलग-अलग अदालतों में जमानत की अर्जी भी दी, लेकिन उसकी यह कोशिशें कामयाब नहीं हुई।

 

सुनवाई के दौरान, बेल्जियम के अधिकारियों ने भारत के मामले का समर्थन किया जबकि उसकी कानूनी टीम ने इस कदम का विरोध किया। कोर्ट ने पुष्टि की कि धोखाधड़ी और करप्शन सहित सभी आरोप बेल्जियम के कानून के तहत वैध हैं। इस मामले में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCAC, UNTOC ) का हवाला दिया जिस पर बेल्जियम ने हामी भरी थी।

 

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान के आर्मी कैंप पर आत्मघाती हमला, 7 सैनिकों की मौत, देखें वीडियो

 

मेहुल के पास अब बेल्जियम के सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 15 दिन का समय है। अगर अपील खारिज हो जाती है या दायर नहीं की जाती है तो उनकी भारत वापसी जारी रहेगी।

मुंबई का आर्थर रोड जेल

CBI की टीम सबूत पेश करने के लिए तीन बार बेल्जियम का दौरा कर चुकी है और इस प्रक्रिया में सहायता के लिए एक यूरोपीय फर्म को भी हायर किया है। भारत ने वहां के अधिकारियों को विश्वास दिया है कि अगर मेहुल का प्रत्यर्पण किया जाता है तो उसे यहां की जेल में उसको अच्छे तरीके से रखा जाएगा। बता दें कि उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा, जो यूरोपियन ह्यूमन राइट्स स्टैंडर्ड का पालन करती है।