अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गुरुवार को मुलाकात हुई। दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप और मोदी की ये पहली मुलाकात थी। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने भारत को F-35 लड़ाकू विमान बेचने का ऐलान किया। अमेरिका लंबे समय से इस विमान को भारत को बेचने की कोशिश कर रहा था।
प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा, 'इस साल से हम भारत को कई अरबों डॉलर की हथियार बेचने जा रहे हैं। हम आखिरकार भारत को F-35 लड़ाकू विमान बेचने जा रहे हैं।'
भारत को कब मिलेगा F-35?
ट्रंप ने अभी इस बारे में नहीं बताया है कि भारत को F-35 कब तक मिलेगा। हालांकि, जब भी किसी दूसरे देश को F-35 की बिक्री की जाती है, तो इसकी प्रक्रिया पूरी होने में सालों लग जाते हैं।
F-35 को अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन बनाती है। हालांकि, जब इसे किसी दूसरे देश को बेचा जाता है तो इसमें गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट डील होती है। यानी, अमेरिकी सरकार और भारत सरकार के बीच। ट्रंप के ऐलान के बाद लॉकहीड मार्टिन की ओर से अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
कितना ताकतवर है F-35?
F-35 फाइटर जेट 5वीं पीढ़ी का विमान है। लॉकहीड मार्टिन ने इसे 2006 में बनाना शुरू किया था। 2015 में F-35 अमेरिकी वायुसेना में शामिल हुआ था। इजरायल भी इस विमान को खरीद चुका है।
F-35 दुनिया का सबसे महंगा लड़ाकू विमान है। एक विमान की अनुमानित कीमत 10 करोड़ डॉलर (लगभग 8,600 करोड़ रुपये) आंकी गई है। ट्रंप ने एक बार इस विमान की इतनी कीमत होने की आलोचना भी की थी। F-35 को दुनिया का सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान भी माना जाता है।
इस विमान की लंबाई 51.4 फीट और ऊंचाई 14.4 फीट है। इसमें 8,278 किलो का ईंधन भरा जा सकता है। इसके साथ ही 8,160 किलो के हथियारों को लोड किया जा सकता है। F-35 विमान 1,931 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसकी कॉम्बैट रेडियस 1,093 किलोमीटर है। इसका मतलब हुआ कि F-35 विमान 1,093 किलोमीटर तक जा सकता है और वापस लौट सकता है। इस दौरान इसमें रिफ्यूलिंग की जरूरत नहीं होती।
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रडार की पकड़ में भी नहीं आता
इस विमान में एयर-टू-एयर मिसाइल और गाइडेड बॉम्ब को लोड किया जा सकता है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये रडार की पकड़ में भी नहीं आता।
F-35 की एक खास बात ये भी है कि इसमें एक छोटा क्रॉस-सेक्शन रडार सिस्टम भी है। इससे पायलट दुश्मन को पहले ही देख सकते हैं और उसपर हमला कर सकते हैं। पायलट के हेलमेट में ही एक डिस्प्ले सिस्टम होता है। इसकी मदद से हमला करते वक्त विमान को मोड़ने की जरूरत नहीं होती है। पायलट अपना सिर हिलाकर ही दुश्मन के विमान पर मिसाइल दाग सकते हैं।
इसके अलावा, इसका सेंसर सिस्टम और कम्युनिकेशन सिस्टम भी बहुत खास है। इसके जरिए पायलट अपने कमांडर तक रियल टाइम डेटा भेज सकते हैं। इससे दुश्मन को ट्रैक किया जा सकता है। विमान से ही दुश्मन के रडार को जाम कर सकते हैं और हमलों को नाकाम कर सकते हैं।
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सिर्फ घोषणा बनकर ही न जाए F-35 की बिक्री
ट्रंप ने अभी भारत को F-35 बेचने की घोषणा की है। हालांकि, इस तरह की डील को फाइनल होने में सालों लग जाते हैं। इस डील में सबसे बड़ी रुकावट रूस भी हो सकता है।
भारत और रूस के बीच दशकों से गहरे सैन्य संबंध हैं। लंबे समय तक भारत की रक्षा जरूरतें रूस ने ही पूरी की हैं। अभी भी भारत को ज्यादातर हथियार रूस से ही मिलते हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ऐसे देशों को F-35 बेचने से बचता है, जहां से उसके विरोधी उसकी तकनीक चुरा सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने तुर्की के साथ मिलकर F-35 के प्रोडक्शन पर सौदा किया था। हालांकि, बाद में जब तुर्की ने रूस के साथ S400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का सौदा किया तो अमेरिका ने अपनी डील कैंसिल कर दी। अमेरिका को डर था कि रूस F-35 की तकनीक के बारे में बहुत कुछ जान जाएगा। भारत ने भी 2018 में रूस के साथ S400 को डील की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि F-35 को भारत आने में अभी बहुत पड़ाव पार करने होंगे।