अगले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप हर दिन यह बता रहे हैं कि वह अपने कार्यकाल में क्या-क्या करने वाले हैं। अब डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह डेलाइट सेविंग टाइम (DST) को खत्म करने वाले हैं। ट्रंप का मानना है कि यह अमेरिका के लिए काफी खर्चीला है और इससे नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि यह व्यवस्था होनी ही नहीं चाहिए। यह एक तरह की ऐसी व्यवस्था है जिसमें सूरज की रोशनी के हिसाब से घड़ियां सेट की जाती हैं। अमेरिका में लंबी सर्दियों के दौरान इसका इस्तेमाल किया जाता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने X पर लिखा है, 'रिपब्लिकन पार्टी इस बात की पूरी कोशिश करेगी कि डेलाइट सेविंग टाइम को खत्म किया जाए। यह बहुत कम क्षेत्र के लिए है लेकिन प्रभावी है, इसे नहीं होना चाहिए। डेलाइट सेविंग टाइम असुविधानजक है और यह हमारे देश को काफी महंगा पड़ता है।'
क्या है डेलाइट सेविंग टाइम?
बड़ा क्षेत्रफल होने की वजह से अमेरिका में एक नहीं छह टाइम जोन का इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका में गर्मियों के दिन और सर्दियों के दिन में काफी अंतर होता है। ऐसे में गर्मियों में घड़ियों को थोड़ा आगे किया जाता है। इसी को डेलाइट सेविंग टाइम कहा जाता है। अमेरिका में कानूनी तौर पर इसका प्रावधान है। US कोड के टाइटल 15, चैप्टर 6 और सब टैप्टर 9 में स्टैंडर्ड टाइम का जिक्र किया गया है। इसी में अमेरिका के सभी 6 टाइम जोन और डेलाइट सेविंग टाइम के बारे में बताया गया है।
अमेरिका के कुछ इलाकों में गर्मियों के समय में घड़ियों को एक घंटा आगे कर दिया जाता है। इसी को डेलाइट सेविंग टाइम कहा जाता है। सर्दियां आने पर घड़ियों को फिर से एक घंटा पीठे कर दिया जाता है। साल 2007 के बाद से यह काम मार्च के दूसरे रविवार और नवंबर के पहले रविवार को किया जाता है। यानी मार्च में घड़ी को एक घंटा आगे किया जाता है और नवंबर में घड़ी को एक घंटा पीछे कर दिया जाता है। हालांकि, यह काम पूरे अमेरिका में नहीं किया जाता है। हवाई और अरिजोना जैसे इलाकों में इसे अपनाया जाता है।
इसकी शुरुआत 1942 में हुई थी। अब कम लोग ही इसका इस्तेमाल करते हैं तो सवाल भी उठता है कि आखिर अब इसे क्यों जारी रखा गया है। ऐसा करने का मकसद यह था कि गर्मियों के समय में घड़ी को पीछे करके दिन में ज्यादा काम किया जा सके। अब डोनाल्ड ट्रंप समेत उनकी पार्टी के कई नेता भी इसे खत्म करने के पक्ष में हैं।
नुकसान क्या है?
एक तरफ रिटेल इंडस्ट्री का मानना है कि डेलाइट सेविंग टाइम जारी रहना चाहिए। उनका मानना है कि ज्यादा समय तक दुकानें खुलने से ग्राहक ज्यादा आते हैं और कारोबार को बढ़ावा मिलता है।
वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे इंसानों के सोने के पैटर्न में बार-बार बदलाव की वजह से खतरनाक मानते हैं। इतना ही नहीं, यह भी कहा जाता है कि इस बदलाव की वजह से सड़क हादसे भी होते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डेलाइट सेविंग टाइम की वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। एक स्टडी के मुताबिक, इन बीमारियों और मौतों की वजह से हर साल अमेरिका को अरबों रुपयों का नुकसान होता है।
साल 2013 में आई चमुरा इकोनॉमिक्स एंड अनैलटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उसी व्यक्ति डेलाइट सेविंग टाइम पर प्रतिव्यक्ति खर्च लगभग 1.12 डॉलर था। यह राष्ट्रीय औसत था। कई इलाकों में यह 5 से लेकर 8 डॉलर तक भी था। यानी लगभग 400 रुपये तक। मार्च 2023 में आए YouGuv के सर्वे के मुताबिक, 62 पर्सेंट भारतीय इसे खत्म करना चाहते हैं। वहीं, 50 पर्सेंट लोग ऐसे भी हैं जो इसे स्थायी बना देना चाहते हैं।