मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों की आपसी नफरत इस हद तक बढ़ गई है कि कुकी समुदाय के लोगों को इम्फाल जाकर, एयर इंडिया विमान हादसे में मारी गई एयर होस्टेस लामुंथेन सिंगसन की लाश लेने से डर लगा रहा है। जातीय हिंसा की आंच, एयर इंडिया के विमान हादसे में मिली लाशों पर भी आई है। दो साल से दोनों समुदायों के बीच ऐसा तनाव है कि आपदा के वक्त भी खत्म नहीं हो रहा है। एयर इंडिया की फ्लाइट 171 क्रैश होने के बाद मणिपुर के दो महिलाओं की मौत हुई। दोनों विमान के केबिन क्रू में शामिल थे। अब दोनों समुदायों के बीच ऐसा हंगामा हुआ है कि लाश के अंतिम संस्कार को लेकर रूट तलाशे जा रहे हैं।

विमान हादसे में नगनथोई के शर्मा और लामुंथेन सिंगसन की मौत हुई थी। नगनथोई मैथेई समाज से आती थीं, वहीं लामुंथेन सिंगसन कुकी-जो समाज से थीं। एयर इंडिया के अधिकारी, दोनों के अवशेषों की तलाश में जुटे हैं। डीएनए सैंपल से दोनों की पहचान करने की कोशिश हो रही है। एयर इंडिया के अधिकारी, लाशों को लौटाना चाह रहे हैं। लामुंथेन सिंगसन के परिवार को डर लग रहा है कि अगर इम्फाल एयरपोर्ट पर लाश लेने गए तो बचकर निकलना सुरक्षित नहीं होगा। उनका परिवार, उस वक्त को याद करता है जब लामुंथेन सिंगसन इम्फाल में ही रहती थीं और हिंसा भड़कने पर उनके घर को मैतेई समुदाय के लोगों ने लूट लिया, उन्हें जान बचाने के लिए कांगपोकपी भागना पड़ा।

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लामुंथेन सिंगसन की लाश को लेकर डरे क्यों हैं कुकी? 

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर लामुंथेन सिंगसन की लाश कहां उतारी जाएगी। वह कुकी समुदाय की थीं। कुकी-जो समुदाय पहाड़ों में हैं। अगर इम्फाल में वे आते हैं तो उनके जान पर खतरा है। राज्य के सीनियर पुलिस अधिकारियों को  लामुंथेन सिंगसन के परिवार से बात की है और यह भरोसा दिया है कि अगर वे इम्फाल आते हैं तो उन्हें पूरी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था दी जाएगी। काफिले के साथ सुरक्षा व्यवस्था मजबूत रहेगी। लामुंथेन सिंगसन का परिवार इम्फाल के न्यू लंबुलेन इलाके में रहता था। 3 मई को भड़की हिंसा के बाद यह परिवार, कांगपोकपी चला गया था।

मणिपुर प्रशासन का क्या कहना है?

मणिपुर सरकार ने की ओर से मुख्य सचिव पीके सिंह ने आधिकारिक बयान जारी किया है। उन्होंने सोमवार को कहा, 'सरकार दोनों अवशेषों को इम्फाल में लेने के लिए तैयार है। एयर इंडिया और टाटा ग्रुप के अधिकारियों के साथ बात हुई है।' सरकार ने कहा, 'शवों को कैसे लिया जाएगा, अंतिम संस्कार कैसे किया जाएगा और दूसरे प्रबंध कैसे होंगे, यह उनके परिवारों पर निर्भर है। सरकार परिवारों की मदद करने के लिए तैयार है।'सरकार ने कहा है कि शवों की सुपुर्दगी के लिए जरूरी व्यवस्थाएं पूरी  कर ली गई हैं। शवों को गरिमापूर्ण तरीके से उनके अपनों को सौंपा जाएगा। उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।'

लामुंथेन सिंगसन बीच में। (Photo Credit: Social Media)

 

कुकी परिवार को इम्फाल आने से खतरा क्या है?

मंगलवार शाम तक कुकी स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (KSO) के कार्यकर्ताओं ने कहा कि अहमदाबाद के अधारियों ने अभी शव नहीं सौंपा है। मणिपुर पुलिस के चीफ राजीव सिंह ने सोमवार को परिवार के साथ फोन पर बात की। उन्होंने परिवार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएगी। लाश को इम्फाल से कांगपोकपी तक रोड के जरिए ले जाया जाएगा, लोग इस बात से वाकिफ हैं।

मणिपुर पुलिस ने कहा है कि कांगपोकपी के पुलिस अधीक्षक ने परिवार के साथ मुलाकात की है। उनकी बच्ची की लाश को सुरक्षित घर लाने में अधिकारी मदद करेंगे। कुछ अधिकारियों ने दावा किया है कि अगर घरवाले इम्फाल लाश लेने गए तो कुकी समुदाय के लोग ही नाराज हो सकते हैं।

मणिपुर में 3 मई 2023 के बाद से ही तनावपूर्ण हालात हैं। (Photo Credit: PTI)

 

