अमेरिका ने एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भारत पर सवाल उठाए हैं। आरोप लगाया है कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं, इसलिए इसे 'कंट्री ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न' की कैटेगरी में डाल देना चाहिए।

भारत पर क्या आरोप लगाए?

यह रिपोर्ट हर साल अमेरिका का कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) जारी करता है। तीन दिन पहले ही इसकी नई रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में आरोप लगाते हुए कहा, '2024 में भी भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले और भेदभाव जारी रहा। जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई नेताओं ने मुस्लिम समेत कई धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर भड़काने वाले भाषण दिए, जिससे देशभर में अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गए।'


अमेरिकी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि भारत में अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़े लोगों के खिलाफ UAPA का इस्तेमाल किया जा रहा है। अल्पसंख्यकों के लिए काम करने वाले लोग और एनजीओ पर FCRA के तहत कार्रवाई की जा रही है।

 

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भारत ने क्या कहा?

भारत ने USCIRF की इस रिपोर्ट को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि USCIFF को खुद 'एंटीटी ऑफ कंसर्न' घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस रिपोर्ट को 'पक्षपाती' और 'राजनीति से प्रेरित' बताया।


उन्होंने कहा, 'अलग-अलग घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत करना और और भारत के बहुसांस्कृतिक समाज पर संदेह जताने की लगातार कोशिशें धार्मिक स्वतंत्रता के लिए चिंता जताना नहीं, बल्कि जानबूझकर किए गए एक एजेंडे को दिखाते हैं। वास्तव में USCIRF ही एंटीटी ऑफ कंसर्न है।'

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  • हिजाब पहनने पर अटैकः 9 अक्टूबर 2023 को फ्लोरिडा के एक शख्स ने मुस्लिम महिला पर इसलिए हमला कर दिया, क्योंकि उसने हिजाब पहना था। मुस्लिम महिला पोस्टल ऑफिस में काम करती थी और जब वह चिट्ठी देने के लिए वैन से उतरी तो उश शख्स ने उसे हाथों से बंदूक के इशारे किए। जब महिला अपनी वैन में वापस आई तो उस शख्स ने उस पर हमला कर दिया। महिला के ऊपर थूक दिया और उसका हिजाब उतारकर फेंक दिया। डरकर महिला जब वैन से निकलकर भागने लगी तो वह 'तुम आतंकवादी हो' चिल्लाने लगा। अप्रैल 2024 में शख्स ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था।
  • बुजुर्ग सिख पर हमलाः सितंबर 2023 में गिल्बर्ट ऑगस्टिन नाम के शख्स ने 66 साल के बुजुर्ग जसमेर सिंह पर हमला कर दिया था। गिल्बर्ट और जसमेर की कार टकरा गई थी। टक्कर के बाद गिल्बर्ट कार से बाहर निकला और जसमेर सिंह को 'पगड़ी वाला' कहता रहा। गिल्बर्ट ने कार से उतरकर जसमेर सिंह का फोन छीना और फिर उन्हें कार से निकालकर बदसलूकी करने लगा। एक के बाद उसने जसमेर सिंह को कई मुक्के मारे। एक मुक्के में उनकी पगड़ी भी उतार दी। इस हमले में जसमेर सिंह बुरी तरह घायल हुए और बाद में उनकी मौत हो गई। 
  • कभी मंदिर तो कभी हिंदुओं पर अटैकः अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले की खबरें तो आए दिन आती रहती हैं। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के मुताबिक, अमेरिका में मंदिरों और हिंदुओं पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में कैलिफोर्निया में एक मंदिर के बाहर भारत विरोधी नारे लिखे गए थे। पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि 2023 में विदेशों में 86 हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी। इनमें सबसे ज्यादा 12 हिंदू अमेरिका में मारे गए थे। 

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अमेरिका में कैसे हैं अल्पसंख्यकों के हालात?

