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चीन, जापान और US की कंपनी फिर 99% मोबाइल 'मेड इन इंडिया' कैसे?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में कहा था कि अब 99% मोबाइल फोन 'मेड इन इंडिया' है। ऐसे में जानते हैं कि जब मोबाइल ब्रांड विदेशी है तो फोन 'मेड इन इंडिया' कैसे हो गया?

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

  • भारत ने 2025-26 के पहले 5 महीनों में 1 लाख करोड़ के स्मार्टफोन निर्यात किए।
  • 2014 में 26% स्मार्टफोन भारत में बनते थे, अब 99% से ज्यादा फोन यहां बनते हैं।
  • 2014 तक स्मार्टफोन के 2 ही मैनुफैक्चरिंग प्लांट थे, अब इनकी संख्या 300 से ज्यादा है।

ये वे तीन आंकड़े हैं, जिनसे पता चलता है कि स्मार्टफोन मैनुफैक्चरिंग में भारत अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। कुछ दिन पहले आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था- भारत में जो मोबाइल फोन बिक रहे हैं, उनमें से 99.2% भारत में ही बन रहे हैं।


इसका मतलब हुआ कि आपके हाथ में भले ही फोन श्याओमी, वीवो, ओप्पो, वनप्लस या फिर आईफोन ही क्यों न हो, लेकिन वह 'मेड इन इंडिया' है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत अब दुनिया का दूसरा देश है, जहां सबसे ज्यादा मोबाइल फोन बनते हैं। पहले नंबर पर तो चीन ही है। हालांकि, अब भारत में बने ज्यादातर स्मार्टफोन दुनियाभर में जाते हैं।

 

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मगर मार्केट में तो विदेशी कंपनियां हैं

भारत के स्मार्टफोन के बाजार से भारतीय कंपनियां पूरी तरह बाहर हैं। ऐसा नहीं है कि भारतीय कंपनियों ने स्मार्टफोन नहीं बनाए लेकिन चीन और अमेरिकी ब्रांड्स के आगे ये टिक नहीं सकीं।


रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत के स्मार्टफोन बाजार में सबसे ज्यादा कंपनियों का कब्जा है। उनके अलावा अमेरिका की एपल और साउथ कोरिया की सैमसंग भी भारत में मजबूत स्थिति में है।


IDC की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के स्मार्टफोन मार्केट में 62% से ज्यादा शेयर चीनी कंपनियों का है। सबसे ज्यादा 19% मार्केट शेयर वीवो का है। ओप्पो को 13.4%, रियलमी का 9.7%, श्याओमी का 9.4%, आईक्यू का 4.3%, पोको का 3.8% और वनप्लस का 2.5% शेयर है।


इनके अलावा, सैमसंग का मार्केट शेयर 14.5% है। दो अमेरिकी कंपनियों- एपल का 7.5% और मोटोरोला का 8% मार्केट शेयर है। बाकी दूसरी कंपनियों का मार्केट शेयर 7.7% है। यह आंकड़े अप्रैल से जून के बीच के हैं।

 

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फिर 99% फोन 'मेड इन इंडिया' कैसे?

ऐसा इसलिए, क्योंकि अब सभी स्मार्टफोन कंपनियों के मैनुफैक्चरिंग प्लांट भारत में हैं। आईटी मंत्रालय ने सितंबर में बताया था कि 2014 में सिर्फ दो ही मैनुफैक्चरिंग प्लांट थे। अब इनकी संख्या 300 से भी ज्यादा हो गई है। 47 से ज्यादा प्लांट अकेले तमिलनाडु में हैं।


इतना ही नहीं, 2014 से पहले तक 75% मोबाइल फोन इम्पोर्ट किए जाते थे। अब सिर्फ 0.2% फोन ही इम्पोर्ट होते हैं। यही कारण है कि अब 99.2% मोबाइल फोन 'मेड इन इंडिया' हैं।


आईटी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2014-15 में देश में सिर्फ 18 हजार करोड़ रुपये के मोबाइल फोन बने थे। 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। यानी, 10 साल में इसमें 28 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। भारत में अब हर साल 33 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन बन रहे हैं।

 

 

दुनिया के हाथ में 'मेड इन इंडिया' स्मार्टफोन

भारत कभी मोबाइल फोन के सबसे बड़े इम्पोर्टर में से एक था। मगर अब यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्ट बन गया है। पहले नंबर पर चीन और फिर वियतनाम है।


आईटी मंत्रालय के मुताबिक, 2014-15 में भारत ने सिर्फ 1,556 करोड़ रुपये का ही एक्सपोर्ट किया था। 2024-25 में यह बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। यानी, स्मार्टफोन एक्सपोर्ट में 127 गुना की बढ़ोतरी हुई है। 2025-26 के पहले 5 महीने यानी अप्रैल से अगस्त के बीच ही 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का एक्सपोर्ट हो चुका है।

 

'मेड इन इंडिया' स्मार्टफोन में सबसे बड़ा रोल एपल का है। भारत में एपल ने 2017 में आईफोन की मैनुफैक्चरिंग शुरू की थी। एपल के तीन बड़े सप्लाय- फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और विस्ट्रॉन हैं। फॉक्सकॉन के मैनुफैक्चरिंग प्लांट चेन्नई और बेंगलुरु में है। पेगाट्रॉन का प्लांट चेन्नई और विस्ट्रॉन का प्लांट बेंगलुरु में है। हाल ही में एपल ने आईफोन 17 लॉन्च किया है। इसकी मैनुफैक्चरिंग भी भारत में ही हो रही है। पिछले महीने ही फॉक्सकॉन ने बेंगलुरु के देवानहल्ली में एक बड़ा प्लांट शुरू किया है। चीन से बाहर फॉक्सकॉन का यह दूसरा सबसे बड़ा प्लांट है। फॉक्सकॉन ने इसे 25 हजार करोड़ रुपये में तैयार किया है।


