72 साल की एक महिला ने दक्षिण कोरिया सरकार और देश की सबसे बड़ी बच्चों को गोद लेने वाली एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके छोटे बेटे को बिना उनकी सहमति के नॉर्वे भेजने के पीछे पूरा सिस्टम शामिल रहा है। चोई यंग-जा नाम की इस महिला ने 5 दशकों तक अपने बेटे को ढूंढने की भरपूर कोशिश की और 2023 में वह उसे मिल गया। चोई ने यह मुकदमा ऐसे समय में किया है जब दक्षिण कोरिया पर इतिहास के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय गोद लेने के कार्यक्रम में हुई धोखाधड़ी और शोषण को लेकर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ रहा है।


दक्षिण कोरिया की ट्रुथ एंड रीकंसिलिएशन कमिशन की इस साल मार्च में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार एक आक्रामक और कमजोर रूप से नियंत्रित विदेशी गोद लेने के कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। इससे कई पीढ़ियों तक हजारों बच्चों को उनके परिवारों से लापरवाही से से अलग किया गया है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देश की पूर्व सैन्य सरकारें सामाजिक सुरक्षा लागत को कम करने की कोशिश में थीं, जिस कारण उन्होंने निजी एजेंसियों को गोद लेने की प्रक्रिया तेज करने दी, जिससे 1970 और 1980 के दशक में गोद लेने के बहाने कई बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया गया था। बच्चों को अगवा करके उनके माता-पिता के जिंदा होते हुए उन्हें अनाथ बताया गया ताकि उन्हें पश्चिमी देशों में गोद लिए जाने की संभावना बढ़ सके। पिछले सात दशकों में लगभग 2 लाख कोरियाई बच्चों को पश्चिमी देशों ने गोद लिया है।

 

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अवैध गोद लेने पर किया मुकदमा

 

चोई यंग-जा का कहना है कि उनका तीन साल का बेटा जुलाई 1975 में सियोल में उनके घर से लापता हो गया था जब वह दोस्तों के साथ खेलते हुए एक धुंआ उड़ाते ट्रक के पीछे भागा और फिर कभी वापस नहीं आया। उन्होंने और उनके पति ने सालों तक उसकी तलाश की, पुलिस थानों में वह रोजाना जाते लेकिन उन्हें बार-बार कहा गया कि कोई जानकारी नहीं है। चोई ने पुलिस की एक DNA टीम के जरिए अंतिम प्रयास किया, जो गोद लिए गए बच्चों को उनके असली परिवारों से मिलाने में मदद करती है। 2023 में उन्हें पता चला कि उनका बेटा दिसंबर 1975 में लापता होने के सिर्फ पांच महीने बाद नॉर्वे भेज दिया गया था जहां एजेंसी ने उसका नाम और फोटो बदलकर उसे गोद देने की प्रक्रिया पूरी की थी।

 

चोई ने दायर किया मुकदमा

 

सालों तक संघर्ष करने के बाद चोई ने एजेंसी के खिलाफ कदम उठाने का फैसला कर लिया। उन्होंने वकीलों की मदद से एक अनाथालय, सरकार और होल्ट एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दायर किया। चोई ने सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 550 मिलियन वॉन (लगभग 4.03 लाख अमेरिकी डॉलर) की याचिका दायर की है। उनका आरोप है कि सरकार अपनी कानूनी जिम्मेदारी को निभाने में विफल रही है। याचिका में कहा गया है कि सरकार विदेशी गोद लेने की प्रणाली में बच्चे के अभिभावक की पुष्टि करने में विफल रही। अनाथालय और होल्ट दोनों ने बच्चे को उसके परिवार से मिलवाने की बजाए उसके जाली कागज बनवाकर उसे गोद देने का काम किया।

 

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कोरिया पर गोद लेने संबंधी मामलों में कार्रवाई का दबाव


चोई और होन पहले ऐसे  माता-पिता हैं जिन्होंने अपने बच्चों को अवैध रूप से गोद लिए जाने को लेकर दक्षिण कोरियाई सरकार और एक गोद लेने वाली एजेंसी पर मुकदमा किया है। यह समस्या कोरिया में गहराती जा रही है और कई परिवारो को उनके बच्चों से अलग कर दिया गया है।  ट्रुथ एंड रीकंसिलिएशन कमिशन की इस रिपोर्ट के बाद अब उम्मीद है कि और भी माता-पिता सरकार के खिलाफ कानूनी रास्ता अपना सकते हैं।

 

 ट्रुथ एंड रीकंसिलिएशन कमिशन की जांच की समयसीमा सोमवार को समाप्त हो गई और 2022 से दाखिल 367 शिकायतों में से सिर्फ 56 में मानवाधिकार हनन की बात स्वीकार की गई है। कोरिया में 3 जून को राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं। इन चुनावों के बाद ही पता चलेगा कि बाकी बचे 311 मामलों पर क्या कार्रवाई होती है। हालांकि इस कमिशन की रिपोर्ट के बाद भी सरकार गोद लेने में हुई समस्याओं में अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार नहीं कर रही है। इस कमिशन ने सरकार से कहा था कि वह गोद लेने में हुई गड़बड़ी से प्रभावित लोगों से आधिकारिक माफी मांगे।