लालच, त्योहार या अमीरी..., आखिर साल दर साल महंगा क्यों होता जाता है सोना?
गोल्ड की कीमत इस साल 68% से ज्यादा बढ़ चुकी है। साल शुरू होने से पहले तक 70 हजार थी। अब 10 ग्राम गोल्ड का भाव 1.28 लाख रुपये से ज्यादा है। सोने के दाम में इतनी बड़ी उछाल की वजहें क्या हैं? समझते हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit: PTI
सोना यानी गोल्ड। गोल्ड को लेकर भारतीयों की दीवानगी किसी से छिपी नहीं है। शादी-ब्याह और त्योहारों से लेकर हर छोटी-बड़ी खुशियों में गोल्ड खरीदने को शुभ मानते हैं। बढ़ती कीमत की परवाह किए बगैर लोग कम या ज्यादा सोना खरीद ही लेते हैं। लेकिन कुछ महीनों से गोल्ड की कीमत रिकॉर्ड तोड़ रही हैं। जो गोल्ड आज से 5 साल पहले तक 50 हजार भी नहीं था, वह अब 1.28 लाख रुपये के पार चला गया है।
अब 10 ग्राम गोल्ड 1.28 लाख रुपये से ज्यादा का मिल रहा है। 31 दिसंबर 2024 तक 10 ग्राम गोल्ड की कीमत 75,710 रुपये थी। इस साल 24 जनवरी को 10 ग्राम गोल्ड की कीमत पहली बार 83 हजार रुपये के पार गई थी। इसके बाद 22 अप्रैल को गोल्ड पहली बार 1 लाख रुपये को पार कर गया था। अब तो यह 1,28,395 रुपये तक पहुंच गया है। इस हिसाब से इस साल 15 अक्टूबर तक ही गोल्ड की कीमत 80 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी है।
ऐसे में दो सवाल मन में आते हैं। पहला- सोना इतना महंगा क्यों हो रहा है? और दूसरा- मुझे इस वक्त सोना खरीदना चाहिए या नहीं? ये दोनों ही सवाल एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और यही जवाब भी है। लोग सोना जमकर खरीद रहे हैं, इसलिए डिमांड बढ़ रही है। और बाजार का नियम कहता है कि जब मांग बढ़ेगी तो कीमत बढ़ती ही बढ़ती है।
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महंगे गोल्ड की परवाह नहीं
सोना महंगा क्यों हो रहा है? यह जानने से पहले समझ लेते हैं कि गोल्ड की कीमत तय कैसे होती है? इसकी कीमत लंदन के बुलियन मार्केट से तय होती है। दुनियाभर में सोना और चांदी कितने में बिकेगा? यह लंदन का बुलियन मार्केट ही तय करता है।
भारत में सोना और चांदी की कीमत मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) तय करता है। MCX लंदन के बुलियन मार्केट से कॉर्डिनेट कर सोना और चांद की कीमत तय करता है। अभी MCX पर 10 ग्राम गोल्ड की कीमत 1,28,395 रुपये पहुंच गई है। एक किलो चांदी की कीमत भी 1.63 लाख तक पहुंच गई है।
अब बात आती है कि गोल्ड महंगा क्यों हो रहा है? तो सीधी सा कारण है कि इसकी डिमांड बढ़ रही है। आंकड़ों से पता चलता है कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक गोल्ड रिजर्व बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में लोग खुलकर निवेश कर रहे हैं। गोल्ड ETF असल में 'डिजिटल गोल्ड' होता है। स्टॉक्स की तरह इसे खरीदा-बेचा जा सकता है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई से सितंबर तिमाही में गोल्ड ETF में 26 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश हुआ। यह अब तक का रिकॉर्ड है। इससे पहले अप्रैल से जून तिमाही में गोल्ड ETF में लगभग 17 अरब डॉलर का निवेश हुआ था। सितंबर तिमाही तक दुनियाभर में 472 अरब डॉलर की रकम गोल्ड ETF में लगी है। यह दिखाता है कि महंगा होने के बावजूद गोल्ड ETF में निवेश बढ़ता जा रहा है।
जुलाई-सितंबर तिमाही में अमेरिकियों ने सबसे ज्यादा 16.1 अरब डॉलर गोल्ड ETF में लगाए हैं। यूरोप के लोगों ने भी 8 अरब डॉलर निवेश किया है। भारतीयों ने भी इस तिमाही में गोल्ड ETF में 90 करोड़ डॉलर (लगभग 8 हजार करोड़ रुपये) लगाए हैं। इससे पहले अप्रैल-जून तिमाही में भारतीयों ने 30 करोड़ डॉलर लगाए थे।
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बैंकों के पास कितना सोना?
