मजबूर होकर LIC ने डाले अडानी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर? पूरे बवाल की ABCD समझिए
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि LIC ने अडानी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर का निवेश करने का प्लान तैयार किया था। इस पर अब बवाल मच रहा है। क्या है पूरा मामला? समझते हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
सरकारी कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) पर अडानी ग्रुप में भारी-भरकम निवेश करने का आरोप लगा है। यह आरोप अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लगाया है। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि LIC ने अडानी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर यानी लगभग 33 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। यह योजना इस साल मई में बनाई गई थी। हालांकि, LIC ने इन दावों को खारिज कर दिया है।
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि LIC और वित्त मंत्रालय के ऐसे दस्तावेज हैं, जिनसे साफ होता है कि LIC ने अडानी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर का निवेश करने का पूरा रोडमैप तैयार किया था।
अखबार में अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि कई आरोपों और जांच का सामना करने के कारण गौतम अडानी की कंपनियों पर दबाव बढ़ गया था। अडानी ग्रुप पर कर्ज भी बढ़ता जा रहा था। इसलिए सरकार ने LIC से 3.9 अरब डॉलर का निवेश करने का प्लान बनाया था।
रिपोर्ट सामने आने के बाद इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इस मामले की जांच की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि इसकी जांच की जानी चाहिए कि LIC को ऐसा निवेश करने के लिए कैसे 'मजबूर' किया गया?
यह भी पढ़ें-- रूसी तेल की बड़ी खरीदार है रिलायंस, ट्रंप के प्रतिबंधों का असर क्या होगा?
वॉशिंगटन पोस्ट ने क्या दावे किए?
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने 'India’s $3.9 billion plan to help Modi’s mogul ally after U.S. charges' टाइटल के साथ यह रिपोर्ट छापी है। इसमें दावा किया गया है कि 'इंटरनल डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि कैसे भारतीय अधिकारियों ने LIC से गौतम अडानी के कारोबार में अरबों डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई थी।'
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि '2024 में अमेरिका ने गौतम अडानी पर घूसखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। इसकी जांच की जा रही है। इससे अडानी ग्रुप की दिक्कतें बढ़ गईं। अडानी ग्रुप पर कर्ज भी बढ़ गया लेकिन अमेरिकी जांच के दायरे में होने के कारण बैंकों से मदद नहीं मिली।'
इंटरनल डॉक्यूमेंट्स का हवाला देते हुए वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया है कि 'मई में भारतीय अधिकारियों ने एक प्रस्ताव पास किया था, जिसके तहत अडानी ग्रुप में LIC के 3.9 अरब डॉलर के निवेश का प्लान बनाया गया था।'

दावा किया गया है कि यह प्रस्ताव तब पास किया गया था, जब अडानी ग्रुप की अडानी पोर्ट्स को कर्जा चुकाना था। अडानी ग्रुप ने कर्ज चुकाने के लिए 58.5 करोड़ डॉलर का बॉन्ड जारी किया था। यह एक तरह का नया कर्ज था। मई 2025 में अडानी ग्रुप ने एलान किया था कि पूरा बॉन्ड एक ही निवेशक LIC ने खरीद लिया है।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 'दस्तावेजों से पता चलता है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने LIC को अडानी ग्रुप की ओर से जारी कॉर्पोरेट बॉन्ड में लगभग 3.4 अरब डॉलर का निवेश करने को कहा था। इसके साथ ही साथ 50.7 करोड़ डॉलर से अडानी ग्रुप की कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाने की सलाह भी दी गई थी।' दावा है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने तर्क दिया था कि '10 साल के सरकारी बॉन्ड में उतना फायदा नहीं है, जितना अडानी ग्रुप में निवेश करने में है।'
यह भी पढ़ें-- 117 साल पुराना कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज बंद क्यों हो रहा है? सबकुछ जान लीजिए
LIC ने क्या कहा?
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि LIC पर अडानी ग्रुप में निवेश करने का 'दबाव' बनाया गया था। हालांकि, LIC ने इन सभी दावों और आरोपों को खारिज कर दिया है।
LIC ने एक बयान जारी कर कहा है कि 'निवेश करने का पूरा फैसला LIC का बोर्ड लेता है। पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही स्वतंत्र रूप से फैसला लिया जाता है।' इसका मतलब हुआ कि LIC को कहां और कितना निवेश करना है, इसका फैसला वह खुद लेती है। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती।
बयान में कहा गया है, 'LIC पूरी जांच-पड़ताल करती है, उसके बाद नियम-कानून और गाइडलाइंस के हिसाब से ही निवेश करती है। ऐसा करते समय सभी स्टेकहोल्डर्स के हितों का ध्यान रखा जाता है।'
https://twitter.com/LICIndiaForever/status/1981974092195705030
LIC ने अपने बयान में आगे कहा है, 'LIC कोई छोटा-मोटा फंड नहीं है, बल्कि देशभर में इसके पास 41 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। यह रिपोर्ट LIC के फैसले लेने की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने और भारतीय वित्तीय क्षेत्र की प्रतिष्ठा और छवि को धूमिल करने के इरादे से छापी गई है।' LIC का कहना है कि उसने सिर्फ अडानी ग्रुप ही नहीं, बल्कि 351 कंपनियों में निवेश किया है।
यह भी पढ़ें-- लालच, त्योहार या अमीरी..., आखिर साल दर साल महंगा क्यों होता जाता है सोना?
