कनाडा के अगले प्रधानमंत्री मार्क कार्नी होंगे। लिबरल पार्टी ने उन्हें कनाडा का अगला प्रधानमंत्री चुना है।  वे जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे। कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री बनने जा रहे मार्क कार्नी बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके हैं।


जस्टिन ट्रूडो ने इस साल 6 जनवरी को अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। लिबरल पार्टी ट्रूडो से खुश नहीं थी। 9 मार्च को ट्रूडो ने अपना पद छोड़ दिया। ट्रूडो के इस्तीफे के ऐलान के बाद से ही मार्क कार्नी प्रधानमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहे थे।


पद छोड़ते हुए ट्रूडो ने भावुक होते हुए लिबरल पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा, 'आपके देश को शायद पहले से कहीं ज्यादा आपकी जरूरत है। मुझे इस बात पर कोई शक नहीं है कि आप ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि आपने पहले भी ऐसा किया है।' वहीं, कनाडा का प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद मार्क कार्नी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा, 'कनाडा कभी भी अमेरिका का हिस्सा नहीं बनेगा।'

 

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पीएम की रेस कैसे जीते मार्क?

लिबरल पार्टी के अध्यक्ष सचित मेहरा ने मार्क कार्नी की जीत का ऐलान किया। मार्क को ट्रंप का विरोधी माना जाता है। उनकी जीत की एक बड़ी वजह ट्रंप विरोधी होने को भी माना जा रहा है। ज्यादातर सर्वे में ट्रंप के विरोध के चलते ही मार्क बाकी उम्मीदवारों से आगे रहे।


रविवार रात हुई वोटिंग में मार्क कार्नी को 1,31,674 यानी 85.9 फीसदी वोट मिली। वहीं, पीएम रेस में शामिल पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड को 11,134 और करीना गौल्ड को 4,785 तो फ्रैंक बेलिस को 4,038 वोट ही मिले।

 


पीएम पद की रेस जीतने के बाद मार्क ने ट्रंप पर पलटवार करते हुए कहा, 'अमेरिका कनाडा नहीं है। कनाडा कभी भी अमेरिका का हिस्सा नहीं बन सकता।' उन्होंने आगे कहा, 'अमेरिकी कनाडा के संसाधन, पानी, जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। अगर वे इसमें कामयाब हो गए तो हमारी जिंदगी तबाह कर देंगे।'

 

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कौन हैं मार्क कार्नी?

मार्क कार्नी का जन्म कनाडा की नॉर्थवेस्ट टेरिटरी के फोर्ट स्मिथ में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई एडमॉन्टन में हुई। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल की। बाद में वे ब्रिटेन चले गए और 1995 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री ली।


मार्क को 2008 में बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर नियुक्त किया गया था। मार्क ऐसे वक्त गवर्नर बने थे, जब दुनियाभर में मंदी छाई थी। ऐसे वक्त में कनाडा को मंदी से निकालने का श्रेय उन्हें मिलता है। 2010 में टाइम्स मैग्जीन ने उन्हें दुनिया के टॉप 25 प्रभावशाली नेताओं की लिस्ट में रखा था। 2011 में रीडर्स डाइजेस्ट कनाडा ने उन्हें 'सबसे भरोसेमंद कनाडाई' के रूप में सम्मानित किया गया था और 2012 में यूरोमनी मैग्जीन ने उन्हें 'सेंट्रल बैंक गवर्नर ऑफ द ईयर' चुना था। 


2013 तक बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रहने के बाद मार्क ब्रिटेन चले गए और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर बने। 300 साल के इतिहास में यह पहली बार था जब कोई गैर-ब्रिटिश नागरिक बैंक ऑफ इंग्लैंड का गवर्नर बना था। मार्क 2020 तक इस पद पर बने रहे।

 

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ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट से शादी

1994 में मार्क ने ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट डायना फॉक्स से शादी की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्क और डायना की मुलाकात तब हुई थी, जब वे दोनों ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई कर रहे थे। 


डायना फॉक्स के पास कनाडा और ब्रिटेन, दोनों की नागरिकता है। पिछले कुछ सालों में डायना ने अफ्रीका, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में काफी काम किया है।

 


मार्क और डायना के चार बच्चे हैं। शुरुआत में दोनों टोरंटो में रहते थे लेकिन बाद में ओटावा के रॉकक्लिफ पार्क इलाके में रहने लगे। 2013 में बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर का पद संभालने के बाद वे लंदन चले गए। 2020 में फिर दोनों ओटावा लौट आए।

राजनीति का अनुभव नहीं

मार्क कार्नी के पास राजनीति या सरकार में काम करने का कोई अनुभव नहीं है। वे कभी भी किसी राजनीतिक पद पर नहीं रहे हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री पद की रेस में बस यही उनके खिलाफ था। हालांकि, इसके बावजूद मार्क प्रधानमंत्री बनने में कामयाब रहे। उनका दावा था कि अकेले वही हैं, जो ट्रंप से निपट सकते हैं। उन्होंने कहा था, 'मुझे पता है संकटों से कैसे निपटा जाता है।'