अमेरिकी चुनावों में प्रचंड बहुमत से वापसी करने वाले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने BRICS देशों चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर वे अमेरिकी डॉलर से इतर किसी अन्य करेंसी को स्वीकृति देने जा रहे हैं तो उन्हें 100 फीसदी टैरिफ अदा करना पड़ेगा। BRICS देश, नई करेंसी ब्रिक्स डॉलर पर समझौते की तैयारी कर रहे हैं, जिस पर अब डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ कहा है कि ब्रिक्स देश, साफ तौर पर यह कह दें कि वे डॉलर के विकल्प में कोई मुद्रा नहीं बनाएंगे, न ही बनाने की दिशा में कदम उठाएंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा।
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ' पर पोस्ट किया, 'ब्रिक्स देशों का डॉलर से दूर जाने की कोशिश करने का विचार खत्म हो चुका है। हम चाहते हैं कि ये देश वादा करें कि वे न तो नई बिक्स करेंसी बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य करेंसी का समर्थन करेंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें अमेरिकी बाजार से दूर रहना होगा और 100 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।'
'US डॉलर को और मजबूत बनाना चाहते हैं ट्रम्प'
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वे अमेरिकी डॉलर से दूर जाने वाले देशों के लिए इसे और महंगा बना देंगे। उन्होंने अमेरिकी डॉलर में व्यापार न करने वाले देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। अब एक बार फिर वे राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं, उन्होंने संकेत दिया है कि अमेरिका से अलग अर्थव्यवस्था में डील करने वाले देशों को पाबंदियो का सामना करना होगा।
'टैरिफ पर मंथन कर रहे हैं ट्रम्प'
डोनाल्ड ट्रम्प और उनके आर्थिक सलाहकार उन देशों पर टैरिफ लगाने का विचार कर रहे हैं, जिन्होंने डॉलर से अलग मुद्राओं में व्यापार किया है। डोनाल्ड ट्रम्प अरसे से चाहते रहे हैं कि अमेरिकी डॉलर में ही दुनिया व्यापार करे। इसे वे दुनिया के लिए रिजर्व्ड करेंसी बनाना चाहते हैं। BRICS देशों की पहल उन्हें रास नहीं आई है, वे किसी भी वैकल्पिक मुद्रा में व्यापार को मंजूरी नहीं देना चाहते हैं।
अब ट्रम्प ने क्यों छेड़ा है राग?
BRICS समिट 2023 के दौरान सहयोगी देशों ने डॉलर के मुकाबले ब्रिक्स डॉलर को अस्तित्व में लाने की बात कही थी। अमेरिकी चुनावों में भी डोनाल्ड ट्रम्प ने इस बात का जिक्र किया था और कहा था कि वे ऐसा होने नहीं देंगे। डोनाल्ड ट्रम्प ने सहयोगियों से डी-डॉलराइजेशन पर बैठक के बाद कहा कि इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा। कोई भी देश जो ऐसा करने की कोशिश करता है, उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए।
'अमेरिका प्रथम की नीति पर आगे बढ़ रहे हैं ट्रम्प'
ट्रम्प अपने चुनावी कैंपेन में इस बार राष्ट्रवाद की मुख्य मुद्दा बनाया है। उनके दूसरे कार्यकाल से पहले दुनियाभर के वैश्विक बाजारों में अटकलें चल रही हैं। उन्होंने धमकी दी है कि अगर कुछ देश, अमेरिकी सीमाओं पर ड्रग और अवैध प्रवासियों को आने से नहीं रोकते हैं तो वे चीन से आने वाले सामानों पर 10 प्रतिशत और मैक्सिको और कनाडा से आने वाले उत्पादों पर 25 फीसदी से ज्यादा टैरिफ लगाएंगे। ट्रम्प की धमकी से कानाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, शुक्रवार को उनसे मिलने पहुंच गए।
BRICS में कौन-कौन से देश शामिल हैं?
BRICS, नौ ताकतवर देशों का समूह है। ब्रिक्स देशों में, ब्राजील, रूस, भारत, चीन , दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथोपिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) शामिल हैं। साल 2006 में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने मिलकर BRIC समूह बनाया था। 2010 में दक्षिण अफ्रीका भी इसमें शामिल हो गया, जिससे यह ब्रिक्स बन गया।
BRICS का मकसद क्या है?
BRICS स्थापना का मकसद विश्व के सबसे बड़े विकासशील देशों को एक साथ लाना था। यह समूह, उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के धनी देशों की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति को चुनौती देने के लिए अस्तित्व में आया था। ब्रिक्स देशों की संयुक्त जनसंख्या, दुनिया की आबादी का 45 फीसदी से ज्यादा है। इन देशों की अर्थव्यवस्था भी 28.5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है, यह वैश्विक अर्थव्यवस्था का 28 फीसदी हिस्सा है।