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फोर्ट नॉक्स: दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह जहां रखा है अमेरिका का सोना

अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार में कई ऐसी चीजें चर्चा में आ रही हैं जिन पर लंबे समय से बात नहीं हो रही थी। ऐसी ही चर्चा फोर्ट नॉक्स को लेकर हो रही है, आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी।

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फोर्ट नॉक्स की कहानी, Photo Credit: Khabargaon

किसी चीज को समझाने के लिए भाषा में उपमाएं दी जाती हैं। मसलन हिमालय जितना ऊंचा, समंदर जितना गहरा। ऐसे ही कोई चीज कितनी सुरक्षित है- इसके लिए कहा जाता है-'फोर्ट नॉक्स जैसी सुरक्षा।" फोर्ट नॉक्स क्या है? अमेरिका के केंटकी राज्य में एक मिलिट्री पोस्ट है। जिसका इस्तेमाल जवानों की ट्रेनिंग के लिए होता है। हालांकि यह जगह ज्यादा फेमस है, एक दूसरी वजह से। फोर्ट नॉक्स में अमेरिका का गोल्ड रिजर्व है। जिसमें रखा है 4.58 लाख किलो सोना। ऐसे समझिए कि गुजरात में मौजूद सरदार पटेल की स्टेचू ऑफ यूनिटी को सोने से बनाया जाता। तो फोर्ट नॉक्स में मौजूद सोने से ऐसे 16 स्टैच्यू बनाए जा सकते हैं।
  
इस सोने की कीमत- लगभग 290 बिलियन डॉलर यानी लगभग 24,17,730 करोड़ रुपये। यह अमेरिका के कुल गोल्ड रिजर्व का लगभग आधा है लेकिन तब भी फोर्ट नॉक्स में दुनिया में किसी और देश के मुकाबले ज्यादा सोना है। सोना है तो जाहिर है- सुरक्षा भी कड़ी होगी। 


इसी कड़ी सुरक्षा के चलते फोर्ट नॉक्स को दुनिया की सबसे सिक्योर बिल्डिंग माना जाता है। 1945 के बाद अमेरिका का कोई राष्ट्रपति भी इसके अंदर नहीं जा पाया है। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल में कहा कि वे इस सिलसिले को तोड़ेंगे। एलन मस्क के साथ वह फोर्ट नॉक्स जाएंगे ताकि देख सकें कि फोर्ट नॉक्स में सोना सही सलामत है भी या नहीं।

 

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फोर्ट नॉक्स को क्यों माना जाता है दुनिया की सबसे सिक्योर बिल्डिंग? फोर्ट नॉक्स में इतना सोना आया कहां से? और सोने के अलावा वह कौन सी सीक्रेट चीज है, जिसे न्यूक्लियर युद्ध की स्थिति में फोर्ट नॉक्स में छुपाकर रखा गया है। 

 

फोर्ट नॉक्स में कहां से आया सोना?

 

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दिनों की बात है। अमेरिका के केंटकी राज्य के लुईविल शहर में एक ट्रेनिंग कैम्प बनाया गया। इसे नाम दिया गया फोर्ट नॉक्स। यह नाम हेनरी नॉक्स के नाम पर रखा गया था। 18वीं सदी में अमेरिका ने जब ब्रिटेन से आजदी के लिए युद्ध लड़ा, नॉक्स उस युद्ध में चीफ ऑफ आर्टिलरी थे और बाद में अमेरिका के पहले वॉर सेक्रेटरी बने थे। बहरहाल, फोर्ट नॉक्स को पहले विश्व युद्ध के लिए बनाया गया था लेकिन युद्ध के बाद भी यह जारी रहा और 1932 में इसे स्थायी मिलिट्री पोस्ट बना दिया गया। एक लाख नौ हज़ार एकड़ में फैला यह इलाका आज भी मिलिट्री सेंटर के तौर पर इस्तेमाल होता है।

 

 

मिलिट्री सेंटर था तो फिर सोना कहां से आया?