आम आदमी सोना यह सोचकर खरीदता है कि बुरे वक्त में उसे गिरवी रखकर पैसों का इंतजाम किया जा सकता है। ऐसी सोच सिर्फ आम आदमी की ही नहीं, बल्कि बैंकों की भी होती है। इसलिए बैंक भी अपने पास सोने का भंडार रखते हैं।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक लगातार अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ा रहे हैं। अकेले अगस्त महीने में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने 19 टन गोल्ड खरीदा है। सबसे ज्यादा 8 टन सोना कजाकिस्तान ने खरीदा है। बुल्गारिया, तुर्की, चीन, उज्बेकिस्तान, चेक रिपब्लिक और घाना के केंद्रीय बैंकों ने 2-2 टन सोना खरीदा। सिर्फ रूस था, जिसने 3 टन सोना बेचा।
दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड रिजर्व अमेरिका के पास है। अमेरिका के पास 8,133 टन से भी ज्यादा गोल्ड है। दूसरे नंबर पर जर्मनी है जिसके पास 3,350 टन गोल्ड है। इटली तीसरे नंबर पर है जिसके पास 2,452 टन गोल्ड है। भारत के पास लगभग 880 टन गोल्ड है। सबसे ज्यादा गोल्ड रिजर्व के मामले में भारत छठे नंबर पर है।
आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के RBI ने भी इस साल सोना खरीदा है। दिसंबर 2024 तक RBI के पास 876 टन गोल्ड था। अब लगभग 880 टन है।
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...और भारतीयों के पास कितना गोल्ड?
दुनियाभर में गोल्ड को सिर्फ एक 'सेफ इन्वेस्टमेंट' की नजर से देखा जाता है। मगर भारतीय इसे 'सेफ इन्वेस्टमेंट' के साथ-साथ 'इमोशनल' नजरिए से भी देखते हैं। भारतीयों के लिए गोल्ड एक भावना है। दुनियाभर में जितना सोना भारतीयों के पास है, उतना किसी और देश के लोगों के पास नहीं है।
हाल ही में मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें अनुमान लगाया गया था कि भारतीय घरों में 34,600 टन गोल्ड रखा हुआ है। इसकी कीमत 335.76 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। यह भारत की GDP का लगभग 89 फीसदी है।
मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि भारतीयों ने 1.05 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदकर रखे हैं। इसकी तुलना में उनके पास गोल्ड तीन गुना ज्यादा है। यह दिखाता है कि भारतीय अभी भी स्टॉक मार्केट की बजाय गोल्ड पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
भारत में अब भी सालाना गोल्ड की खपत 750 से 840 टन है। हालांकि, जून 2011 में यह 1,145 टन थी। मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, चीन के बाद गोल्ड की सबसे ज्यादा मांग भारत में ही है। दुनियाभर में गोल्ड की 28% डिमांड चीन में है। इसके बाद 26% डिमांड भारत में है। महंगा होने के बावजूद गोल्ड खूब बिक रहा है। जून 2023 में भारतीयों ने 3.90 लाख करोड़ रुपये का गोल्ड खरीदा था। वहीं, जून 2025 की तिमाही में 6.03 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का गोल्ड खरीद लिया। हालांकि, यह रकम इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि अब गोल्ड की कीमत भी खूब बढ़ गई है।
इतना ही नहीं, भारतीय घरों के अलावा हजारों टन सोना मंदिरों में भी है। अनुमान है भारत में मंदिरों में 2,500 से 4,000 टन गोल्ड होगा। अंदाजा है कि केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर में ही 1,300 टन सोना होगा। इसके अलावा, रिजर्व बैंक के पास भी लगभग 880 टन सोना है। सबको जोड़ दिया जाए तो अकेले भारत में ही लगभग 38-39 हजार टन गोल्ड है।
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मतलब गोल्ड में 'गोल्डन अपॉर्च्युनिटी' है?
