म्यांमार: हर साल, 13 हजार मौतें, भूकंप से ज्यादा जानलेवा है गृहयुद्ध
म्यांमार के विनाशकारी भूकंप में 1600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। म्यांमार भूकंप जैसी ही एक और त्रासदी से जूझ रहा है। पढ़ें रिपोर्ट।

म्यांमार भूकंप। (Photo Credit: Social Media)
म्यांमार के विनाशकारी भूकंप में जितने लोग मारे गए हैं, उससे कहीं ज्यादा हर साल गृहयुद्ध में मारे जा रहे हैं। साल 2021 से ही म्यांमार में गृहयुद्ध छिड़ा है, जिसमें सैन्य और विद्रोही गुटों के साथ-साथ आम नागरिक भी मारे जाते हैं। 5.41 करोड़ वाले इस देश की आबादी में हर साल 13180 लोगों से ज्यादा मौतें आम नागरिकों की होती है।
सेंटर फॉर एक्सिलेंस इन डिजास्टर मैनेजमेंट एंड हम्युमैटेरियन असिस्टेंस (CFE-DM) के आंकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी 2021 से 10 मई 2024 के बीच में अब तक गृहयुद्ध की वजह से 52720 मौतें हुई हैं। इनमें 9,197 लोग वह हैं, जो आम नागरिक हैं। जुंटा सैन्य ग्रुप के हमलों में इन नागरिकों की मौत हुई है। किसी की मौत प्रदर्शन के दौरान हुई, किसी की मौत कैंप में हुई। ज्यादातर उन्हीं लोगों की मौतें हुई हैं, जिन्होंने लोकतंत्र के हक में आवाजें उठाई हैं।
जुंटा के एयरस्ट्राइक में मर रहे हैं लोग
2021 से 2024 के बीच हुई ज्यादातर मौतों में कहीं विस्फोट होता था, कहीं एयर स्ट्राइक। यह हमले म्यांमार की सेना की ओर विद्रोही गुटों की ओर से किए जाते हैं।
सागाइंग और रखाइन में होते हैं सबसे ज्यादा हमले
सागाइंग और राखाइन, जुंटा के खिलाफ सबसे मजबूत प्रतिरोध का केंद्र रहे हैं। यहां नागरिकों पर हवाई हमले और जमीनी कार्रवाइयां आम हैं। एयरस्ट्राइक और मोर्टार शेलिंग बेहद आम हैं। कभी ड्रोन बरसते हैं, कभी मिसाइलें गिरती हैं। संगाइंग इलाका, वही इलाका है, जिसे भूकंप का केंद्र कहा जा रहा है। यहां म्यांमार की सेना पहले ही तबाही मचाती रही है। भूकंप के ठीक बाद भी हवाई हमले में 7 लोग मारे गए थे। काले, स्वेबो और काठा इलाकों में सबसे ज्यादा हमले किए जाते हैं।
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कब कब जुंटा के हमले सुर्खियों में आए?
18 मार्च 2024
रखाइन के थार डार गांव में म्यांमार सेना ने फाइटर जेट से हमला किया। दो बम दागे जिसमें 22 रोहिंग्या मारे गए। इनमें बच्चे भी मारे गए। 14 स्थानीय लोगों ने भी जान गंवाई।
7 जनवरी 2024
सागाइंग के का नान गांव में सेना ने बम गिराए, ए-5 जेट का इस्तेमाल किया, 14 लोग मारे गए, 20 से ज्यादा लोग घायल हुए। घायल होने वाले में बच्चे भी शामिल थे।
11 अप्रैल 2023
पा ज़ी ग्यी गांव में म्यांमार सेना ने एयर स्ट्राइक किया। वहां पीपुल्स एडमिस्ट्रेशन टीम जुटी थी। यह एक स्थानीय निकाय है, जिसे जुंटा के नियंत्रण से बाहर के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों ने तैयार किया है। 157 लोग मारे गए, 33 महिलाएं, 42 बच्चों की मौत हो गई। यहां सेना ने थर्मोबैरिक बम दागे थे।
विद्रोही गुट भी करते हैं हमला
जुंटा के अलावा, म्यांमार में लोकंतत्र के पक्षधर विद्रोही गुट भी हमला करते हैं। विद्रोही गुट, ज्यादातर नायपीडॉ के आसपा हमले करते हैं। उनके पास छोटे मेड इन चीन एग्रीकल्चरल ड्रोन हैं, जिन्हें वे हथियार बनाकर इस्तेमाल करते हैं। ऐसे हमले सांकेतिक रहते हैं। 2021 से 2024 के बीच लोकतंत्र समर्थकों के हमले में 5 नागरिकों की मौत हुई। अगर इसकी तुलना सेना से करें तो उन्होंने 509 से ज्यादा हमले किए, 959 से ज्यादा आम नागरिक, ड्रोन हमलों में मारे गए।
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2021 से लेकर 2024 तक कितनी हुईं मौतें?
