यमन के पूर्वी पोर्ट सिटी मुकल्ला में सऊदी अरब ने मंगलवार को हवाई हमले किए। इन हमलों का निशाना संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से भेजी जाने वाली हथियारों की खेप थी, जो यूएई समर्थित अलगाववादी गुट सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) के लिए थी।
सऊदी अरब का कहना है कि दो जहाज यूएई के फुजैराह बंदरगाह से आए थे। इन जहाजों ने अपना ट्रैकिंग सिस्टम बंद कर दिया था और मुकल्ला में बख्तरबंद गाड़ियां तथा हथियार उतारे थे। सऊदी ने कहा कि ये हथियार शांति और स्थिरता के लिए बड़ा खतरा थे, इसलिए सीमित हमले किए गए। हमलों में किसी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा।
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आपातकाल की घोषणा
इस हमले के बाद यमन के हूती विरोधी बलों ने बड़ा फैसला लिया। उन्होंने आपातकाल घोषित कर दिया और यूएई के साथ रक्षा समझौता रद्द कर दिया। साथ ही, सभी सीमाओं पर 72 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सऊदी अरब और यूएई के बीच बढ़ते तनाव को दिखाता है। दोनों देश हूतियों के खिलाफ हैं, लेकिन यमन में अलग-अलग गुटों का समर्थन करते हैं। सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार का साथ देता है, जबकि यूएई एसटीसी जैसे अलगाववादी गुटों की मदद करता है।
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बढ़ी है एसटीसी की पकड़
मुकल्ला शहर यमन के हाद्रामौत प्रांत में है, जो एडेन से करीब 480 किलोमीटर दूर है। हाल के दिनों में एसटीसी ने इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत की है और पुराने दक्षिण यमन का झंडा लहराया है। इससे पहले शुक्रवार को भी सऊदी हमले हुए थे, जो एसटीसी के लिए चेतावनी थे। यमन में दस साल से गृहयुद्ध चल रहा है। लाल सागर क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ रही है।
