म्यांमार इन दिनों एक बड़ी त्रासदी से गुजर रहा है। करीब एक हफ्ते पहले आए भीषण भूकंप ने देश को हिलाकर रख दिया है। देश की सैन्य सरकार ने यह जानकारी दी है कि 3 अप्रैल तक इस भीषण भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 3,145 तक पहुंच गई है। अभी तक 4580 लोग घायल हुए हैं और 221 लोग लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है। भूकंप के चलते म्यांमार की सड़कों, इमारतों और पुलों को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा है। इस त्रासदी से उबरने के लिए भारत जैसे देश भी म्यांमार की मदद को आगे आए हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है और घायलों का इलाज चल रहा है। ऐसे ही भूकंप के चलते थाईलैंड में भी भारी नुकसान हुआ है।
दरअसल, म्यांमार में 28 मार्च 2025 को 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप का केंद्र म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास था। इस भूकंप से म्यांमार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। भूकंप से कई इलाकों में हजारों इमारतें ढह गईं, सड़कें टूट गईं और पुल नष्ट हो गए। म्यांमार के सरकारी टेलीविजन एमआरटीवी के अनुसार, सूचना मंत्री माउंग माउंग ओह्न ने राजधानी नेपीडॉ (Naypyidaw) में एक बैठक में यह भी घोषणा की कि 4,589 लोग घायल हुए हैं और 221 अन्य लापता हैं।
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भारत ने भेजी मदद
इस मुश्किल समय में म्यांमार का पड़ोसी देश भारत भी मदद के लिए आगे आया है। भारत ने एक ‘मोबाइल अस्पताल’ मांडले भेजा है, जिसके जरिए वहां के घायलों का इलाज किया जा रहा है। भारत के अलावा रूस और बेलारूस ने संयुक्त अस्पताल स्थापित किया है, जो अब मांडले और आस-पास के क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहा है।
म्यांमार में भूकंप से हुए नुकसान का विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने प्रारंभिक आकलन किया है। इस प्रारंभिक आकलन के अनुसार, भूकंप में चार अस्पताल और एक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह नष्ट हो गया है जबकि 32 अस्पताल और 18 स्वास्थ्य केंद्र आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
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राहत और बचाव का कार्य जारी
फिलहाल, राहत और बचाव कार्य तेज़ी से जारी हैं। सेना, स्थानीय प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां मिलकर प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचा रही हैं। साथ ही, भारत जैसे देशों से भी सहायता पहुंचाई जा रही है। अगले कुछ सप्ताह म्यांमार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होंगे, क्योंकि चिकित्सा, आश्रय और भोजन की ज़रूरतें लगातार बढ़ रही हैं। लापता लोगों को खोजने का अभियान अभी भी जारी है। सरकार राहत कार्यों की लगातार निगरानी कर रही है और प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त संसाधन भेजे जा रहे हैं।