20 जनवरी को शपथ ग्रहण के बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार एक के बाद एक फैसले लेते जा रहे हैं। अब अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मार्को रुबियो ने कई देशों को दी जाने वाली सहायता पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। हालांकि, यह रोक इजरायल और मिस्र पर नहीं लगाई गई है।

 

यह फैसला  अमेरिका की पहले की विदेश नीति से एक शिफ्ट है। इसका बड़ा असर उन देशों पर पड़ेगा जो अपनी तमाम विकास परियोजनाओं और सैन्य सहायता के लिए अमेरिकी सपोर्ट पर निर्भर थे।

 

खबरों के मुताबिक अमेरिकी शासन ने कहा कि जब तक पुराने दिए गए फंड का रिव्यू नहीं किया जाता तब तक नए फंड रिलीज नहीं किए जाएंगे।

 

ट्रंप ने चुनाव पहले भी इस तरह के संकेत दिए थे जो कि उनकी अमेरिका फर्स्ट की नीति का ही एक पहलू है। ट्रंप के इस फैसले से काफी देशों पर फर्क पड़ने वाला है।

क्या होगा यूक्रेन का

ट्रंप के इस फैसले से एक्सपर्ट्स इस बात पर एकमत नहीं हो पा रहे हैं कि ऐसे में यूक्रेन का क्या होगा, क्योंकि बाइडेन के कार्यकाल में यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार दिए गए थे।

 

एएफपी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पीईपीएफएआर के लिए अमेरिका से दी जाने वाली फंडिंग में कम से कम कई महीनों की रोक लग सकती है।

इजरायल और मिस्र क्यों अलग

बता दें कि मिडिल ईस्ट में इजरायल अमेरिका का मित्र देश है और अमेरिका ने हमेशा इसका साथ दिया है। इसी तरह से मिस्र को भी अमेरिका से हमेशा से सहायता मिलती रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसीलिए अमेरिका ने इसकी फंडिंग को बंद करने का फैसला नहीं लिया है। यह इजरायल के लिए अच्छी खबर है क्योंकि वह इस वक्त हमास के साथ युद्ध में उलझा हुआ है।

 

इन दोनों देशों को अमेरिका विदेशी सहायता देता रहा है। आंकड़े की बात करें तो इजरायल को 3.3 बिलियन डॉलर और मिस्र को लगभग 1.3 बिलियन डॉलर की सहायता दी जाती है।

क्या होगा असर

न सिर्फ यूक्रेन बल्कि जॉर्जिया, एस्टोनिया, लाटविया, लिथुआनिया, ताइवान और अन्य एशियाई देश व लैटिन अमेरिका और अफ्रीका इत्यादि को अमेरिका की तरफ से डिफेंस और सिक्युरिटी ऑपरेशन्स के लिए फंडिंग मिलती है। अब अमेरिका के रोक लगा देने से इन देशों के ऊपर भी प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा पाकिस्तान जैसे अन्य भी तमाम देश इससे प्रभावित होंगे।