ऑस्कर विनर हालीवुड स्टार जीन हैकमैन और उनकी पत्नी बेट्सी अरकावा के निधन से पूरी हॉलीवुड इंडस्ट्री हैरान है। पति और पत्नी की मौत के बीच में एक हफ्ते का अंतर था। अभिनेता की पत्नी की मौत हंतावायरस की वजह से हुई थी। अरकावा की मौत के एक हफ्ते बाद ही जीन हैकमन का निधन हो गया था। हॉलीवुड अभिनेता की मौत हृदय संबंधी बीमारियों की वजह से हुई है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी आशंका जताई जा रही है मरने से पहले जीन अपनी पत्नी के साथ थे। आइए जानते हैं इस वायरस के क्या लक्षण है और इसका क्या इलाज है।

 

हंतावायरस दो प्रकार का होता है। अमेरिका में हंतावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम (HPS) सामान्य है। ये डियर माउस (Deer Mouse) की वजह से फैलता है। रीनल सिंड्रोम के साथ रक्तस्रावी बुखार (HFRS) समान बीमारियों का एक समूह है जो ज्यादातर यूरोप और एशिया में पाए जाने वाले हंतावायरस का कारण होता है। सियोल वायरस एक प्रकार का हंतावायरस है जो (HFRS) का कारण बनता है। ये वायरस अमेरिका सहित दुनियाभर में पाया जाता है।

 

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हंतावायरस के लक्षण

 

ये वायरस रोडेन्ट (चूहे के प्रजाति) के मल या मूत्र के संपर्क में आने से फैलता है। ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं करता है। अमेरिकी रोग नियंत्रण एंड रोकथाम के मुताबिक, इस वायरस की वजह से फेफड़ों में संक्रमण पनप सकता है जिसे हंतावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम कहा जाता है। इस बीमारी की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है।

 

एचपीएस (HPS) के लक्षण एक से आठ हफ्ते के बीच में नजर आते हैं। शुरुआत में थकान, बुखार, मांसपेशियों में दर्द खासतौर से जांघों, पीठ और कभी कभी कंधों में होता है। इसके बाद उल्टी, मितली, डायरिया और पेट दर्द की समस्या होती है।

 

एचएफआरएस (HFRS) से संक्रमित होने पर एक से दो हफ्तों के बीच लक्षण दिखाई देते है। ये आपकी किडनी को नुकसान पहुंचाता है। सिर में तेज दर्द, पीठ और पेट में दर्द, बुखार, थकान, धुंधला दिखना। गंभीर मामले में लो ब्लड प्रेशर किडनी फेलियर की समस्या हो सकती है।

 

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हंतावायरस का इलाज

 

शुरुआत में हंतावायरस के बारे में पता लगाना बहुत मुश्किल है। इन लक्षणों को शुरुआत में इन्फ्लूएंजा वायरस माना जाता है। इस वायरस के लिए कोई इलाज या वैक्सीन नहीं है। HPS की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। मरीज को इनट्यूबेशन के जरिए ऑक्सीजन दिया जाता है। HFRS में किडनी सही से काम नहीं करती है। मरीजों को डायलिसिस पर रखा जाता है और टॉक्सिन चीजों को ब्लड से निकाला जाता है। CDC के मुताबिक इस वायरस में मृत्युदर 5 से 15 फीसदी तक हो सकता है।

 

Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।