 

1930 का दशक। अमेरिका में ग्रेट डिप्रेशन की शुरुआत हुई। अमेरिका मंदी की हालत में पहुंच गया। लोगों को तत्काल राहत देने का एक रास्ता था। डॉलर की छपाई। जैसा कोविड महामारी के दौरान किया गया लेकिन 1930 में इस राह में एक रोड़ा था। दुनिया गोल्ड स्टैण्डर्ड पर चलती थी। यानी डॉलर उतने ही छापे जाएंगे जितना गोल्ड होगा। गोल्ड की मात्रा बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूज़वेल्ट ने एक रास्ता चुना। एक नया कानून पास किया गया। जिसके तहत: देश का सोना बाहर नहीं जा सकता, आम जनता सोना नहीं रख सकती, सरकार  सोना खरीदेगी, वह भी ज़्यादा कीमत पर।

 

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अप्रैल 1933 में रूज़वेल्ट ने गोल्ड एक्ट बनाया। इसके तहत 1 मई 1933 से पहले सारे अमेरिकी नागरिकों को अपने पास मौजूद सोना फेडरल रिज़र्व में जमा करना था। सारा सोना सरकार के पास जमा हुआ, जिसने उन्हें साढ़े 27 पाउंड के गोल्ड बार्स में ढाला। 1931 से पहले 30 ग्राम सोने की कीमत 20 डॉलर थी। रूजवेल्ट ने इसे बढ़ाकर 35 डॉलर कर दिया। नतीजा? पूरे अमेरिका में गोल्ड रश शुरू हो गया। लोगों ने गोल्ड की खोज में खदानें खाली कर दीं। एक और रोचक बात यह हुई कि दुनियाभर से सोना अमेरिका आने लगा। 
कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि ज़्यादातर सोना साउथ अफ्रीका की खदानों से आया। कुछ यूरोपी बैंकों से भी आया, मुख्य रूप से फ्रांस और ब्रिटने से। कारण आसान था कि सरकार मुंह मांगा दाम दे रही थी।

 

1933 से 1939 के बीच अमेरिका के गोल्ड रिजर्व में भरपूर हुआ। कुल कितना सोना जमा हुआ? करीब 2 करोड़ किलो! इतना ज़्यादा कि 1940 के अंत तक अमेरिका के पास दुनिया के कुल सोने का 80% हिस्सा था। अब इतने सारे गोल्ड के चलते सरकार को डॉलर प्रिंट करने में तो मदद मिली लेकिन बाद में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया कि इस गोल्ड को रखा कहां जाए। न्यू यॉर्क और फिलेडेल्फिया में अमेरिका के मिंट ऑफिस थे। मतलब यहां से डॉलर छपते थे। लिहाजा शुरुआत में सारा गोल्ड यहीं रखा हुआ था। ये दोनों राज्य अमेरिका के कोस्टल इलाके में पड़ते हैं। मतलब समंदर के नजदीक।  अगर कभी हमला हो तो ये शहर पहले निशाना बनते। ऐसे में साल 1935 में ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने फैसला किया कि इस सोने को किसी और सुरक्षित जगह रखना होगा। इस काम के लिए फोर्ट नॉक्स को चुना गया।

 

फोर्ट नॉक्स एकदम सही चुनाव था। यहां पहले से मिलिट्री पोस्ट थी। यह इलाका एकदम बीचोंबीच पड़ता था। अटलांटिक सागर से दूरी कम से कम बारह सौ किलोमीटर। पश्चिम की तरफ अपलाचियन पर्वत श्रृंखला थी, जिससे प्राकृतिक सुरक्षा मिलती थी।

 

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इसके अलावा अमेरिका की एकमात्र पूरी तरह मेकनाइज्ड कैवलरी घुड़सवार इकाई यहीं तैनात थी। वैसे सुरक्षा की ज़िम्मेदारी अमेरिका मिंट पुलिस की होती है। इन तमाम कारणों के चलते फोर्ट नॉक्स में स्वर्ण भंडार बनाने की शुरुआत हुई। इस भवन को वर्तमान में संयुक्त राज्य बुलियन डिपोजिटरी कहा जाता है।

इस भवन में सोना कैसे पहुंचा, इसकी भी अपनी दिलचस्प कहानी है।


फोर्ट नॉक्स में सोना ट्रांसफर करने की कवायद उस वक्त में अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा स्वर्ण स्थानांतरण था। इसलिए इसे टॉप सीक्रेट ऑपरेशन की तरह दो चरणों में पूरा किया गया।
 