क्या अडानी की मुश्किलें बढ़ गई हैं?
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को 'दबाव' में बताया है। दावा किया है कि 1991 में यह कंपनी शुरू हुई थी और जल्द ही नरेंद्र मोदी की नजर इस पर पड़ी। दावा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी अडानी ग्रुप के प्राइवेट जेट से ही प्रचार के लिए आना-जाना करते थे।
अखबार लिखता है कि अडानी ग्रुप अब मल्टी-नेशनल कंपनी बन चुकी है। अडानी ग्रुप के बंदरगाह देश का लगभग 27% कार्गो शिपमेंट संभालता है। 2022 में अडानी ग्रुप ने NDTV में भी अपनी हिस्सेदारी खरीद ली। 2022 में यह दुनिया के दूसरे अमीर व्यक्ति थे लेकिन बाद के कथित 'घोटालों' ने कंपनी को हिलाकर रख दिया।
2023 में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई, जिसमें अडानी ग्रुप में हेराफेरी के आरोप लगाए गए थे। पिछले साल अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने भी आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप ने अमेरिकी बैंकरों और निवेशकों से झूठ बोला था। ऐसा करके उन्होंने अरबों डॉलर का फंड जुटाया था। जस्टिस डिपार्टमेंट ने यह भी आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप ने सोलर एनर्जी का कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए भारतीय अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी।
इसके बाद से अडानी की मुश्किलें और बढ़ गईं। कर्ज भी बढ़ता गया। अमेरिकी जांच में फंसे होने के कारण बैंकों ने भरोसा नहीं जताया और लोन देने से इनकार कर दिया।
हालांकि, अमेरिका के सबसे बड़ फंड ब्लैकरॉक और अपोलो, जापान के सबसे बड़े बैंक मिजुहो, MUFG और जर्मनी के दूसरे सबसे बड़े बैंक DZ बैंक ने हालिया महीनों में अडानी ग्रुप में भारी निवेश किया है।
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अडानी ग्रुप पर कुल 2.6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन उसके पास हर साल 90 हजार करोड़ का मुनाफा कमाने की क्षमता भी है। ग्रुप के पास 60 हजार करोड़ रुपये की नकदी है। इसका मतलब हुआ कि अगर अडानी ग्रुप कोई नया प्रोजेक्ट न भी उठाए तो भी वह तीन साल से भी कम समय में अपना पूरा कर्ज चुका सकता है।
यह भी पढ़ें-- 9 साल में ATM और कैश को खत्म नहीं कर पाया UPI, कैसे डिजिटल होगा भारत?

अडानी ग्रुप में LIC की कितनी हिस्सेदारी?
LIC सिर्फ बीमा कंपनी ही नहीं है, बल्कि इंस्टीट्यूशन इन्वेस्टर भी है। LIC ने देश की 350 से ज्यादा कंपनियों में निवेश किया है।
PTI के मुताबिक, LIC के पास अडानी ग्रुप की कंपनियों में 4% की हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत 60 हजार करोड़ रुपये है। इसके अलावा, रिलायंस में LIC के 6.94% के शेयर हैं, जिनकी कीमत 1.33 लाख करोड़ रुपेय है।
इनके अलावा, ITC लिमिटेड में 15.86% (82,800 करोड़ रुपये), HDFC बैंक में 4.89% (64,725 करोड़ रुपये) और SBI में 9.59% (79,361 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी भी LIC के पास है। TCS में भी LIC की 5.02% की हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत 5.7 लाख करोड़ रुपये है।
यह भी पढ़ें-- 'बंदूक की नोक पर समझौता नहीं', पीयूष गोयल का अमेरिका को जवाब
कांग्रेस ने उठाए सवाल, जांच की मांग की
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस मामले की जांच करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए LIC ने 30 करोड़ पॉलिसी होल्डर के पैसों का 'गलत इस्तेमाल' किया।
उन्होंने इस मामले की जांच संसद की पब्लिक अकाउंट कमेटी से करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कमेटी इस बात की जांच करे कि LIC को अडानी ग्रुप में निवेश करने के लिए कैसे 'मजबूर' किया गया?
https://twitter.com/INCIndia/status/1981962222508093635
उन्होंने पूछा, 'सवाल उठता है कि किसके दबाव में वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों ने यह फैसला किया कि उनका काम एक निजी कंपनी को बचाना है जो गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रही है?'
बयान में जयराम रमेश ने आगे कहा, 'जब 21 सितंबर 2024 को गौतम अडामी और उनके 7 सहयोगियों पर अमेरिका में आरोप तय किए गए तो सिर्फ 4 घंटे की ट्रेडिंग में ही LIC को 7,850 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। इससे पता चलता है कि सार्वजनिक धन को चहेते कॉर्पोरेट घरानों पर लुटाने की कीमत कितनी भारी पड़ती है।'
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह 'मेगा घोटाला' है और संसद की संयुक्त समिति को इसकी जांच करनी चाहिए।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap

