ईरान के बाद अब इजरायल ने सीरिया पर अचानक हमला कर दिया है। इजरायली सेना ने सीरिया की राजधानी दमिश्क और दक्षिण में स्वेदा प्रांत पर बमबारी की है। सीरिया ने इसे 'खतरनाक' बताया है। साथ ही इजरायल पर 'जानबूझकर' तनाव बढ़ाने और सीरिया को कमजोर करने का आरोप भी लगाया है। सीरिया ने दावा किया है कि इजरायली हमले में 3 लोग मारे गए हैं और 34 घायल हो गए हैं।
बुधवार को इजरायली सेना ने दमिश्क में रक्षा मंत्रालय, मिलिट्री हेडक्वार्टर और राष्ट्रपति भवन के आसपास के इलाकों पर बमबारी की। इसके अलावा, दक्षिणी प्रांत स्वेदा में भी हमला किया है।
यह सारा बवाल शिया ड्रूज और सुन्नी बोडोइन की लड़ाई से शुरू हुआ। इसमें अब यहूदी मुल्क इजरायल की एंट्री हो गई है। क्या हुआ? क्यों हुआ? और आगे क्या होगा? सब समझते हैं।
कैसे शुरू हुआ यह सारा बवाल?
सीरिया के दक्षिण में स्वेदा प्रांत है। यहां ड्रूज समुदाय के लोग रहते हैं। 13 जुलाई को ड्रूज और बेडोइन के बीच लड़ाई शुरू हुई। वैसे तो यह दोनों झगड़ते ही रहते हैं लेकिन इस बार दोनों यह झगड़ा हिंसा में बदल गया है। बताया जा रहा है कि इस हिंसा में अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है।
ड्रूज और बेडोइन की इस लड़ाई में सीरियाई सेना भी शामिल है। दावा है कि इस लड़ाई में बेडोइन को सीरियाई सेना और सरकार का समर्थन हासिल है।
इन सबकी शुरुआत 13 जुलाई को हुई। ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (SOHR) ने बताया कि स्वेदा में बेडोइन लोगों ने एक चेकपॉइंट बना लिया, जहां उन्होंने एक ड्रूज व्यक्ति पर हमला किया और उसे लूट लिया। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच हमले शुरू हो गए।
इजरायल का कहना है कि वह ड्रूज समुदाय के साथ खड़ा है। ड्रूज लोगों को इजरायल का समर्थक माना जाता है। इजरायल ने सीरिया पर ड्रूज लोगों पर हमला करने का आरोप लगाया है। हालांकि, सीरिया ने इन आरोपों को खारिज किया है। हालात संभालने के लिए सेना उतारी गई लेकिन इस पर बेडोइन लोगों के साथ खड़े होने का आरोप लगा। SOHR का कहना है कि सेना के समर्थित लड़ाकों ने ड्रूज लोगों के घरों पर हमला किया, उन्हें लूटा और कुछ पुरुषों की जबरन मूंछ काटकर उन्हें अपमानित किया।
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तो इजरायल ने क्या किया?
इजरायल ने बुधवार को दमिश्क और स्वेदा में हमला किया। इजरायल ने दमिश्क में रक्षा मंत्रालय पर कई हमले किए। दो बड़ी मिसाइलें दागीं, जिस कारण रक्षा मंत्रालय की इमारत ध्वस्त हो गई। अल-जजीरा ने बताया कि इजरायल के बॉम्बर सीरिया के आसमान पर मंडरा रहे थे।
रक्षा मंत्रालय के अलावा इजरायली सेना ने राष्ट्रपति भवन के आसपास के इलाकों पर भी बमबारी की। वहीं, दक्षिण में इजरायली ड्रोन ने स्वेदा प्रांत पर भी बमबारी की।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, 'हमारी सेनाएं हमारे ड्रूज भाइयों को बचाने और सीरियाई शासन के गिरोहों को खत्म करने का काम कर रही हैं।' नेतन्याहू ने सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल-शरा को 'कट्टरपंथी इस्लामिक शासन' बताते हुए इसे इजरायल के लिए खतरा बताया था।
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मगर यह ड्रूज लोग हैं कौन?