फेज 1: जनवरी से जून 1937


जिसमें 4908 मीट्रिक टन सोना ट्रांसफर किया गया। इस काम के लिए 39 विशेष रेलगाड़ियों का उपयोग हुआ, जिनकी सुरक्षा 215 बख्तरबंद गाड़ियां कर रही थीं। 

दूसरे चरण की शुरुआत हुई जून 1940 में, जब दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका था। इस दौरान सोने की सुरक्षा और भी जरूरी थी। लिहाजा जुलाई 1940 से मार्च 1941 के बीच 8047 मीट्रिक टन सोना ट्रांसफर किया गया। इस तरह 1942 तक करीब 13,000 मीट्रिक टन सोना फोर्ट नॉक्स में जमा हो गया।

किसने पहुंचाया इतना सोना?

 

मज़ेदार बात ये थी कि यह सोना उसी एजेंसी ने ट्रांसपोर्ट किया, जो अमेरिका में चिट्ठियां बांटती है - यूएस मेल। यूएस मेल सोना ट्रेन के ज़रिए फोर्ट नॉक्स लाता और फिर वहां मौजूद रेलवे साइडिंग से अमेरिकी सेना के ट्रक इन्हें वॉल्ट तक ले जाते। सोना ट्रकों से उतारने और वॉल्ट में रखने के लिए आसपास के ही किसानों और मज़दूरों को काम पर लगाया जाता। जब जब सोने की खेप आती लोकल अखबारों में इश्तेहार दिया जाता और इसके चलते लोग इस कवायद को देखने भी आते थे।
 
इस खजाने में सिर्फ सोना ही नहीं था। दूसरे विश्न युद्ध के दौरान कई बेशकीमती दस्तावेज़ और स्पेशल आइटम यहां रखे गए:
मसलन 
- अमेरिका का मूल संविधान- मतलब दुनिया के पहला लिखित संविधान 
- डेक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस-  यह वह ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, जिस पर पहली बार 13 कॉलोनीज ने दस्तखत कर ब्रिटेन से आजादी की घोषणा की थी। इस दस्तावेज़ को 4 जुलाई 1776 को अडॉप्ट किया गया था। इसीलिए 4 जनवरी को अमेरिका इंडिपेंडेंस डे मनाता है।   
- गुटेनबर्ग बाइबल: पन्हद्रवीं सदी में जोहान्स गुटेनबर्ग ने प्रिंटीग प्रेस का अविष्कार किया। मास लेवल पर पहली बार बाइबिल की छपाई हुई। इन्हें ही गुटेनबर्ग बाइबल कहा जाता है।     
- मैग्ना कार्टा की कॉपी। मैग्ना कार्टा इंसानी इतिहास का पहला दस्तावेज़ है। जिसने ये कहा कि राजा और उसकी सरकार कानून से ऊपर नहीं है। 1215 में ब्रिटेन ने राजा ने इस पर दस्तखत किए थे।
  
इन दस्तावेजों के अलावा स्पेशल आइटम्स की बात करें तो हंगरी के राजपरिवार ने सोवियत रूस के डर से अपने बहुमूल्य जवाहरात फोर्ट नॉक्स में रखवाए थे। 12 से 20 वीं सदी तक हंगरी के राज परिवार में की रवायत चलती थी। वह कहते थे, 'हम राजा के लिए मुकुट नहीं, मुकुट के लिए राजा ढूंढते हैं। लिहाजा 700 साल तक 50 से ज्यादा राजाओं की ताजपोशी एक ही मुकुट से हुई। जिसे होली क्राउन ऑफ हंगरी कहा जाता था। 


इन तमाम चीजों के अलावा एक खास चीज और फोर्ट नॉक्स में रखी गई। 1960 के दशक में लगभग 30 हजार किलो अफीम फोर्ट नॉक्स में जमा की गयी। 

फोर्ट नॉक्स में अफीम क्यों रखी गई?

