पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद आसीम मुनीर ने तमाम अटकलों के बीच आधिकारिक रूप से चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) का पद संभाल लिया है। पाकिस्तान की संसद ने संविधान में संशोधन कर सेना की शक्ति और बढ़ा दी है। इस कदम ने भारत की चिंताए भी बढ़ा दी हैं। नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड (NSAB) के पूर्व सदस्य तिलक देवेशर ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि मुनीर को यह अतिरिक्त शक्ति मिलना भारत के लिए इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि वह भारत-विरोधी एजेंडे के जरिए अपनी सेना और जनता को लुभाने की कोशिश करते रहे हैं।
NSAB सदस्य तिलक ने कहा कि आधिकारिक रूप से यह साफ न हो कि मुनीर अब आर्मी चीफ हैं या नहीं, फिर भी उनके पास इतना असर है कि वे कुछ भी करवा सकते हैं। उनके अनुसार. पाकिस्तान खुद इस बात को लेकर अनिश्चित है कि आर्मी चीफ कौन है और अगर मुनीर के मन में भारत पर दबाव बनाने या कोई घटना भड़काने का विचार आ गया तो हालात और खतरनाक हो जाएंगे।
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27वां संशोधन क्या है?
पाकिस्तानी संसद ने 12 नवंबर को सेना की ताकत बढ़ाने वाला 27वां संवैधानिक संशोधन पास किया था। इसके अतंर्गत आसिम मुनीर को तीनों सेनाओं का सुपर चीफ यानी CDF बना दिया गया। इससे सेना को और ज्यादा ताकत मिल गई है। थलसेना के प्रमुख को ही CDF का पद दिया जाएगा। राष्ट्रपति पीएम की सलाह पर इनकी नियुक्ति करेंगे।
NSC नाम की एक नई कमांड बनाई जाएगी। यह परमाणु हथियारों और मिसाइलों के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होगी। अब तक यह जिम्मेदारी नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) के पास थी जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते थे, लेकिन अब से NSC के पास इसकी जिम्मेदारी हो जाएगी। परमाणु कमांड की पूरी जिम्मेदारी CDF के पास ही होगी। NSC का कमांडर भले ही प्रधानमंत्री की मंजूरी से नियुक्त होगा, लेकिन यह नियुक्ति CDF की सिफारिश पर ही होगी।
सबसे जरूरी यह पद सिर्फ आर्मी के अफसर को ही दिया जाएगा। सरकार को अब अधिकारियों को फील्ड मार्शल, एयर फोर्स मार्शल और एडमिरल ऑफ द फ्लीट जैसे विशेष रैंक देने की मंजूरी होगी। सशस्त्र बलों पर भी असल कंट्रोल CDF के पास होगा, न कि राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पास।
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आसीम मुनीर आजीवन रहेंगे CDF
इस संशोधन के बाद CDF को आजीवन अभियोजन से प्रतिरक्षा मिल जाएगा। आसिम मुनीर तीन साल से सेना प्रमुख के पद पर थे। अब वह 2030 तक सेना के सर्वोच्च पद पर रहने का प्रयास करेंगे। इसके बाद वह 2035 तक भी इस पद पर रह सकते हैं। पाकिस्तान के इस नए कानून में संशोधन के मुताबिक प्रधानमंत्री के पास CDF को हटाने की भी ताकत नहीं है।
भारत के मॉडल की चोरी
भारत का CDS मॉडल पाकिस्तान की नजर में केवल एक प्रशासनिक सुधार नहीं था। इसकी वजह से भारत की तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को पहले से कहीं ज्यादा पावरफुल हो गया। पाकिस्तान में यह बार-बार तर्क दिया है कि भारत के इस कदम से ‘एनफील्ड एफेक्ट’ पैदा हुआ है। इसका मतलब है कि अगर दुश्मन एकीकृत कमान की ओर जा रहा है तो प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए हमें भी ऐसा ही कुछ करना होगा। इसलिए इसे ‘भारत के सीडीएस मॉडल का शैडो चेंज’ कहा जा रहा है।
1947 में आजाद देश बनने के बाद से पाकिस्तान ने 33 साल सीधे सैन्य शासन में बिताए हैं। इसके अलावा बाकी दशकों में नागरिक सरकारें रही, जिनके बारे में आलोचकों का कहना है कि वे अक्सर अप्रत्यक्ष सेना के प्रभाव में चलती हैं।
