मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग की शर्तों को मंजूरी दे दी। इससे करीब 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और 69 लाख पेंशनभोगियों के भत्तों में बदलाव होगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद बताया कि आयोग अपनी सिफारिशें 18 महीने में सौंपेगा। नई सैलरी व्यवस्था 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई करेंगी। आयोग के बाकी के सदस्य प्रोफेसर पुलक घोष और दूसरे सदस्य पंकज जैन हैं।

 

जनवरी में मंत्रिमंडल ने आठवां वेतन आयोग बनाने की मंजूरी दी थी। अब शर्तों को अंतिम रूप दे दिया गया है। वैष्णव ने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकारों और कर्मचारी संघों से सलाह लेकर ये शर्तें तय की गईं। आयोग मौजूदा सैलरी, भत्ते, ग्रेड पे, पेंशन फॉर्मूला और अन्य आर्थिक हिस्सों की जांच करेगा। महंगाई, रहन-सहन की लागत और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखा जाएगा। सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (डीए) हर छह महीने में दिया जाता है, जो सैलरी की असली कीमत को बचाता है।

 

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कब से लागू होगा?

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में कहा था कि सिफारिशें आने और सरकार के मंजूर करने के बाद ही नई सैलरी लागू होगी। आमतौर पर हर 10 साल में वेतन आयोग बनता है। सातवां वेतन आयोग फरवरी 2014 में बना था और 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ। वैसे कमीशन अपनी सिफारिश को 18 महीनों के भीतर सबमिट करेगा। तो उसके बाद ही इसे लागू किए जाने की संभावना है।

 

कितनों को फायदा?

इस वेतन आयोग के लागू होने के बाद करीब 48-50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और करीब 67 से 69 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होने वाला है।

 

कर्मचारी संघ की मांग है कि सैलरी में ज्यादा बढ़ोत्तरी की जाए और न्यूनतम सैलरी की सीमा को भी बढ़ाया जाए, लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वेतन में ज्यादा बढ़ोत्तरी करने से सरकारी खजाने पर बोझ भी काफी पड़ेगा।

 

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सरकार विकास, पूंजी खर्च और कल्याण योजनाओं के बीच संतुलन बनाए रखना चाहती है। वेतन की बढ़ोत्तरी अगले दस साल के लिए होगा जो कि घरेलू आय, खर्च और बचत पर असर डालेगा।