 

कोल्ड वॉर के दौरान न्यूक्लियर हमले का डर लगातार बना हुआ था। रेडिएशन बर्न से राहत देने के लिए मॉर्फीन की जरुरत पड़ सकती थी। लिहाजा अमेरिका ने तुर्की भारत अफ़ग़ानिस्तान से ढेर अफीम खरीदकर फोर्ट नॉक्स में जमा की। कोल्ड वॉर के दौरान और चीजों के भंडार भी जमा किए गए। मसलन, 700 टन बतख के पंख, ताकि स्लीपिंग बैग और जूते बनाने में इनका इस्तेमाल हो सके। इसके अलावा 6 टन डायमंड भी फोर्ट नॉक्स में जमा किया गया था। बाकी चीजें से वक्त से साथ कहीं और शिफ्ट कर दी गई लेकिन हजारों किलो अफीम का भंडार आज भी फोर्ट नॉक्स में मौजूद है।   

इनकी सुरक्षा का क्या इंतज़ाम है?

 

किस्सा है कि जब फोर्ट नॉक्स को बनाया गया तो इसे ड्रिलिंग रेजिस्टेंस बनाने के लिए एक स्पेशल कंक्रीट मिक्सचर बनाया गया था, जिसका फॉर्मूला बाकायदा क्लासिफाइड किया गया था। यू.एस. ट्रेजरी डिपार्टमेंट्स हिस्टोरिकल आर्काइव्स के अनुसार, फोर्ट नॉक्स को बनाने के लिए 453 क्यूबिक मीटर ग्रेनाइट, 3211 क्यूबिक मीटर कंक्रीट और 1287 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। इस बिल्डिंग को कुछ इस तरह बनाया गया है कि न्यूक्लियर हमले की स्थिति में भी यह सुरक्षित रहे। कुछ डिटेल्स देखिए-

-4 फीट मोटी दीवारें
-मुख्य तिजोरी का दरवाजा लगभग 22 टन वजन का है और इतना भारी है कि हाइड्रोलिक मशीनरी से ही खोला जा सकता है। इसमें टाइम लॉक और मल्टी-डायल कॉम्बिनेशन लॉक लगे हुए हैं।
-मुख्य तिजोरी का दरवाजा 100-आवर टाइम लॉक पर सेट रहता है। यानी निश्चित टाइम पर ही दरवाजे को खोला जा सकता है।
-इतना ही नहीं, कोई एक शख्स लॉक को नहीं खोल सकता। खोलने के लिए कई स्टाफ मेंबर्स को अलग-अलग कॉम्बिनेशन डालने पड़ते हैं।
-असली खजाना अंडरग्राउंड वॉल्ट में है। 
-दो मंजिला वॉल्ट 4,000 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है।
-तहखाने में बनी सुरंगें, जो इमरजेंसी में उपयोग की जा सकती हैं।

 

इन सबके अलावा मॉडर्न इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटी सिस्टम्स का भी पर्याप्त इंतजाम है। मोशन डिटेक्टर, सीसीटीवी, सेंसर, रडार—फोर्ट नॉक्स का तहखाना इन तमाम सुरक्षा इंतज़ामों से लैस है।

 

इतने से भी पार पा लिया तो आर्मी को मत भूलिए। फोर्ट नॉक्स मिलिट्री इंस्टॉलेशन्स के बीचों-बीच बना हुआ है। ये ‘नो फ्लाई ज़ोन’ है, जहां हर समय लगभग 26000 जवान मौजूद रहते हैं। साठ साल तक फोर्ट नॉक्स में यू.एस. आर्मी आर्मर सेंटर एंड स्कूल चला करता था, जहां यू.एस. आर्मी और मरीन कॉर्प्स के जवान टैंक्स ऑपरेट करना सीखते थे। वियतनाम, डेज़र्ट स्टॉर्म, इराक वॉर, अफगानिस्तान की लड़ाई- इन सारे युद्धों के टैंक क्रूज़ ने फोर्ट नॉक्स में ही टैंक चलाना सीखा था। अब यह स्कूल जॉर्जिया शिफ्ट हो गया है। 2014 से यहां यू.एस. आर्मी कैडेट कमांड तैनात है, जहां अफसरों की समर ट्रेनिंग होती है। फोर्ट नॉक्स ही यू.एस. आर्मी की 5 कोर का हेडक्वार्टर भी है।

 

इन सुरक्षा इंतज़ामों के चलते फोर्ट नॉक्स सिक्योरिटी का दूसरा नाम है। इस उपमा की शुरुआत 1964 के बाद हुई थी। उस साल जेम्स बॉन्ड सीरीज़ की एक फिल्म रिलीज़ हुई—"गोल्डफिंगर"। फिल्म में विलेन फोर्ट नॉक्स लूटने की कोशिश करता है लेकिन सिक्योरिटी इतनी स्ट्रॉन्ग होती है कि अंत में परमाणु बम से हमले का सहारा लेता है।

