अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में हर मुद्दे पर प्रमुखता से बोल रहे हैं। उन्होंने 9 मार्च को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक आर्टिकल शेयर किया, जिसको लेकर तेज चर्चा होने लगी है। शेयर किए गए आर्टिकल में 'पिंक ट्राएंगल' की एक तस्वीर दिखाई दे रही है। यह तस्वीर नाजी शिविरों में समलैंगिक पुरुषों की पहचान करने के लिए होलोकॉस्ट के दौरान इस्तेमाल किया जाता था।

 

अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही ट्रंप ने LGBTQ+ की नीतियों को धराशाई करना शुरू कर दिया है। उन्होंने इसको लेकर कई आदेश भी जारी किए हैं। ट्रंप ने अमेरिकी सरकार की नौकरियों में केवल दो लिंगों को मान्यता देकर सरकार और सेना में विविधता कार्यक्रमों को हटाने का निर्देश दिया है। 

 

ट्रंप ने सेना में नौकरी करने से बैन किया

 

उन्होंने ट्रांसजेंडर लोगों को एक बार फिर से सेना में नौकरी करने से बैन कर दिया है। वहीं, ट्रांसजेंडर युवतियों की स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रतिबंधित कर दी हैं। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर जो आर्टिकल शेयर किया है उसका शीर्षक 'ट्रंप सरकार में सेना भर्ती विज्ञापन काफी अलग दिखता है'। इस आर्टिकल को वॉशिंगटन टाइम्स के लिए पूर्व अमेरिकी सेना खुफिया चीफ जेरेमी हंट ने लिखा है।

 

यह भी पढ़ें: बलूचिस्तान vs पाकिस्तान: दोनों के रिश्ते 'खूनी संघर्ष' में कैसे बदले?

 

यह तीसरा मौका है जब ट्रंप के प्रशासन से जुड़े लोगों को नाजियों से जुड़े सिंबल्स से जोड़ा गया है। अब ट्रंप ने इस आर्टिकल में पिंक ट्राएंगल की तस्वीर को शेयर करके संदेश देने की कोशिश की है। 

 

पिंक ट्राएंगल क्या है?

 

पिंक ट्राएंगल का इस्तेमाल नाजी शासन के दौरान समलैंगिक पुरुषों की पहचान करने के लिए किया जाता था। यह ठीक उसी तरह से किया जाता था जैसे पीले तारे (Star) का इस्तेमाल यहूदी लोगों के लिए किया जाता था। साल 1933 से नाजी की नीतियों ने जर्मनी को शुद्ध करने के नाम पर समलैंगिक लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।

 

नाजी शिविरों में पिंक ट्राएंगल से चिह्नित लोगों के साथ में दुर्व्यवहारों किया जाता था। इसमें उनके साथ मेडिकल एक्सपेरिमेंट, बधिया करना शामिल था। गुलाबी रंग का इस्तेमाल इस इसके लिए किया गया था कि कि समलैंगिक पुरुष 'स्त्री' होते हैं। कुछ समलैंगिकों को पिंक ट्राएंगल भी दिया गया था, लेकिन ज्यादातर को काला ट्राएंगल दिया गया था। इससे उन्हें असामाजिक के रूप में दिखाया गया था क्योंकि वे नाजियों के आदर्श पारिवारिक ढांचे में फिट नहीं थे।