इजरायल ने ईरान के खिलाफ ऑपरेशन राइजिंग लॉन्च किया है, दोनों देशों के बीच अब ड्रोन युद्ध हो रहा है। इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया तो जवाब में शुक्रवार को ईरान ने सैकड़ों ड्रोन, तेल अवीव को निशाना बनाकर दागा। इजरायल और ईरान, के बीच संबंध, सबसे तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ कह दिया है कि जब तक उसे, ईरान के परमाणु हथियारों से खतरा बना रहेगा, हमले जारी रहेंगे।
80 के दशक के बाद ईरान ने कभी इतना भीषण हमला नहीं झेला। इजरायल ने ईरान के एयर डिफेंस और बैलिस्टिक मिसाइलों के ठिकानों को भी तबाह कर दिया। हमले में ईरान का बुरा हश्र हुआ है। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर (IRGC) के कमांडर इन चीफ हुसैन सलामी मारे गए। ईरान की सरकारी मीडिया का दावा है कि 78 से ज्यादा मौतें हुई हैं।
क्यों हमले हुए हैं?
संयुक्त राष्ट्र की न्यूक्लियर वॉचडॉग इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी इंटरनेशनल का दावा है कि ईरान, परमाणु हथियार बनाने की फिराक में है। ईरान यूरेनियम संवर्धन कर रहा है, जिससे इजरायल को शक है कि वह परमाणु हथियार बना रहा है। इजरायल इसे खुद पर खतरे की तरह देख रहा है।
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दोनों देशों के उलझने से भारत को क्या चिंता है?
पहली चिंता: इजरायल और ईरान के बीच अचानक बढ़े सैन्य तनाव की वजह से कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ गई हैं, जिससे भारतीय रुपये पर असर पड़ सकता है। महंगाई बढ़ सकती है और देश का वित्तीय संतुलन एक बार फिर परेशानी में पड़ सकता है। दोनों देशों के तनाव के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक दिन में 13 प्रतिशत बढ़ गई है। आशंका जताई जा रही है कि अगर युद्ध तेज हुआ तो कच्चे तेल की कीमत 78 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। मार्च में 2022 के बाद कच्चे तेल की कीमतें पहली बार बढ़ीं।
दूसरी चिंता: भारत तेल के लिए खाड़ी के देशों पर निर्भर है। भारत बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और ईरान से तेल खरीदता है। अगर जंग के हालात बने तो तेल आपूर्ति बाधित होगी।
तीसरी चिंता: इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तेल की कीमतें बढ़ती हैं भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर इसका असर पड़ेगा। अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो सकती है। भारत के रिश्ते खाड़ी देशों के साथ बेहतर हैं। इजरायल का तनाव खाड़ी के कई देशों के साथ है।
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चौथी चिंता: साल 2023-24 में कुल 1.11 ट्रिलियन डॉलर तक देश का व्यापार पहुंचा था। इसमें एक बड़ा हिस्सा, 208.48 अरब डॉलर खाड़ी और पश्चिम एशियाई देशों से आया था। भारत पहले ईरान से तेल खरीदता था। ट्रम्प के प्रतिबंधों के बाद भारत ने व्यापार कम किया था। भारत ने दबाव में नहीं, अपने हितों के आधार पर यह फैसला किया था।
स्ट्रेट ऑफ होरमुज: चिंता जो सबसे बड़ी है
पश्चिम एशिया से भारत में तेल स्ट्रेट ऑफ होरमुज के जरिए आता है। यह वही इलाका है, जिसके एक बड़े हिस्से पर ईरान का नियंत्रण है। अगर ईरान जंग में उलझेगा तो यहां से गुजरने वाले व्यापारिक मार्ग को सुरक्षा नहीं दे सकता है। व्यापार मार्गों का सुरक्षित रहना जरूरी है। भारत यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, भूमध्य सागर और उत्तरी अमेरिका के बाजारों तक व्यापार करता है। यहां तक पहुंचने के लिए ओमान की खाड़ी, फारस की खाड़ी और लाल सागर का सहारा लेता है। ईरान युद्ध की चपेट में आएगा तो यह व्यापार थमेगा।
स्ट्रेट ऑफ होरमुज क्या है?
स्ट्रेट ऑफ होरमुज या होरमुज जलडमरूमध्य एक समुद्री रास्ता है। यह फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को जोड़ता है। यह फारस की खाड़ी से खुले समुद्र तक जाने का इकलौता मार्ग है। इसके उत्तर में ईरान और दक्षिण में संयुक्त अरब अमीरात और ओमान का मुसंदम प्रायद्वीप है। यह जलडमरूमध्य करीब 167 किलोमीटर लंबा है, और इसकी चौड़ाई 39 से 96 किलोमीटर तक है। यहां से दुनिया का एक तिहाई लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) और करीब 25% कच्चा तेल गुजरता है। सदियों से यह व्यापार का केंद्र रहा है।
स्ट्रेट ऑफ होरमुज खास क्यों?
स्ट्रेट ऑफ होरमुज फारस से हर दिन करीब 2 करोड़ बैरल कच्चा तेल गुजरता है। भारत सऊदी अरब, इराक, कुवैत जैसे देशों से तेल इसी रास्ते से खरीदता है। इस रास्ते पर ईरान का नियंत्रण है।
अगर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध शुरू होता है तो ईरान दुनिया को इसे बंद करने की धमकी भी दे सकता है। 1970 के दशक में एक बार ईरान ने पूरी तरह बंद कर दिया था। ईरान पहले भी ऐसी धमकी दे चुका है।
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अगर स्ट्रेट ऑफ होरमुज बंद हुआ तो क्या हो सकता है?
- तेल आपूर्ति: भारत तेल के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। 80 फीसदी हिस्सा, भारत को खरीदना पड़ता है। अगर स्ट्रेट बंद हुआ तो तेल संकट पैदा होगा।
- महंगा पेट्रोलियम: जब इजरायल ने ईरान के खिलाफ ऑपरेशन राइजिंग लायन लॉन्च किया था, तब अचानक कच्चे तेल की कीमतें 78 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं अगर यह युद्ध खिंच गया तो यह आंकड़ा बढ़ सकता है, जिससे भारत में महंगाई भी आ सकती है।
- महंगाई: तेल महंगा होगा तो ट्रांसपोर्ट भी महंगा होगा। खाने-पीने की चीजें भी महंगी हो सकती हैं। आम आदमी पर बोझ पड़ सकता है।
- अर्थव्यवस्था: भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है। तेल आयात के लिए भारत को ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करना होगा। रुपये की कीमत पर असर आ सकता है।
- व्यापार पर असर: भारत ईरान को बासमती चावल और चाय जैसी चीजें बेचता है। युद्ध की वजह से यह निर्यात भी रुक सकता है। किसान और व्यापारी परेशान हो सकते हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी भारत और ईरान के बीच साल 2024 में 2.3 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था।
युद्ध के दूसरे असर क्या होंगे?
चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट रुक सकता है, जो अफगानिस्तान-मध्य एशिया व्यापार के लिए अहम है।
ईरान के हवाई क्षेत्र बंद होने से उड़ानें डायवर्ट हुई हैं, समय और खर्च बढ़ा है।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक ईरान में 10765 प्रवासी भारतीय रहते हैं, जिनकी सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
भारत क्या कर रहा है?
भारत सरकार की इस स्थिति पर नजर है। विदेश मंत्रालय ने ईरान में रहने वाले हिंदुस्तानियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत दोनों देशों के जंग में तटस्थ है और स्थाई शांति चाहता है।
अब क्या हो सकता है?
अगर युद्ध बढ़ा तो भारत को तेल के लिए रूस और दूसरे देशों से ज्यादा तेल खरीदना होगा। अगर स्ट्रेट ऑफ होरमुज बंद हुआ, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारत को भी बड़ा झटका लगेगा।
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भारत इजरायल और ईरान के जंग में किसके साथ है?
इजरायल और ईरान की जंग में ऐसा नहीं है कि असर सिर्फ इन देशों या खाड़ी के देशों पर ही होगा। भारत इस जंग से अछूता नहीं रहेगा। द ISIS पेरिल के लेखक और थिंक ORF के स्ट्रेटेजिक स्टडीज के डिप्टी डायरेक्टर कबीर तनेजा लिखते हैं, 'ईरान और इजरायल के तनाव पर भारत संतुलनवादी रवैया अपनाएगा। दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत परमाणु शक्ति संपन्न ईरान के साथ नहीं होगा। तेहरान के साथ भारत के हित हित मध्य पूर्व से कम और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मध्य एशिया से ज्यादा जुड़े हैं। '