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एक मीटिंग के बाद टाटा ट्रस्ट में क्यों शुरू हो गया झगड़ा? पढ़िए कहानी

टाटा ट्रस्ट में महीनेभर से विवाद चल रहा है। टाटा सन्स में एक नियुक्ति को लेकर यह विवाद शुरू हो गया था। इसके बाद टाटा ट्रस्ट में दो धड़े बन गए हैं। क्या है पूरा मामला? समझते हैं।

tata trust dispute

टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा। (AI Generated Image)

टाटा ट्रस्ट में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। महीनेभर से टाटा ट्रस्ट में 'पावर टसल' चल रहा है। ट्रस्ट में दो गुट बन गए हैं। दो गुटों का यह विवाद इतना बढ़ गया कि सरकार को भी इसमें दखल देना पड़ा। अब फिर एक महीने बाद टाटा ट्रस्ट की बोर्ड मीटिंग हो रही है लेकिन इसमें यह विवाद सुलझेगा या नहीं? पता नहीं। मगर सरकार ने साफ कर दिया है कि इस विवाद को जल्द से जल्द सुलझाएं। वह इसलिए क्योंकि इस विवाद से देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप की साख पर सवाल खड़े होते हैं।


यह सारा विवाद 11 सितंबर की एक मीटिंग से शुरू हुआ था। यह विवाद टाटा सन्स के बोर्ड में डायरेक्टर में नियुक्ति पर हुआ। इस पर टाटा ट्रस्ट में दो धड़े बंट गए हैं। पहला धड़ा नोएल टाटा का है, जिन्हें रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया था। दूसरा धड़ा मेहिल मिस्त्री का है।


टाटा ट्रस्ट में जब यह विवाद शुरू हुआ तो इस पर केंद्र सरकार की नजर भी पड़ी। ऐसा बताया जा रहा है कि इसे लेकर हाल ही में टाटा ट्रस्ट के बोर्ड के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुलाकात की थी। सरकार ने टाटा ट्रस्ट को जल्द से जल्द इस विवाद को सुलझाने को कहा गया था।

 

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इस पूरे विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

11 सितंबर को टाटा ट्रस्ट की एक बोर्ड मीटिंग हुई। मीटिंग का एजेंडा था कि पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा सन्स के बोर्ड में फिर से नॉमिनी डायरेक्टर के रूप में नियुक्त करना। 


दरअसल, पिछले साल रतन टाटा का निधन हो गया था। इसके बाद तय हुआ कि 75 साल की उम्र के बाद नॉमिनी डायरेक्टर को हर साल नियुक्त किया जाएगा। विजय सिंह 2012 से टाटा सन्स के बोर्ड में शामिल हैं। अब उनकी उम्र 77 साल है। इसलिए उनकी दोबारा नियुक्ति के लिए बोर्ड मीटिंग बुलाई गई थी।


टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा और बोर्ड मेंबर वेणु श्रीनिवासन चाहते थे कि विजय सिंह को दोबारा नॉमिनी डायरेक्टर नियुक्त किया जाए। मगर मेहिल मिस्त्री समेत 4 ट्रस्टी इसका विरोध कर रहे थे। आखिर में कोई नतीजा नहीं निकला और विजय सिंह ने टाटा सन्स के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया।

 

कौन क्या चाह रहा था?

टाटा ट्रस्ट में 7 ट्रस्टी हैं। 11 सितंबर को जब मीटिंग हुई तो उसमें 6 ट्रस्टी मौजूद थे। सातवें ट्रस्टी विजय सिंह ही हैं और उनकी दोबारा नियुक्ति के लिए मीटिंग बुलाई गई थी, इसलिए वह उस मीटिंग में नहीं थे।


नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने प्रस्ताव रखा था कि विजय सिंह को फिर से नॉमिनी डायरेक्टर नियुक्त किया जाए। मगर चार ट्रस्टी- मेहिल मिस्त्री, प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने इसका विरोध किया और प्रस्ताव खारिज कर दिया।


विरोध क्यों किया? क्योंकि 4 ट्रस्टी चाहते थे कि मेहिल मिस्त्री को ही टाटा सन्स का नॉमिनी डायरेक्टर नियुक्त किया जाए। मगर नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन इसके खिलाफ थे।

 

टाटा ट्रस्ट और टाटा सन्स क्या है?

टाटा के कारोबार में टाटा ट्रस्ट ही सबकुछ है। टाटा ट्रस्ट की स्थापना 1868 में जमशेदजी टाटा ने की थी। टाटा ट्रस्ट के पास टाटा सन्स में 66% हिस्सेदारी है। टाटा ट्रस्ट के अलावा टाटा सन्स में 18.37% शेयर शापूरजी पालोंजी मिस्त्री परिवार की है। टाटा सन्स, टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। 


टाटा सन्स के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन हैं। टाटा सन्स के पास टाटा ग्रुप की कंपनियों में 25% से 73% तक की हिस्सेदारी है। 2024-25 में टाटा ग्रुप की कंपनियों का रेवेन्यू 180 अरब डॉलर था। 156 साल पुराने टाटा ग्रुप की लगभग 400 कंपनियां हैं, जिनमें से 30 लिस्टेड हैं। 31 मार्च 2025 तक टाटा ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 328 अरब डॉलर (लगभग 30 लाख करोड़ रुपये) है।


टाटा ट्रस्ट का नियंत्रण टाटा सन्स के पास है। और टाटा सन्स का नियंत्रण टाटा ग्रुप पर है। इस हिसाब से टाटा के कारोबार में टाटा ट्रस्ट ही सबकुछ है।

 

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अब क्या बनेगी बात?

टाटा ट्रस्ट के बोर्ड की एक अहम मीटिंग शुक्रवार को हो रही है। हालांकि, इस मीटिंग का एजेंडा क्या है? अब तक साफ नहीं हो पाया है।


न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों के बीच चल रही अंदरूनी कलह से टाटा सन्स और टाटा ग्रुप के कामकाज पर भी असर पड़ने का खतरा है, इसलिए सरकार के लिए इसमें दखल देना  जरूरी हो गया था।


सूत्रों ने बताया था, 'टाटा ग्रुप की अहमियत को देखते हुए सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह किसी एक व्यक्ति को इसका नियंत्रण सौंप सकती है। टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों के बीच चल रही अंदरूनी कलह का असर टाटा सन्स पर भी पड़ रहा है।'


टाटा ग्रुप के कुछ लोगों का मानना है कि मेहिल मिस्त्री टाटा ट्रस्ट में नोएल टाटा को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

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