गोल्ड की अहमियत का एक बड़ा कारण इसका सुनहरा रंग और कभी न खराब होने वाली खासियत भी है। सोने का सुनहरा रंग इसे खास बनाता है। इसके अलावा सोने से बनी कोई भी मूर्ति हजारों साल तक वैसी ही रहेगी, जैसी आज है। बाकी धातुएं समय के साथ अपना मूल अस्तित्व खो देती हैं लेकिन गोल्ड के साथ ऐसा नहीं है।
गोल्ड को हमेशा 'सेफ इन्वेस्टमेंट' के तौर पर देखा जाता है। गोल्ड को लेकर सबको यही उम्मीद रहती है कि यह महंगा ही होगा। यही कारण है कि भारतीयों को बाकी चीजों से ज्यादा गोल्ड पर सबसे ज्यादा भरोसा रहता है। और ऐसा है भी। 2010 से अब तक गोल्ड की कीमत 7 गुना से ज्यादा बढ़ चुकी है। अगर आपने 2010 में 18 हजार में 10 ग्राम गोल्ड खरीदा होगा तो आज उसकी कीमत 1.28 लाख रुपये से ज्यादा हो गई है।
इतना ही नहीं, इसी साल गोल्ड ने 80% से ज्यादा का रिटर्न दे दिया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के आंकड़े बताते हैं कि 2024 तक 10 ग्राम गोल्ड की कीमत 70,754 रुपये थी। अब यह 1.28 लाख रुपये से ज्यादा है।
देखा जाए तो गोल्ड ने शेयर बाजार से भी ज्यादा बड़ा रिटर्न दिया है। इस साल 1 जनवरी से 15 अक्टूबर तक सेंसेक्स ने 5.21% का रिटर्न दिया है। वहीं, निफ्टी ने 6.65% का रिटर्न दिया है।
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ऐसा भी माना जा रहा है कि 10 ग्राम गोल्ड 1.40 लाख रुपये तक भी पहुंच सकता है। तो क्या गोल्ड खरीद लेना चाहिए? इसका जवाब है कि जहां भी निवेश है, वहां रिस्क है।
दिल्ली की वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी PACE360 के को-फाउंडर अमित गोयल ने हाल ही में CNBC से कहा था कि जल्द ही सोना-चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा था, 'बहुत लंबे समय बाद सोना-चांदी में इतनी बड़ी उछाल देखी गई है। पिछले 40 साल में सिर्फ दो ही बार ऐसा हुआ है, जब सोना-चांदी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया हो। हालांकि, इन दोनों ही मौकों पर बाद में सोना-चांदी में काफी गिरावट आई।'
उन्होंने कहा था कि हो सकता है कि बिकवाली का एक बड़ा दौर आए। उन्होंने कहा था कि '2007-08 और 2011 में भी ऐसा ही हुआ था। तब बड़ी तेजी के बाद गोल्ड की कीमत 45% तक गिर गई थीं।' उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि इसमें अभी एक साल का समय लगेगा। मेरा मानना है कि गोल्ड में लगभग 35% और चांदी में 50% से कम की गिरावट नहीं आएगी।'
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