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'कुकी के लिए इम्फाल जाना खतरे से खाली नहीं'

कुकी स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन की कांगपोकपी यूनिट के महासचिव के शोनग्रेंग ने कहा है, 'इम्फाल जाना कुकी और जो समुदायों के लिए सुरक्षित नहीं है। इन दो वर्षों में हमारे लोगों के साथ वहां क्या हुआ है, हम इस बात से वाकिफ हैं। जब कुकी स्टूटेंड ऑर्गेनाइजेशन परिवार की हर संभव मदद कर रहा है तो अब यह परिवार पर ही निर्भर है कि वे किस तरह अपने बिटिया की लाश लाना चाहते हैं।'

'इम्फाल नहीं, नागालैंड के दीमापुर लाई लाए लाश, कुकी की मांग'

कुकी स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि लामुंथेन सिंगसन की लाश एयरलिफ्ट की जा सकती है। लाश को नागालैंड के दीमापुर एयरपोर्ट पर लाया जाए, वहां से कांगपोपकी तक सीधे सड़क मार्ग के जरिए पहुंचा जाए। इस रास्ते में कोई मैतई बाहुल इलाके नहीं हैं। मिजोरम का आइजोल एयरपोर्ट, कुकी लोग इस्तेमाल करते हैं। चुराचांदपुर से कांगपोकपी जाने के लिए इम्फाल से होकर गुजरना होगा। ये लोग इंसानियत नहीं दिखाएंगे। 

मैतेई क्या कह रहे हैं?

इम्फाल के सबसे ताकतवर मैतेई समूह कोकोमी ने अपील की है कि लाशों को लेकर सभी समुदाय के लोग एकजुट हों। संगठन ने अपील की है, 'हमने हर समुदाय, वर्ग और समूह से अपील की है कि लाशों को उनके घर पहुंचाने में हर संभव मदद करें। इस दुखद हादसे में पूरा मणिपुर एक है। पुलिस उनके सुरक्षित लौटने की व्यवस्था करे। परिवारों को आगे आने दे और लाशों की सुपुर्दगी लेने दे। यह बेझिझक हो, हमें उनकी अंतिम गति के लिए प्रार्थना करना चाहिए।'

मणिपुर में अब तक शांति बहाल नहीं पाई है। (Photo Credit: PTI) 

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पुलिस क्या कह रही है?

पुलिस और प्रशासन ने मैतेई समूहों से बात की है। सुझाव दिया है कि अगर लामुंथेन सिंगसन की लाश को मैतेई, इम्फाल के जरिए उनके घरों तक जाने देते हैं तो यह शांति का संदेश जाएगा। कई मैतेई समूहों ने इसकी सहमति दी है और इस पहल का स्वागत किया है। 


कुकी एयरहोस्टेस का परिवार क्या कह रहा है?

लामुंथेन सिंगसन के चाचा हहाओ हैपी ने कहा, 'बहुत पहले वह अपना पिता खो चुकी है। वह अपनी मां और भाई-बहनों के साथ इम्फाल में रहती थी। झड़प की वजह से उन्हें अपना घर छोड़कर आना पड़ा। उसके घर को लूट लिया गया। उसकी मां हमारे साथ कांगपोकपी में रहती है। हम अहमदाबाद के अधिकारियों की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। हम जब अधिकारियों के साथ बात हो जाएगी तो बताएंगे।'

अमहदाबाद विमान हादसे में अपनों की मौत पर रोती-बिलखती एक महिला। (Photo Credit: PTI)

मणिपुर हिंसा में अब तक क्या हुआ है?

मणिपुर में मैतेई, कुकी, स्थानीय पुलिस और प्रशासन के बीच लाशों को लेकर बैठक हो रही है। 3 मई 2023 से ही राज्य में दोनों समुदायों के बीच कई हिंसक झड़पें हुई हैं। अब तक 260 लोगों की हिंसा में मौत हो चुकी है, 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापन झेल रहे हैं। घाटी और मैदानी क्षेत्रों में तनावपूर्ण स्थितियां हैं। हिंसा पर हंगामा इस हद तक हुआ कि राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को इस्तीफा तक देना पड़ा। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है। 

कहां किस समुदाय का दबदबा है?

कुकी-जो और मैतेई समुदायों के बीच कई जिलों में हिंसा भड़की है। मैतेई मैदानी इलाकों में रहते हैं, कुकी पहाड़ी इलाकों में बसे हैं। इम्फाल में दोनों समुदायों के लोग बसे हैं, वहां सबसे ज्यादा हंगामा हो रहा है।  

डर की एक वजह यह भी है 

मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था दो स्तर पर काम करती है। मणिपुर पुलिस आंतरिक मामलों को देखती है, केंद्रीय बल, मैतेई और कुकी में हिंसा न भड़कने पाए, इसका इंतजाम कर रहे हैं। कुकी-जो समुदाय के लोग हिंसा भड़कने के बाद इम्फाल से हटकर पहाड़ी इलाकों में चले गए हैं, मैतेई हथियारबंद संगठनों के हालिया रुख से वे बेहद डरे हैं।