ड्रूज सीरिया में अल्पसंख्यक हैं। यह शिया हैं। सीरिया में ड्रूज लोगों की आबादी लगभग 3% है। सिर्फ स्वेदा ही ऐसा प्रांत है, जहां स्वेदा बहुसंख्यक हैं।
बीबीसी के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 10 लाख ड्रूज हैं। इनमें से आधे सीरिया में रहते हैं। सीरिया के अलावा लेबनान, इजरायल और इजरायली कब्जे वाले गोलान हाइट्स में भी ड्रूज आबादी बसी है।
इजरायल और गोलान हाइट्स में लगभग 1.52 लाख ड्रूज लोग रहते हैं। ड्रूज लोगों को इजरायल के प्रति वफादार माना जाता है। इजरायल की सेना में भी ड्रूज लोग भर्ती होते हैं। सीरिया में 14 साल तक चले गृहयुद्ध के दौरान ड्रूज लोगों ने स्वेदा में अपनी सेना तैयार की है।
पिछले साल दिसंबर में जब बशर अल-असद का तख्तापलट हो गया था और विद्रोही गुट हयात तहरीर-अल-शाम (HTS) सत्ता में आया था तो उसके बाद यहां हालात खराब होने लगे थे। ड्रूज लोगों ने सीरिया की नई सत्ता का विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद नई सरकार ने सुवेदा में सीरियाई सेना को तैनात कर दिया था।
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इन सबमें इजरायल क्यों कूदा?
सीरिया में असद सरकार के तख्तापलट के बाद चीजें बदली हैं। असद सरकार में धार्मिक स्वतंत्रता थी लेकिन HTS के सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यकों पर कथित तौर पर हमले बढ़े हैं। नई सरकार में ड्रूज लोगों ने भी प्रतिनिधित्व मांगा था। हालांकि, अभी नई सरकार में सिर्फ एक ही ड्रूज व्यक्ति को शामिल किया गया है।
मई में भी इजरायल ने दमिश्क में राष्ट्रपति भवन के पास एक हमला किया था और इसे ड्रूज लोगों पर हमले के खिलाफ चेतावनी बताया था।
अब इजरायल ने सीरिया पर इसलिए हमला किया, क्योंकि स्वेदा में सीरियाई सेना और ड्रूज लड़ाकों के बीच झड़पें हो रही थीं। स्वेदा में सीरियाई सैनिकों की मौजूदगी को इजरायल अपने लिए खतरा मानता है। गोलान हाइट्स को इजरायल 'डिमिलिटराइज्ड जोन' बनाना चाहता है, क्योंकि सेना होने से उसे अपनी उत्तरी सीमा के पास इस्लामी लड़ाकों की मौजूदगी का डर है।
15 जुलाई को इजरायल ने सीरिया पर हमला किया था। हालांकि, यह हमले सीरियाई सेना और उनके ठिकानों तक सीमित थे। इसके बाद 16 जुलाई को इजरायल ने अपने हमलों का दायरा बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय को भी निशाना बनाया।
सीरिया को इजरायल खतरे के तौर पर देखता है। सीरिया पर हमले के तुरंत बाद इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने कहा, 'वॉर्निंग देने का समय गया, अब दर्दनाक प्रहार होगा।'
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क्या एक नई जंग शुरू हो सकती है?
सीरिया पर इजरायली हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने गुरुवार को इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। संयुक्त राष्ट्र में इजरायली राजदूत डैनी डेनन ने सीरियाई जमीन पर निर्दोष नागरिकों पर हमले की निंदा करने की मांग की है।
उन्होंने कहा, 'इजरायल अपनी सीमाओं पर कहीं भी और किसी भी समय आतंकवादी खतरे के खिलाफ कार्रवाई करता रहेगा।'
इजरायल का कहना था कि स्वेदा से जब तक सीरियाई सेना वापस नहीं जातीं, तब तक हमले होते रहेंगे। सीरियाई सरकार ने इजरायली हमलों को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है। हालांकि, इजरायली हमलों के बाद सीरिया की सेना स्वेदा से वापस लौट रही है।
राष्ट्र को संबोधित करते हुए सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने कहा, 'हमारे सामने दो विकल्प हैं। पहला कि हम अपने ड्रूज नागरिकों की कीमत पर इजरायल के साथ 'खुली जंग' का ऐलान कर दें या फिर ड्रूज मौलवियों को अपने तरीके से काम करने और राष्ट्रहित को प्राथमिकता देने की इजाजत दे दें।'
अल-शरा ने कहा, 'हम जंग से नहीं डरते। हमारा इतिहास अपने लोगों की रक्षा के लिए लड़ी गई लड़ाइयों से भरा पड़ा है लेकिन हमने वह रास्ता चुना है जो सीरियाई लोगों की भलाई को सबसे ऊपर रखता है।'
अल-शरा ने कहा कि 'हमारी प्राथमिकता ड्रूज लोगों और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।' उन्होंने कहा कि हम ड्रूज लोगों को किसी तीसरे पक्ष के हाथ में नहीं जाने देंगे।
फिलहाल, स्वेदा से सीरियाई सैनिकों की वापसी के बाद नए संघर्ष का खतरा टल गया है। सीजफायर हो चुका है और सीरिया ने स्वेदा से सैनिकों की वापसी का ऐलान कर दिया है। हालांकि, ड्रूज समुदाय के एक नेता हिकमत अल-हिजरी ने सीजफायर को नकारते हुए अपने लोगों से लड़ाई जारी रखने को कहा है।