40° न्यू नॉर्मल! खाने-पीने से लेकर नौकरियों तक, गर्मी कितनी खतरनाक?
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• NEW DELHI 28 Mar 2025, (अपडेटेड 25 Apr 2025, 10:11 AM IST)
अभी से देश के कई हिस्सों में पारा 40 डिग्री के पार चला गया है। बीते कुछ सालों में गर्मी वाले दिन तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में जानते हैं कि बढ़ती गर्मी कितनी खतरनाक है?

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)
अभी से देश के कई हिस्सों में पारा 40 डिग्री के पार चला गया है। बीते कुछ सालों में गर्मी वाले दिन तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में जानते हैं कि बढ़ती गर्मी कितनी खतरनाक है?
चुभती-जलती गर्मी का मौसम आ ही गया। अभी अप्रैल शुरू भी नहीं हुआ और देश के कई हिस्सों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है। कई हिस्सों में अभी से हीटवेव भी चलने लगी है।
मौसम विभाग के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली के रिज में अधिकतम तापमान 40.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। तीन साल में मार्च में यह सबसे गर्म दिन रहा। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई जिलों में तापमान 40 डिग्री के ऊपर पहुंच गया था।
इस बीच मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार गर्मी में हीटवेव के दिनों की संख्या दोगुनी हो सकती है। इसका मतलब हुआ कि इस बार पिछले साल से भी कहीं ज्यादा जबरदस्त गर्मी पड़ने वाली है।
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बदल रहा है गर्मी का पैटर्न!
वैसे तो दुनिया के कई मुल्कों में अब मौसम का पैटर्न बदलता जा रहा है लेकिन भारत पर इसका असर कुछ ज्यादा दिख रहा है। भारत के एक बड़े हिस्से में समय से पहले गर्मी आ रही है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि 2015 से 2024 के बीच भारत के 91 फीसदी इलाके ऐसे थे, जहां समय से पहले ही पारा 40 डिग्री के पार चला गया था। रिपोर्ट बताती है कि पहले आमतौर पर मई या जून के महीने में पारा 40 डिग्री के पार जाता था लेकिन कुछ सालों में अप्रैल में ही इतना तापमान पहुंच जा रहा है।
अब गर्मी इतनी बढ़ रही है कि कई दिनों पहले ही हीटवेव की घोषणा कर दी जाती है। मौसम विभाग के मुताबिक, जब तापमान मैदानी इलाकों में 40 डिग्री, तटीय इलाकों में 37 डिग्री और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री पहुंच जाता है तो हीटवेव की घोषणा की जाती है। पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कुछ सालों में हीटवेव वाले दिनों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2023 की तुलना में 2024 में हीटवेव वाले दिनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई थी। 2023 में 230 दिन हीटवेव चली थी। वहीं, 2024 में 554 दिन हीटवेव चली थी। यहां साफ कर दें कि अलग-अलग शहरों में अलग-अलग दिनों में चलनी वाली हीटवेव से यह आंकड़ा लिया जाता है। इसलिए 554 दिन का आंकड़ा लिया गया है।
क्या अब न्यू नॉर्मल है 40 डिग्री?
क्या अब हमें इस बढ़ती हुई गर्मी के साथ जीना सीख लेना चाहिए? क्या अब 40 डिग्री पारा न्यू नॉर्मल हो गया है? ऐसा इसलिए क्योंकि गर्मी के दिन बढ़ रहे हैं और सर्दी के दिन कम हो रहे हैं। गर्मियों में देश के कई हिस्सों में 40 डिग्री तापमान पहुंचान अब आम बनता जा रहा है।
इतना ही नहीं, पहले हीटवेव कुछ ही राज्यों तक सीमित थी लेकिन अब देश के लगभग सभी राज्यों में हीटवेव चल रही है। समय से पहले ही गर्मी आ रही है।
आप इसे ऐसे ही समझ लीजिए कि अभी मार्च खत्म भी नहीं हुआ है और देश के 20 से ज्यादा शहरों में पारा 40 डिग्री को पार कर चुका है। दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गर्मी बहुत तेज बढ़ रही है। पिछले साल राजस्थान के चुरू, सिरसा और फलोदी में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। दिल्ली के मुंगेशपुर, नरेला और नजफगढ़ में भी तापमान 50 डिग्री के करीब चला गया था।
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बढ़ती गर्मी बन रही मौत का कारण?
बढ़ते तापमान के कारण गर्मी से होने वाली मौतें भी बढ़ रही हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि 2024 में गर्मी की वजह से देशभर में 733 लोगों की जान गई थी। हालांकि, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है।
गर्मी से होने वाली मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 2022 तक का है। पिछले साल सरकार ने संसद में हीटवेव से हुई मौतों का आंकड़ा बताया था। इसके मुताबिक, 2022 में 730 मौतें हुई थीं। उत्तर प्रदेश और पंजाब में 130-130 लोग मारे गए थे। महाराष्ट्र में 90, बिहार में 78, तेलंगाना में 62 और झारखंड-आंध्र प्रदेश में 47-47 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले 2021 में 374 और 2020 में 530 लोगों की मौत हुई थी।
बढ़ती गर्मी और कितनी खतरनाक?
गर्मी किस हद तक बढ़ती जा रही है, इसे ऐसे समझ लीजिए कि 2024 में भारत का औसत तापमान 0.65 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया था। इसने 2024 को अब तक का सबसे गर्म साल बना दिया था।
बढ़ती गर्मी के चलते खाने-पीने का संकट भी खड़ा हो सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) की एक रिपोर्ट कहती है कि अगर एक डिग्री भी तापमान बढ़ता है तो इससे गेहूं की पैदावार 6% और चावल की 5% कम हो सकती है। 2022 में हीटवेव के चलते गेहूं की पैदावार में 10 से 15 फीसदी की गिरावट आ गई थी। 40 डिग्री से ज्यादा तापमान हो जाने पर मिट्टी की नमी सूखने लगती है, जिससे फसलों की जड़ें कमजोर होती हैं। जाहिर है जब फसलों की पैदावार कम होगी तो इससे कीमतें भी बढ़ती हैं।
वहीं, बढ़ती गर्मी के कारण नौकरियों पर भी संकट खड़ा हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का अनुमान है कि साउथ एशिया में 2030 तक 4.3 करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी। सबसे ज्यादा असर भारत में होगा, जहां 3.4 करोड़ नौकरियां सिर्फ गर्मी के कारण खत्म हो जाएगी।
इता ही नहीं, अमेरिका की मैसाचुएट्स यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट बताती है कि क्लाइमेट चेंज से सबसे ज्यादा प्रभावित साउथ एशियाई देश ही हैं। इस रिपोर्ट में इस सदी के अंत तक धरती की सतह का तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो दक्षिण एशियाई देशों के बहुत से इलाके रहने लायक नहीं होंगे।
बहरहाल, गर्मी जिस तरह से बढ़ रही है, उससे अब संभलना भी जरूरी हो गया है। अगर अभी चीजें नहीं सुधरीं तो आने वाली पीढ़ी इसके गंभीर नतीजे भुगतेगी। क्लाइमेट चेंज पर केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस सदी के आखिर तक यानी 2100 तक देश का तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। इससे गर्म दिन 55% और गर्म रातें 70% बढ़ जाएंगी।
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