म्यांमार में जनवरी 2021 से लेकर 10 मई 2024 तक गृहयुद्ध की वजह से 52720 लोग जंग मारे गए हैं। साल 2021 में 10,966, 2022 में 19751, 2023 में 16010 और 2024 में 17058 लोग जंग में मारे गए। अफगानिस्तान, फिलिस्तीन, नाइजीरिया, यमन, इथोपिया, सूडान, सीरिया, सोमालिया, माली, पाकिस्तान और ईराक जैसे देशों में भी गृहयुद्ध जैसे हालात हैं लेकिन इतनी बड़ी जनहानि वहां नहीं हुई।
म्यांमार की तुलना में दुनिया के कई देशों के आंकड़े-
देश | आम नागरिकों की मौत |
फिलिस्तीन | 33078 |
नाइजीरिया | 12358 |
कांगो | 9481 |
म्यांमार | 9197 |
इथोपिया | 8663 |
यूक्रेन |
7665 |
सोर्स: UN और CFE-DM |
म्यांमार में नागरिकों के मारे जाने के आंकड़े क्या हैं?
युद्ध से अलग, आम नागरिक भी म्यांमार के गृहयुद्ध में मारे गए हैं। म्यांमार में जुंटा की सैन्य कार्रवाई में 2021 से 2024 के बीच 9197 लोग मारे गए थे। यह आंकड़े सेंटर फॉर एक्सिलेंस इन डिजास्टर मैनेजमेंट एंड हम्युमैटेरियन असिस्टेंट की ओर से जारी किए गए हैं। मारे गए कुल 52,720 लोगों में से 9147 नागरिक मारे गए हैं। यह कुल मौतों का 17 फीसदी हिस्सा है। म्यांमार इस मामले में सिर्फ फिलिस्तीन, नाइजीरिया और कांगो रिपब्लिक से पीछे है।
क्या है संघर्ष की वजह?
म्यांमार की जुंटा सेना को चीन से समर्थन मिलता है। ज्यादातर जगहों पर विद्रोही गुटों से जंग हारने वाली जुंटा आर्मी का नियंत्रण अब बस देश के 24 फीसदी हिस्से पर रह गया है। 42 फीसदी हिस्से, स्वतंत्र निकाय की तरह काम कर रहे हैं। जुंटा का कंट्रोल देश के बीचो बीच वाले हिस्सों पर है। जुंटा का नियंत्रण यंगून, मांडले, नापियाडॉ और सितवे बंदरगार के अहम हिस्सों पर है। जिन हिस्सों में जुंटा का कंट्रोल नहीं है, वहां स्थानीय निकाय बनाकर व्यवस्था संभाली जा रही है। इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इनके पास कोई बाहर सैन्य शक्ति नहीं है, जिससे ये अपनी सुरक्षा कर सकें। अगर सैन्य मदद मिलती तो ये गुट, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराते, जिसके खिलाफ जुंटा का रुख है।
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म्यांमार के 1357 मील के सीमाई इलाके में चीन की सेना, जुंटा को मदद देती है। उन्हें इस इलाके में रणनीतिक संरक्षण भी मिला है। बाहरी तौर पर मजबूत समर्थन की वजह उस इलाके का पूरा कंट्रोल जुंटा के पास है। जब लोकतंत्र समर्थक गुट 2023 में रखाइन प्रांत की ओर बढ़ने लगे थे, तब चीन ने अचानक दोनों पक्षों के बीच बातचीत की वकालत शुरू कर दी थी। वजह यह है कि अगर उनका कंट्रोल इस हिस्से में होता तो चीन का बेल्ट रोड इनीशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट प्रभावित होता। यह इलाका इसलिए भी अहम है क्योंकि थोड़ी ही दूर पर हिंद महासागर का अहम बंदरगाह भी है। जुंटा अभी तक नेशनल युनिटी गवर्नमेंट (निर्वासित सरकार) के बीच बातचीत गंभीरता से नहीं कर रहा है। चीन की जरा भी दिलचस्पी नहीं है कि म्यांमार का संकट कम हो।
भूकंप के बाद क्या हो रहा है?
भूकंप के बाद म्यांमार के सैन्य विरोधी लड़ाकों ने 2 सप्ताह के लिए आंशिक सीज फायर का ऐलान किया है। 'द पीपुल्स डिफेंस फोर्स' ने कहा है कि दो सप्ताह के लिए सीज फायर लागू किया जा रहा है। केवल बचाव में कार्रवाई की जा सकती है। यह भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में लागू रहेगा। निर्वासित सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र और दुनियाभर के NGO से कूटनीतिक बातचीत की जा रही है कि जिससे ज्यादा से ज्यादा राहत सामग्री प्रभावित क्षेत्र में पहुंचाई जाए। जो इलाके जुंटा के नियंत्रण से बाहर हैं, वहां राहत शिविर और जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
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