एपल पहले चीन में सबसे ज्यादा आईफोन की मैनुफैक्चरिंग करता था लेकिन अब भारत में कर रहा है। पहले एपल के पुराने मॉडल की मैनुफैक्चरिंग ही भारत में होती थी। अब इसके नए मॉडल की मैनुफैक्चरिंग भी भारत में ही बन रहे हैं। भारत में जितने आईफोन बनते हैं, उनमें से 70 फीसदी एक्सपोर्ट किए जाते हैं। अकेले 2024 में एपल ने 1.11 लाख करोड़ रुपये के आईफोन एक्सपोर्ट किए थे। 


एपल के अलावा, सैमसंग का भी बड़ा रोल है। 2018 में सैमसंग ने नोएडा में 35 एकड़ में मैनुफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया था। यह सैमसंग का दुनिया में सबसे बड़ा मैनुफैक्चरिंग प्लांट है। यह 35 एकड़ में फैला है। माना जाता है कि यहां सालाना लगभग 10 करोड़ स्मार्टफोन बनते हैं। 2024 में अकेले इस प्लांट से सैमसंग ने 20.4 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था।


रिपोर्ट बताती है कि भारत के स्मार्टफोन एक्सपोर्ट में 94% से हिस्सेदारी एपल और सैमसंग की है। चूंकि यह दोनों कंपनियां प्रीमियम सेगमेंट के स्मार्टफोन बनाती हैं, इसलिए ज्यादातर एक्सपोर्ट ही होता है।


2023-24 के इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, अभी दुनिया में बिकने वाले 14% आईफोन भारत में बनते हैं। 2025-26 तक इसे बढ़ाकर 26% करने का लक्ष्य रखा गया है। 

इस मामले में भारत अब चीन और वियतनाम को भी पीछे छोड़ रहा है। भारत में बने 44% स्मार्टफोन अमेरिका में एक्सपोर्ट होते हैं। अमेरिकी मार्केट में अब 'मेड इन इंडिया' फोन धीरे-धीरे अपना कब्जा जमा रहे हैं। कैनालिस की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से जून के बीच भारत ने 44% फोन अमेरिका में एक्सपोर्ट किए थे। वहीं, चीन से सिर्फ 25% एक्सपोर्ट हुआ था। इसका मतलब यह हुआ कि अप्रैल से जून तिमाही में अमेरिका ने अगर 100 स्मार्टफोन इम्पोर्ट किए तो उनमें से 44 'मेड इन इंडिया' थे। एक साल पहले तक भारत का शेयर 13% और चीन का 61% था।

 

 

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पर बड़ा सवालः क्या 'मेड इन इंडिया' ही है?

मोदी सरकार में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन में बहुत फोकस किया गया है। 2014-15 में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स का प्रोडक्शन सिर्फ 1.9 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर लगभग 12 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें स्मार्टफोन की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है।


भारत में अब सभी बड़ी कंपनियों की मैनुफैक्चरिंग यूनिट हैं, जिनसे 12 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है और इनमें सालान 33 करोड़ से ज्यादा फोन बन रहे हैं। मगर सवाल उठता है क्या ये वाकई 'मेड इन इंडिया' स्मार्टफोन हैं? वह इसलिए, क्योंकि अभी ऐसा माना जाता है कि भारत में मैनुफैक्चरिंग नहीं, बल्कि 'असेंबलिंग' हो रही है। यानी, स्मार्टफोन भले ही भारत में बन रहे हैं, लेकिन इन्हें बनाने के लिए जिन डिस्प्ले, चिप और कंपोनेंट की जरूरत होती है, वह अभी भी दूसरे देशों से ही आ रहे हैं।


सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडी (CDS) की हाल ही में रिपोर्ट आई थी। इसमें बताया गया था कि भारत में अभी जितने मोबाइल फोन बन रहे हैं, उनमें से सिर्फ 23% ही पूरी तरह से 'मेड इन इंडिया' हैं। क्योंकि इन 23% मोबाइल फोन में लगने वाला हर पार्ट्स भारत में ही बना है। इसे 'डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन' यानी DVA कहा जाता है। 2022-23 में इसकी वैल्यू लगभग 10 अरब डॉलर थी।  


इसका मतलब हुआ कि 77% मोबाइल फोन दूसरे देशों से आने वाले पार्ट्स से बनाए जा रहे हैं। इन्हें दूसरे देशों से इम्पोर्ट किया जा रहा है और भारत में लाकर असेंबल किया जा रहा है।


हालांकि, अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे ही सही स्मार्टफोन मैनुफैक्चरिंग में भारत का DVA लगातार बढ़ रहा है। कुछ सालों पहले तक यह 15% था। अब बढ़कर 23% हो गया है। आईटी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने हाल ही में कहा था कि कुछ सालों में इस DVA को बढ़ाकर 40 से 45 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया था कि 2025-26 में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन को 300 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है।


कुल मिलाकर, भारत में स्मार्टफोन मैनुफैक्चरिंग तेजी से बढ़ रही है। अब भारत में जितने फोन इस्तेमाल हो रहे हैं, उनमें 99% से ज्यादा 'मेड इन इंडिया' हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत की मोबाइल फोन मैनुफैक्चरिंग की इंडस्ट्री भी अब 44 अरब डॉलर से ज्यादा की हो गई है।

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