नेपाल की संसद भंग होने के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं। नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। अभी उनके मंत्रिमंडल में कोई भी मंत्री शामिल नहीं किया गया है। सुशीला कार्की नेपाल की 46वीं प्रधानमंत्री बनी हैं और इस पद तक पहुंचने वाली पहली महिला हैं।
जल्द ही जेन-जी आंदोलन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक होगी। इसके बाद मंत्रिमंडल का गठन होगा। प्रदर्शनकारियों ने केपी ओली को सरकार से हटाने के बाद से संसद भंग करने की मांग कर रहे थे। सभी पक्ष अंतरिम सरकार के गठन पर सहमत थे, लेकिन संसद भंग करने पर कई लोगों ने आपत्ति जताई। हालांकि घंटों की बातचीत के बाद आम सहमति बनी। इसके बाद राष्ट्रपति ने संसद भंग की।
कई नामों पर चर्चा के बाद लगी मुहर
8 सितंबर को पूरे नेपाल में जेन-जी आंदोलन भड़का। 35 लोगों की जान जाने के बाद केपी ओली की सरकार ढह गई। इसके बाद से नेपाल की सेना और जेन-जी आंदोलनकारी नेता अंतरिम सरकार के गठन की कवायद में जुटे थे। गुरुवार को सेना प्रमुख, राष्ट्रपति और जेन-जी आंदोलन के नेताओं के बीच अहम बैठक हुई। इसमें कई नामों पर चर्चा हुई।
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आंदोलनकारी कई धड़ों में बंट गए। किसी ने काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह तो किसी ने सागर धकाल का नाम लिया। इस बीच नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व निदेशक कुलमान घीसिंग का भी नाम उछला। आखिर में पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहीं सुशीला कार्की के नाम पर आम सहमति बनी।
सुशीला कार्की का भारत से क्या रिश्ता?
7 जून 1952 को नेपाल के विराटनगर में जन्मीं सुशीला कार्की ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। वे सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। सुशीला ने साल 1979 में अपने गृह जिले विराटनगर से वकालत शुरू की। उनका विवाह नेपाली कांग्रेस के प्रमुख नेता दुर्गा प्रसाद सुवेदी से हुई। खास बात यह है कि सुशीला और सुवेदी की पहली मुलाकात भी बनारस में हुई थी।
2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के दो साल बाद 2009 में सुशीला को सुप्रीम कोर्ट में एड-हॉक जज बनाया गया। अगले साल उनको स्थायी नियुक्ति मिल गई।
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साल 2016 में सुशीला नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उनके अलावा आज तक नेपाल में कोई भी महिला इस पद तक नहीं पहुंची। साल 2018 में कार्की ने अपनी आत्मकथा न्याय और 2019 में जेल के अनुभव पर आधारित उपन्यास कारा लिखा।
नेपाल में सुशीला कार्की की पहचान सियासी दबाव में भी अडिग रहने वाली महिला के तौर पर होती है। 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया, लेकिन देशव्यापी विरोध के बाद सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े।
सुशीला कार्की के चर्चित फैसले
नेपाल में सत्ता के दुरुपयोग की जांच करने की खातिर एक आयोग बना। लोकमन सिंह को आयोग का मुख्य आयुक्त नियुक्त किया गया था। मगर सुशीला कार्की ने उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया था। यह नेपाल का एक बहुचर्चित केस है। 73 वर्षीय सुशीला कार्की ने सुदल घोटाले के आरोपियों को सजा भी सुनाई थी।
कार्की के समर्थन में कौन-कौन?
जेन-जी आंदोलन के दौरान सुशीला कार्की बनेश्वर पहुंची थीं। यहां उन्होंने प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाई थी। एक ऑनलाइन सर्वे में नेपाल के अधिकांश लोगों ने कार्की को ही अपना समर्थन दिया। कार्की को काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेंद्र शाह, पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई और जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव का समर्थन मिला है।
नेपाल को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री
कानून को मानने वाली और कड़क मिजाज सुशीला कार्की ने एक दशक में दूसरी बार इतिहास रचा है। पहली बार जब 2016 में मुख्य न्यायाधीश बनीं और अब नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनकर बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है। नेपाल में प्रधानमंत्री पद से जुड़ा इतिहास लगभग 219 साल पुराना है। पहली बार 1806 में भीमसेन थापा प्रधानमंत्री बने। अब सुशीला कार्की नेपाल की 46वीं प्रधानमंत्री बनी हैं।
सुशीला कार्की से जुड़ी अहम बातें
- 1952 में मोरंग के शंखरपुर में एक किसान परिवार में जन्म।
- सात भाई-बहनों में सुशीला कार्की सबसे बड़ी।
- 1971 में महेंद्र मोरंग मल्टीपल कैंपस से बीए की पढ़ाई की।
- 1974 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया।
- 1977 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की।
- 1978 से अपने गृह नगर विराटनगर से वकालत शुरू की।
- 1985 में महेंद्र मल्टीपल कैंपस में अध्यापन किया।
- कोर्ट ऑफ अपील्स बार एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रहीं।
