अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को रेसिप्रोकल टैक्स की चेतावनी दी है। फ्लोरिडा में पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि भारत हमारे उत्पादों पर 100 फीसदी तक इंपोर्ट टैक्स लगाता है। अगर भारत ने इसे कम नहीं किया तो हम भी भारतीय उत्पादों पर 100 फीसदी टैक्स वसूलेंगे। इस प्रक्रिया को ही रेसिप्रोकल टैक्स कहते है। भारत के अलावा ट्रंप ने ज्यादा टैक्स वसूली के मामले में ब्राजील को भी घेरा। 

 

ट्रंप ने कहा, 'हम जवाबी टैक्स लगाएंगे। चाहे ये देश कुछ भी सोचें , हमें फर्क नहीं पड़ता। हम अमेरिकी हित देखेंगे।' बता दें कि ट्रंप ने जवाबी टैक्स को लेकर भारत समेत अन्य देशों को कई बार घेरा है। अक्तूबर में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कई बार भारत, ब्राजील और चीन पर ज्यादा इंपोर्ट टैक्स का आरोप लगाया था। हालांकि, उन्होंने इस बार चीन का नाम नहीं लिया। 

 

ऐसे में आइये समझते हैं कि अमेरिका किन-किन देशों पर रेसिप्रोकल टैक्स लगाने का बना रहा प्लान?

 

टैरिफ क्या है?

इन्वेस्टोपेडिया के अनुसार, टैरिफ एक ऐसा टैक्स है जो किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसका भुगतान सीमा पर किया जाता है। टैरिफ एक ऐसा तरीका है जिससे सरकारें अपना संग्रह बढ़ा सकती हैं। हालांकि, टैरिफ पर बहस आज भी जारी है कि वो अच्छे हैं या बुरे। वहीं,  रेसिप्रोकल टैक्स को एक ऐसी नीति के रूप में समझा जा सकता है, जिसमें देश समान वस्तुओं पर अपने व्यापारिक साझेदारों के समान स्तर तक टैरिफ बढ़ाते हैं। 

भारत के लिए ट्रंप का क्या प्लान?

ट्रंप ने भारत को उन देशों में शामिल किया जो कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर उच्च टैरिफ लगाते हैं। ट्रंप ने भारत से आने वाले सामानों पर 100 प्रतिशत और 200 प्रतिशत टैरिफ लगाने की कसम खाई है। ट्रंप ने कहा, 'रेसिप्रोकल महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर भारत हमसे 100 प्रतिशत शुल्क लेता है, तो क्या हम उनसे इसके लिए कुछ भी नहीं लेते हैं? भारत बहुत ज्यादा शुल्क लेता है। ऐसे में अगर वो हमसे शुल्क लेना चाहते हैं, तो हम भी उनसे वही शुल्क लेंगे।' बता दें कि वर्ष 2019 में ट्रंप ने भारत को टैरिफ किंग करार दिया था। 

 

ट्रंप ने भारतीय स्टील और एल्युमीनियम पर उच्च टैरिफ लगाया हुआ है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारतीय ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और फार्मास्यूटिकल्स को इस बार निशाना बनाया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप का चीन, मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ लगाने से भारत के लिए अवसर पैदा हो सकते हैं।

चीन के लिए ट्रंप का क्या प्लान?

ट्रंप ने चीन से आयात पर उच्च शुल्क लागू करने की कसम खाई है। CNN के अनुसार, चीन से आयातित वस्तुओं पर वर्तमान में औसतन 2 प्रतिशत शुल्क है जिसे 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता हैं। अवैध तरीके से ड्रग्स तस्करी के विरोध में ट्रंप ने चीन पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत शुल्क लगाने की भी कसम खाई है। इसको लेकर ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया ट्रुथ पर एक पोस्ट भी साझा किया था। उन्होंने लिखा था कि 'मैंने चीन के साथ अमेरिका में भेजी जा रही भारी मात्रा में ड्रग्स, विशेष रूप से फेंटेनाइल के बारे में कई बार बातचीत की है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 

मेक्सिको और कनाडा के लिए ट्रम्प की योजना क्या?

सत्ता में आते ही ट्रंप  मेक्सिको और कनाडा से आयातित सभी वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे। अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था  कि वह मेक्सिको से आयातित कारों पर 1,000 प्रतिशत या उससे अधिक टैरिफ लगा सकते हैं। ड्रग्स और अवैध अप्रवासियों को अमेरिका की सीमा पार करने की अनुमति देने के मामले में ट्रंप ने दोनों देशों को लेकर कहा कि 'अब समय आ गया है कि उन्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़े!'

 

वहीं, मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने चेतावनी दी है कि इस तरह के कदम से मुद्रास्फीति और नौकरी छूटने की स्थिति पैदा होगी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी इस मामले में अपना रुख स्पष्ट रखा है। हालांकि, कनाडाई एमपी डग फोर्ड का मानना है कि  टैरिफ 'अमेरिका और कनाडा दोनों में कामगारों और नौकरियों के लिए विनाशकारी'साबित होंगे। 

अमेरिका किन देशों के साथ व्यापार करता है?

चीन, मैक्सिको और कनाडा अमेरिका के तीन सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। यू.एस. व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के अनुसार, 2022 तक इनका कुल निर्यात 830 बिलियन डॉलर और आयात 1.43 ट्रिलियन डॉलर था। द गार्जियन ने अर्थशास्त्रियों के हवाले से कहा कि ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी परिवारों पर सालाना खर्च 1,900 डॉलर (1.6 लाख रुपये) से 7,600 डॉलर (6.5 लाख रुपये) के बीच बढ़ सकता है।इसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति में 1.4 प्रतिशत से 5.1 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

2022 में अमेरिकी माल आयात के टॉप 5 सप्लायर थे ये

चीन (536.3 बिलियन डॉलर), मेक्सिको (454.8 बिलियन डॉलर), कनाडा (436.6 बिलियन डॉलर), जापान (148.1 बिलियन डॉलर), और जर्मनी (146.6 बिलियन डॉलर)।