इस फिल्म के बाद फोर्ट नॉक्स की सिक्योरिटी मिथक में तब्दील हो गई और तब से लेकर अब तक लोगों के बीच इसे लेकर कौतूहल बना रहता है। इस उत्सुकता ने कई कॉन्सपिरेसी थियोरीज़ को भी जन्म दिया है। मसलन, कुछ लोग मानते हैं कि फोर्ट नॉक्स में सीक्रेट मेडिकल एक्सपेरिमेंट्स किए जाते हैं। तो कई मानते हैं कि फोर्ट नॉक्स का सारा सोना गायब हो गया है। इस बात को छुपाने के लिए ही इसे गोपनीय बनाए रखा जाता है।

अफवाहों के बाद क्या किया गया?

 

और बात सिर्फ कॉन्सपिरेसी तक ही सीमित नहीं है। 1970 के दशक की शुरुआत में कुछ लोगों ने अचानक कहना शुरू कर दिया था कि फोर्ट नॉक्स में सोना नहीं है। कई नेताओं ने बयान दिए। मीडिया में कॉन्सपिरेसी थियोरीज़ छपने लगीं। जब पानी सर से ऊपर जाने लगा, तो 1974 में अमेरिकी कांग्रेस और सीनेट के सांसदों, पत्रकारों और मीडिया को फोर्ट नॉक्स में वॉल्ट दिखाया गया। सोना था और सुरक्षित था लेकिन इसके बाद प्रशासन को पारदर्शिता का महत्व समझ आया। तो 1975 से फोर्ट नॉक्स के वॉल्ट के हर कंपार्टमेंट में मौजूद सोने का ऑडिट शुरू हुआ। सोने का वज़न होता, गुणवत्ता की जाँच होती और बुलियन्स, माने सोने की ईंटों को गिना जाता और फिर कंपार्टमेंट के बाहर बोर्ड पर लिखा जाता कि अंदर कितने गोल्ड बुलियन्स हैं।

 

साल 2011 में इंटरनेट पर ऐसी ही एक थियोरी खूब चली थी। जब आईएमएफ के पूर्व चीफ डोमिनिक स्ट्रॉस काह्न को सेक्स क्राइम्स के चलते अमेरिका में गिरफ्तार किया गया। इस मामले में थियोरी चली कि रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन ने एक जांच करवाई। जिसमें कहा गया कि आईएमएफ चीफ की गिरफ्तारी का रिलेशन फोर्ट नॉक्स से है। दावा था कि उन्हें पता चल गया है कि फोर्ट नॉक्स का सोना गायब हो गया है। इसलिए अमेरिकी सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। एलन मस्क भी हाल में ऐसी बातों को हवा देते रहे हैं। जिनके मुताबिक फोर्ट नॉक्स का सोना गायब हो चुका है।

 

इन तमाम कॉन्सपिरेसी थियोरीज़ को बल मिलने का एक बड़ा कारण है कि गिनती के सिर्फ ऐसे मौके आए हैं, जब फोर्ट नॉक्स के दरवाजे खोले गए। फ्रेंकलिन डी. रूज़वेल्ट—पहले और एकमात्र प्रेसिडेंट थे जिन्होंने फोर्ट नॉक्स का दौरा किया। 1974 में जब सोने की मात्रा पर कयास लगने शुरू हुए, तो कुछ कांग्रेस मेंबर्स और मीडिया को अंदर जाने का मौका मिला। जिन्होंने सोने के होने की पुष्टि की। 21वीं सदी में आएं तो 2010 में अमेरिकी संसद रॉन पॉल ने सोने की सच्चाई जानने के लिए गोल्ड ऑडिट की मांग उठाई। 2017 में ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान ट्रेजरी सेक्रेटरी ने अंदर जाकर तहकीकात की। अब एलन मस्क को परमिशन मिली है कि वे अंदर जाकर सोने का ऑडिट करें तो अब मस्क पता लगाएंगे कि सोना कितना सोना है? सोने पर कहीं रत्ती भर सुहागा निकल गया तो ट्रम्प की पर्सनालिटी के अनुसार, अगला बड़ा हंगामा होना निश्चित है!

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