अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया में झारखंड के 48 प्रवासी मजदूर काफी खराब स्थिति में फंस गए हैं। वे वहां कठिन हालातों में रह रहे हैं और बिना वेतन के काम करने को मजबूर हैं। ये मजदूर दिल्ली की एक निजी कंपनी के जरिए उत्तर अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया भेजे गए थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, झारखंड श्रम विभाग ने फंसे हुए मजदूरों से बात की है। मजदूर भारत लौटना चाहते हैं।
झारखंड श्रम विभाग की माइग्रेंट कंट्रोल सेल की टीम लीडर शिखा लकड़ा ने पीटीआई को बताया, ‘हमने ट्यूनीशिया में फंसे मजदूरों से बात की है। उनके दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। ट्यूनीशिया में भारतीय दूतावास के अधिकारियों से भी संपर्क में हैं, ताकि उन्हें सुरक्षित उनके गांव लाया जा सके।’
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लंबे घंटे काम, खाने को पैसे नहीं
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 48 मजदूरों को ओवरटाइम काम करने को कहा जा रहा है और मुफ्त में काम करवाया जा रहा है। हालात इतने खराब हैं कि उनके पास खाना खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। एक फंसे मजदूर ने ट्यूनीशिया से वीडियो जारी किया। उसमें उसने बताया कि उसे 12 घंटे काम करवाया जा रहा है और धमकी दी जा रही है कि अगर उसने उनके मुताबिक काम नहीं किया तो वे उसे ‘जेल में डाल देंगे और भारत नहीं लौटने देंगे।’
वीडियो के जरिए संदेश
इसको लेकर सबसे पहले एक सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने मजदूरों की परेशानी माइग्रेंट सेल तक पहुंचाई। उन्होंने पीटीआई को बताया, 'गिरिडीह जिले के पिरटांड ब्लॉक के संजय कुमार ने गुरुवार रात देर से मुझे वीडियो भेजा। मैंने इसे माइग्रेंट सेल और कुछ पत्रकारों को दिया। पत्रकारों ने शुक्रवार को यह मुख्यमंत्री तक पहुंचाया।'
दिल्ली की कंपनी के जरिए गए
सिकंदर अली के अनुसार, ये मजदूर दिल्ली की एक निजी कंपनी के जरिए ट्यूनीशिया भेजे गए। यह कंपनी एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए काम करती है। मजदूरों को हाई ट्रांसमिशन तार लगाने के प्रोजेक्ट पर भेजा गया था।
अली ने कहा, 'वीडियो में मजदूरों ने आरोप लगाया कि कंपनी पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं दे रही। ओवरटाइम काम करवा रही है। इससे उन्हें मानसिक तनाव हो रहा है। वे घर लौटना चाहते हैं, लेकिन कंपनी नहीं छोड़ रही।' मजदूरों ने केंद्र और झारखंड सरकार से मदद मांगी है।
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कितने मजदूर?
यह सारे के सारे मजदूर झारखंड से ही हैं। सूचना के मुताबिक 19 मजदूर हजारीबाग जिले से, 14 मजदूर गिरिडीह से और 15 मजदूर बोकारो जिले से हैं। झारखंड सरकार भारतीय दूतावास की मदद से मजदूरों को वापस लाने में जुटी हुई है।