पड़ोसी देश पाकिस्तान के सामने गंभीर जल संकट पैदा हो गया है। यह बात पारिस्थितिक संकट रिपोर्ट 2025 में सामने आई है। इसमें कहा गया है कि सिंधु बेसिन के पानी पर अत्यधिक निर्भर पाकिस्तान पर्याप्त पानी ना मिलने की वजह से देश में जल भंडारण का गंभीर खतरा है। यह खतरा ऑपरेशन सिंदूर के बाद सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने के बाद पैदा हुआ है।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित गैर-लाभकारी थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने समझौते को निलंबन करके कानूनी तौर पर सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी को नियंत्रित करके पाकिस्तान के पानी को रोक दिया है। भारत ने यह कदम 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद दंडात्मक उपाय के तहत उठाया था।
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पाकिस्तान को लगा गहरा झटका
भारत के इस कदम से पाकिस्तान को गहरा झटका लगा है। पाकिस्तान की कृषि 80 प्रतिशत खेती सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी पर निर्भर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के बांध वर्तमान में केवल 30 दिनों के सिंधु नदी के पानी को ही रोक सकते हैं, जिससे देश पानी का संकट पैदा हो सकता है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है, 'पाकिस्तान में पानी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त भंडारण क्षमता नहीं है। अगर भारत सचमुच सिंधु नदी के बहाव को रोक देता है या काफी कम कर देता है, तो पाकिस्तान के घनी आबादी वाले मैदानी इलाकों को, खासकर सर्दियों और गर्मियों के मौसम में पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा।'
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इसी साल मई में भारत ने पाकिस्तान को बिना बताए चिनाब नदी पर स्थित सलाल और बगलिहार बांधों से अचानक से भारी मात्रा में पानी छोड़ दिया था। हालांकि, बाद में भारत ने पानी छोड़ना बंद कर दिया था क्योंकि इससे नदी के बहाव में अचानक बदलाव का खतरा था।
सिंधु जल समझौता क्या है?
बता दें कि सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ एक जल-बंटवारा समझौता है। इस समझौते में सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच बांटा गया है। इसमें तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, और सतलुज) का पानी भारत को और तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, और चिनाब) का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया है। भारत इन पूर्वी नदियों के पानी का पूरा इस्तेमाल कर सकता है, जबकि पश्चिमी नदियों पर भारत को सीमित अधिकार मिले हैं, जैसे कि बिजली बनाना और कृषि के लिए पानी।