अमेरिका के संविधान के पहले संशोधन में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मिल गया था। हालांकि, अमेरिका में भी लोगों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया जाता रहा है। इसे 'हेट क्राइम' कहा जाता है।

 

अमेरिका की जांच एजेंसी FBI 1991 से हेट क्राइम के आंकड़े जारी कर रही है। इससे पता चलता है कि अमेरिका में साल दर साल धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट क्राइम के मामले लगातार बढ़े हैं। बीते 10 साल में ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट क्राइम के मामले 166 फीसदी बढ़ गए हैं।


FBI पर हेट क्राइम के सबसे ताजा आंकड़े 2023 के मौजूद हैं। 2023 में अमेरिका में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट क्राइम के 2,699 मामले सामने आए थे जबकि 2014 में 1,014 मामले दर्ज किए गए थे। 

 

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FBI के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में सबसे ज्यादा टारगेट यहूदियों को किया जाता है। इजरायल-हमास की जंग के बाद यहूदियों पर हमले और बढ़े हैं। 2022 की तुलना में 2023 में यहूदियों के खिलाफ हेट क्राइम के मामलों में 63 फीसदी का उछाल आया था। 2022 में यहूदियों के खिलाफ हेट क्राइम के 1,122 मामले सामने आए थे। 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 1,832 पर पहुंच गया।


यहूदियों के बाद सबसे ज्यादा शिकार मुस्लिम होते हैं। FBI के आंकड़े बताते हैं कि 2023 में मुस्लिमों के खिलाफ हेट क्राइम के 236 मामले सामने आए थे। हालांकि, अलग-अलग मुस्लिम संगठन अलग-अलग दावे करते हैं। वहीं, सिखों के खिलाफ हेट क्राइम के 156 और हिंदुओं के खिलाफ 27 मामले सामने आए थे।


 

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अल्पसंख्यकों को लेकर क्या सोचते हैं अमेरिकी?

अमेरिका में व्हाइट सुप्रीमेसी हावी है। अमेरिका में व्हाइट लोग ब्लैक और दूसरे धर्मों से जुड़े लोगों को हेय की नजरों से देखते हैं और उन्हें अपने लिए खतरा मानते हैं। 


2023 में एक सर्वे हुआ था, जिसमें सामने आया था कि ज्यादातर अल्पसंख्यक खुद को अलग-थलग मानते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी धार्मिक मान्यताएं अमेरिका में मेल नहीं खातीं। पिछले साल ही ब्रुकिंग्स इंटरनेशनल ने एक पोल किया था। इसमें 52 फीसदी लोगों ने इस्लाम के खिलाफ राय दी थी। अमेरिका में हिंदू, मुस्लिम, सिख और यहूदियों की आबादी 5 फीसदी से भी कम है लेकिन इन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है।


अमेरिका वैसे तो खुद को बहुत मॉडर्न और प्रोग्रेसिव बताता है लेकिन यहां आज भी तिलक, दाढ़ी, टोपी और हिजाब देखकर भेदभाव किया जाता है। 


2017 में कैलिफोर्निया के एक स्टोर ने हाला बनाफा नाम की महिला को इसलिए नौकरी पर नहीं रखा, क्योंकि उसने हिजाब पहना था। 2013 में न्यूयॉर्क में एक सिख प्रोफेसर प्रभजोत सिंह पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था। उनके पगड़ी पहनने पर उन्हें 'ओसामा' और 'आतंकवादी' कहा था। 2017 में एक रेस्टोरेंट पर इसलिए हमला किया गया, क्योंकि उसका मालिक सिख था। रेस्टोरेंट की दीवारों पर 'आतंकवादी' लिख दिया गया था। 


अमेरिकी वायुसेना में तकनीशियन के तौर पर काम करने वाले भारतीय मूल के दर्शन शाह को तिलक तलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। उन्हें तिलक लगाने से मना कर दिया गया था, जिसके बाद दर्शन अदालत चले गए थे। 2022 में कोर्ट ने उन्हें तिलक लगाने की इजाजत दी थी।