वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 बुधवार को काफी लंबी बहस के बाद लोकसभा में पारित हो गया। इस बिल पर 12 घंटे तक हुई लंबी चर्चा के बाद इसके पक्ष में 288 वोट पड़े और विपक्ष में 232 वोट पड़े। सत्ता पक्ष ने जमकर इसके पक्ष में तर्क रखे तो विपक्ष ने इसमें खामियां गिनाईं। सत्ता पक्ष का कहना था कि यह बिल गरीब मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं के हित के लिए है तो विपक्ष का कहना था कि मुसलमानों को टारगेट करने के लिए यह बिल जानबूझकर लाया गया है।

 

जहां इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने वक्फ बिल में किए जा रहे कई संशोधनों को मुस्लिम विरोधी बताया तो वहीं बीजेपी ने इसके लिए 2014 के पहले की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में वक्फ को अकूत अधिकार दे दिए थे, जिससे वक्फ बोर्ड जहां चाहता था वहीं पर अपना दावा ठोंक देता था। उनका कहना है कि वक्फ अगर किसी जमीन को अपना बताता है तो इसके लिए उसके पास डॉक्युमेंट्स होने चाहिए।

 

तो इस लेख में खबरगांव आपको बताएगा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 में किए गए किन प्रावधानों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में ठनी है और किन नियमों को लेकर विरोध हो रहा है और वे कौन से खास बदलाव हैं जिनको इस विधेयक के जरिए लाया जा रहा है।

 

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1. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री

इस विधेयक के सबसे विवादित बिंदुओं में से है स्टेट और सेंट्रल वक्फ बोर्ड में सदस्य के रूप में गैर-मुस्लिमों की एंट्री। सत्ता पक्ष का कहना है कि गैर-मुस्लिमों की एंट्री के जरिए बोर्ड को ज्यादा समावेशी बनाया जा सकेगा। इस बदलाव के मुताबिक केंद्रीय वक्फ बोर्ड में अधिकतम 4 और न्यूनतम 3 गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति की जा सकेगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में कहा कि गैर-मुस्लिम सदस्य किसी भी धार्मिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा। उसका काम खाली यह सुनिश्चित करना होगा कि दान से संबंधित मामलों का प्रशासन तय नियमों के अनुसार ही हो।

 

2. धारा 40 का खात्मा

इस विधेयक में धारा 40 को खत्म करने का प्रावधान किया गया है। धारा 40 के मुताबिक कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं इसका निर्णय करने का अंतिम अधिकार वक्फ के पास था। यानी कि अगर किसी संपत्ति के बारे में वक्फ को लगता है कि यह संपत्ति उसकी है या वक्फ के तौर पर इस्तेमाल हो रही है, तो वह उसकी जांच कर सकता है और उसे अपने कब्जे में ले सकता है।

 

इस मतलब यह हुआ कि धारा 40 वक्फ बोर्ड को अधिकार देता है कि वह खुद ही तय कर ले कि कोई संपत्ति उसकी है या नहीं। इस शक्ति की वजह से बोर्ड काफी ताकतवर हो गया था। कई बार इसका दुरुपयोग भी हुआ। 

 

अब इसे समाप्त कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को इस धारा की सबसे ज्यादा आलोचना की थी। इस मामले में बोर्ड के फैसले को अगर वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा रद्द नहीं कर दिया जाता था तो इससे अंतिम माना जाता था और अगर वक्फ ट्रिब्यूनल बोर्ड के पक्ष में फैसला करता तो उसे अंतिम माना जाता, उसके खिलाफ कहीं भी अपील नहीं की जा सकती थी।

 

हालांकि, अब इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है जिसके बाद 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में अपील की जा सकती है। 

 

3. महिलाओं को देना होगा हिस्सा

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 में एक नया प्रावधान है कि जिसके मुताबिक अगर कोई अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को देना चाहता है तो उसे पहले इसकी महिला हिस्सेदारों को उनका हिस्सा देना होगा उसके बाद ही संपत्ति वक्फ को दी जा सकेगी। इसमें विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए खास प्रावधान किया गया है।

 

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि कोई व्यक्ति अपनी किसी संपत्ति को वक्फ करना चाहता है तो और मान लीजिए कि उसकी एक बेटी है और एक बहन भी है जो कि विधवा है तो अब उसे अपनी संपत्ति को वक्फ करने से पहले अपनी बेटी और बहन को इसमें हिस्सा देना होगा उसके बाद ही उसे वक्फ को दिया जा सकता है, जबकि पहले ऐसा नहीं था। वक्फ करने से पहले यह चेक करना होगा कि बेटियों, बहनों और पत्नी/पत्नियों, विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को उसमें हिस्सा मिल गया हो। अगर ऐसा नहीं किया गया है तो वक्फ मान्य नहीं होगा।

