उत्तरी ध्रुव के नजदीक स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट अपने में एक अनोखी और खास तरह की परियोजना है जिसे 'डूम्सडे वॉल्ट' भी कहा जाता है। इसका काम दुनिया की विभिन्न फसलों के बीजों को सुरक्षित रखना है ताकि किसी आपदा या प्राकृतिक संकट के समय इन बीजों से फसलों को फिर से उगाया जा सके। यह वॉल्ट नॉर्वे देश के स्वालबार्ड की पहाडियों के बीच बर्फीले क्षेत्र में बना हुआ है। यहां हमेशा ठंड रहती है और प्राकृतिक रूप से चीजें लंबे समय तक सुरक्षित रह सकती हैं।
स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट का इतिहास
स्वालबार्ड सीड वॉल्ट का निर्माण साल 2004 में शुरू हुआ था और आधिकारिक रूप से इसे 2008 में खोला गया था। इसके निर्माण में नॉर्वे सरकार, क्रॉप ट्रस्ट और नॉर्वेजियन जनरेटिक रिसोर्स सेंटर का बड़ा हाथ था। इस वॉल्ट को बनाने का विचार 1984 में सामने आया था जब वैज्ञानिकों ने सोचा कि अगर किसी प्राकृतिक आपदा, युद्ध या महामारी की वजह से फसलें नष्ट हो जाए, तो उनको कैसे बचाया जा सकता है। इसके बाद, वैश्विक स्तर पर बीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चर्चा हुई और इस परियोजना पर काम शुरू हुआ।
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स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट को क्यों बनाया गया?
दुनिया में हजारों प्रकार की फसलें हैं, और हर फसल के कई किस्में होती हैं। लेकिन बदलते मौसम, जलवायु परिवर्तन, कीटों का प्रकोप, युद्ध और अन्य कारणों से कई पारंपरिक फसलें विलुप्त हो रही हैं। अगर इन बीजों को संरक्षित नहीं किया गया तो भविष्य में खाद्यान्न संकट हो सकता है। स्वालबार्ड सीड वॉल्ट इसी संकट से निपटने का उपाय है। इसका उद्देश्य है – पूरी दुनिया की बीजों की विविधता को संरक्षित करना और जरूरत पड़ने पर इन्हें संबंधित देशों को लौटाना।
बीजों को कैसे सुरक्षित रखा जाता है?
सीड वॉल्ट मानवनिर्मित एक खास तरह के सुरंग के अंदर स्थित है जो बर्फ से ढकी पहाड़ी में बनाई गई है। यहां का तापमान -18 डिग्री सेल्सियस के आसपास रखा जाता है ताकि बीज लंबे समय तक सुरक्षित रह सकें। बीजों को खास पैकेट्स में रखकर स्टील के कंटेनरों में जमा किया जाता है। हर बीज के साथ उसकी प्रजाति, देश और कैसे इस्तेमाल किया जाता, इसकी जानकारी भी दर्ज की जाती है।
बता दें कि बीजों को यहां जमा करने से पहले उन्हें अच्छे से सुखाया जाता है ताकि उनमें नमी न रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि नमी बीजों को खराब कर सकती है। सुखाने के बाद बीजों को एयरटाइट कंटेनर में पैक किया जाता है। इसके बाद इन्हें सीड वॉल्ट में भेजा जाता है। यह पूरा काम वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में होता है।
कौन भेज सकता है बीज?
इस वॉल्ट में दुनिया के किसी भी देश का कृषि या शोध संस्थान या फिर सीड बैंक अपने बीज भेज सकता है। जो संस्थान बीजों को जमा करता है, वही उनका इन बीजों पर पहला अधिकार रहता है। स्वालबार्ड वॉल्ट सिर्फ उन्हें सुरक्षित रखता है। अगर किसी देश को आने वाले समय में अपने बीजों की जरूरत पड़ती है, तो वह उन्हें वापस ले सकता है।
अब तक 100 से ज्यादा देशों के लाखों बीज इस वॉल्ट में जमा किए जा चुके हैं। इनमें भारत, चीन, अमेरिका, अफ्रीका जैसे बड़े देश शामिल हैं और इनके साथ दुनिया भर के अन्य देशों ने भी इसमें अपनी बीजों की किस्में सुरक्षित रखी हैं।
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विशेषताएं और सुरक्षा
सीड वॉल्ट कई तरह के प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित है। यह इतना मजबूत है कि भूकंप, बाढ़ या युद्ध जैसी स्थितियों में भी सुरक्षित रह सकता है। साथ ही पहाड़ के भीतर बने होने वजह से इसका तापमान पहले से ही ठंडा रहता है, जिससे बिजली की कम खपत होती है और बीज सुरक्षित रहते हैं।
वहीं, सुरक्षा के लिहाज से यहां पर कई स्तर की निगरानी होती है। बाहरी सुरक्षा, खास तरह के ताले और CCTV कैमरा हमेशा सक्रिय रहते हैं। बीजों को यहां इतने अच्छे तरीके से रखा गया है कि कुछ बीज 100 से 1000 साल तक भी सुरक्षित रह सकते हैं।
इसमें काम कैसे होता है?
स्वालबार्ड सीड वॉल्ट की देख नॉर्वे सरकार के हाथ में है। इसके लिए एक टीम बनी हुई है जो बीजों की सुरक्षा, देखभाल और रखरखाव की जिम्मेदारी संभालती है। इसके अलावा, समय-समय पर बीजों की जांच भी की जाती है। किसी कंटेनर में यदि किसी तरह की गड़बड़ी होती है, तो उसे ठीक किया जाता है।
बीजों का लिस्ट डिजिटल फॉर्म में भी रखा जाता है ताकि जरूरत के समय संबंधित संस्थानों को जानकारी दी जा सके। साथ ही, जब भी कोई देश अपने बीज वापस मांगता है, तो प्रक्रिया के तहत उन्हें लौटाया जाता है। बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक इस वॉल्ट में अब तक करीब 13 लाख बीजों के सैंपल रखे जा चुके हैं।