शरीर पर सामान्य और हल्के बाल होना आम बात है। इन बालों को हटाने के लिए भी लोग तमाम तरह के तरीके अपनाते हैं। मध्यप्रदेश का एक लड़का काफी चर्चा में है। उसके शरीर और चेहरे पर असामान्य रूप से घने बाल उग हुए है। इस लड़के का नाम ललित पाटीदार है। ये लड़का हाइपरट्रिचोसिस नाम की गंभीर बीमार से पीड़ित है। इस बीमारी को वेयरवोल्फ सिंड्रोम कहा जाता है। ये एक दुलर्भ बीमारी है जिसमें शरीर में असामान्य रूप से बालों की ग्रोथ होने लगती है। आइए इस बीमारी के बारे में जानते हैं।
कितने तरह का हाइपरट्रिचोसिस होता है
जन्मजात हाइपरट्रिचोसिस लैनुगिनोसा- इस सिंड्रोम में जन्म के बाद ही बच्चों में महीन बाल दिखाई देते हैं। नॉर्मल बच्चों में ये कुछ महीनों बाद खुद ही खत्म हो जाता है लेकिन इससे पीड़ित बच्चों में कुछ हफ्तों बाद बालों में ग्रोथ शुरू हो जाती है।
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कंजेनिटल हाइपरट्रिचोसिस टर्मिनलिस - इससे पीड़ित व्यक्ति में जन्म से ही बालों की ग्रोथ शुरू हो जाती है और पूरे जीवन रहती है। इसमें बालों की ग्रोथ तेज रफ्तार से होती है और बाल मोटे होते हैं। ये पीड़ित के शरीर और चेहरे को पूरी तरह से ढक देता है।
नेवॉइड हाइपरट्रिचोसिस- इसमें पीड़ित के शरीर के किसी एक हिस्से में बालों की ग्रोथ तेजी से होती है। इसके अलावा बालों के पैच भी बनने लगते हैं।
अतिरोमा हाइपरट्रिचोसिस- ये सिंड्रोम महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। इसमें महिला के उन हिस्सों में ज्यादा बाल उगते हैं जहां पर सामान्य तौर पर लोगों के बालों की ग्रोथ नहीं होती है। इस सिंड्रोम में महिलाओं के चेहरे, चेस्ट, पीठ, चिन और होंठ का ऊपरी हिस्से पर बाल उगते हैं।
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एक्वायर्ड हाइपरट्रिचोसिस- ये सिंड्रोम जन्म के बाद जीवन में विकसित होता है। आपको बता दें कि दो तरह के बाल के रोए होते हैं।
वेल्लस- इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म के मुताबिक, वेल्लस बालों के रोम काफी छोटे होते हैं और ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है जिसमें पैरों के तलवे, कान, होंठ, हथेलिया के आगे और पीछे। ये पिग्मेंटेड और नॉन पिगमेंटेड हो सकता है।
लानुगो- लानुगो में बाल काफी मुलायम और महीन होते हैं जैसे नवजात शिशु के बाल होते है। अधिकांश बच्चे जन्म के बाद लानुगो खो देते हैं, लेकिन वेयरवोल्फ सिंड्रोम में लानुगो कुछ ही हफ्तों में तेजे से बढ़ने लगता है।
वेयरवोल्फ सिंड्रोम का कारण
जामा डर्मेटोलॉजी के मुताबिक, ये एक दुलर्भ बीमारी है। हाइपरट्रिचोसिस से 50 लोग ग्रस्ति है। अतिरोमा हाइपरट्रिचोसिस सामान्य है, इस बीमारी से अमेरिका की 7 प्रतिशत महिलाएं पीड़ित है। हाइपरट्रिचोसिस के होने का कोई मुख्य कारण नहीं है। हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि ये बीमारी कुपोषण, अनहेल्दी भोजन, कैंसर, एंड्रोजेनिक स्टेरॉयड, बाल बढ़ाने वाली दवा मिनोक्सिडिल और साइक्लोस्पोरिन के साइड इफेक्ट से हो सकता है।
इलाज
इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। आप अपने बालों की ग्रोथ को कम करने के लिए शेविंग, वेक्सिंग, प्लकिंग और हेयर ब्लीचिंग करवा सकते हैं। इन चीजों को करवाने से आपकी त्वचा को भी नुकसान पहुंच सकता है। लंबे समय के इलाज के लिए इलेक्ट्रोलिसिस और लेजर सर्जरी करवा सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।