 

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4. आदिवासियों के जमीन को संरक्षण

वक्फ के मामले में आदिवासियों की संपत्तियों को विशेष संरक्षण दिया गया है। इसके तहत आदिवासियों की जमीनों को वक्फ नहीं किया जा सकता। दरअसल भारत के संविधान की पांचवीं और छठीं अनुसूची के तहत आदिवासियों की जमीन को चिह्नित और संरक्षित किया गया है और इसे उनकी आजीविका का आधार व उनकी संस्कृति की पहचान माना जाता है।

 

अगर कोई जमीन भारत में आदिवासियों के नाम पर दर्ज है या पारंपरिक रूप से उनके अधिकार क्षेत्र में आती है तो उस जमीन को वक्फ किसी भी दशा में अपने कब्जे में नहीं ले सकेगा और न ही कोई आदिवासी समुदाय इसे वक्फ को दान कर सकेगा। इस प्रावधान का सीधा उद्देश्य आदिवासी हितों की रक्षा करना है।

 

5. खत्म होगा वक्फ बाय यूजर (Waqf by user)

वक्फ बाय यूजर के मुताबिक अगर किसी संपत्ति का उपयोग लंबे समय से मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक या सामुदायिक कार्यों के लिए किया जा रहा था तो वक्फ वाय यूजर के तहत वक्फ की संपत्ति मान लिया जाता था। इसके लिए किसी भी तरह के औपचारिक दस्तावेज की जरूरत नहीं होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। सिर्फ उसी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति मानी जाएगी जिसे औपचारिक रूप से यानी लिखित दस्तावेज या वसीयत के जरिए वक्फ को दिया गया हो। 

 

6. कम से कम 5 साल के लिए हो मुस्लिम

वक्फ (संशोधन) विधेयक के तहत किसी संपत्ति को वक्फ को देने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति कम से कम 5 साल से इस्लाम को मान रहा हो यानी कि कम से कम पिछले पांच साल से मुसलमान हो। यह प्रावधान पहले भी था लेकिन 2013 के वक्फ संशोधन में इसे समाप्त कर दिया गया था। 

 

यानी कि अगर कोई व्यक्ति धर्मांतरण के जरिए मुस्लिम बनता है तो कम से कम 5 सालों तक उसे मुस्लिम रहना होगा इसके बाद ही वह अपनी किसी संपत्ति को वक्फ के लिए दान कर पाएगा।

 

7. ASI की संपत्ति को मिलेगी सुरक्षा

पुरातात्विक संपत्तियों को संरक्षण देने के लिए इस विधेयक में प्रावधान किया गया है। इस विधेयक के मुताबिक किसी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करते वक्त अगर वह प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 (Ancient Monuments Preservation Act, 1904 ) या प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958) के तहत संरक्षित है तो इसे अमान्य माना जाएगा। इसका सीधा सा अर्थ है कि एएसआई के संरक्षण वाली इमारतों को वक्फ के दायरे में नहीं लाया जा सकेगा।

 

यानी कि अगर किसी स्ट्रक्चर को एएसआई द्वारा संरक्षित किया गया है और वक्फ इसे अपनी संपत्ति घोषित करती है तो नए बिल के तहत वक्फ बोर्ड को यह सबूत देना होगा वह संपत्ति उनकी है और उससे संबंधित डॉक्युमेंट्स उन्हें दिखाने होंगे।

 

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8. कलेक्टर को बड़े पैमाने पर अधिकार

इस नए संशोधन में जिला कलेक्टर को वक्फ की संपत्तियों के प्रबंधन और विवादों के निपटारे के लिए अहम अधिकार दिए गए हैं। पुराने नियम के तहत जिला कलेक्टर की कोई बड़ी भूमिका नहीं थी। अब तक वक्फ बोर्ड खुद संपत्ति की जांच करता था और वही अपने फैसले को लागू करता था, लेकिन अब सरकारी संपत्ति की पहचान कलेक्टर करेगा। वही इस बात के फैसले देगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं। 

 

गृह मंत्री ने कहा कि किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने का बोर्ड का अधिकार खत्म कर दिया गया है अब इसे कलेक्टर द्वारा ही सत्यापित किया जाएगा।