हम सभी जानते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक है। इसके बावजूद यह हर चीज में मौजूद है। पानी की बोतल से लेकर लंच बॉक्स का डिब्बा तक प्लास्टिक से बना होता है। हमारी रोजमर्रा की चीजों में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। कई स्टडी में भी दावा किया गया है कि नैनोप्लास्टिक खाने पीने की चीजों के माध्यम से शरीर में जमा हो रहा है। माइक्रोप्लास्टिक का साइज 5 मिलीमीटर से कम होता है और यह हमारे सेहत के लिए खतरनाक है। आइए जानते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक के जमाव को कैसे कम कर सकते हैं।
साल 2019 की रिपोर्ट में कहा गया था कि प्लास्टिक की पानी की बोतल में सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक होते हैं इसलिए बोतल वाला पानी नहीं पीना चाहिए। FSSAI ने भी अपनी गाइडलाइन में बोतल बंद पानी को हाई रिस्क कैटेगरी में डाला है। आप प्लास्टिक की बोतल की जगह स्टेनलेस स्टील, कांच की बोतल का इस्तेमाल कर सकते हैं। पानी को उबालकर पीने से 90% तक माइक्रोप्लास्टिक को कम किया जा सकता है।
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माइक्रोप्लास्टिक से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करें- रिसर्च में कहा गया कि सिंगल यूज प्लास्टिक में माइक्रोप्लास्टिक और केमिकल्स होते हैं इसलिए खाने पीने के चीजों को रखने के लिए बार- बार सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। सरकार ने भी अपनी गाइडलाइन में बताया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक को एक बार यूज करने के बाद फेंक दें।
लकड़ी के कटिंग बोर्ड का करें इस्तेमाल- प्लास्टिक के कटिंग बोर्ड का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि बार बार उसी पर सब्जी काटकर रखने से माइक्रोप्लास्टिक के कण उस पर चिपक जाते हैं। आप प्लास्टिक की बजाय लकड़ी वाली कटिंग बोर्ड का यूज करें।
प्रोसेस्ड खाना खाने से बचें- प्रोसेस्ड फूड के सेवन से बचें क्योंकि पैकेज्ड फूड में माइक्रोप्लासटिक के कण होते हैं। आप हेल्दी और फ्रेश चीजों का सेवन करें। इसके अलावा प्लास्टिक वाले टी बैग का सेवन करने से बचें। आप चाय बनाने के लिए चाय की पत्तियों का यूज करें।
नेचुरल फ्रैबिक वाले कपड़े पहनें- सिंथेटिक फाइबर की जगह नेचुरल फाइबर वाले कपड़े पहनें। आप कॉटन, वूलन और लिनिन फाइबर से बने कपड़ों को पहनें।
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माइक्रोप्लास्टिक से हो सकती हैं ये बीमारियां
Environmental Science & Technology की स्टडी में कहा गया कि माइक्रोप्लास्टिक का स्वास्थ से सीधा संबंध है। इसकी वजह से कई तरह की बीमारियों हो सकती हैं। हालांकि अभी इस पर और रिसर्च करने की जरूरत है।
सांस संबंधी परेशानियां- माइक्रोप्लास्टिक हवा में भी मौजूद होता है जिसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण और फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा रहता है।
पाचन संबंधी परेशानियां- खाने पीने की चीजों के जरिए माइक्रोप्लास्टिक हमारे पेट पर जमा होता है जिसकी वजह से कोलोन कैंसर होने का खतरा रहता है।
हृदय रोग का खतरा बढ़ता है- माइक्रोप्लास्टिक शरीर के रक्त कोशिकाओं में घूल जाता है जिसकी वजह से सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है।
Proceeding Of National Academy Of Science (PNAS) जर्नल में पब्लिश हुई स्टडी में बताया गया था कि एक लीटर में औसतन 2,40,000 प्लास्टिक फ्रेग्मेंट्स (प्लास्टिक के अतिसुक्ष्म कण) मौजूद होते हैं जो शरीर के ब्लड सेल्स में जाने में सक्षम होते हैं। ये ज्यादातर नैनोप्लास्टिक होते हैं। ये आपके हेल्थ के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं। Impact Of Microplastics And Nanoplastics On Human Health में बताया गया कि नैनोप्लास्टिक शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये आपके शरीर के सेल्स और नर्वस सिस्टम को डैमेज करता है।