वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है और उस पर चर्चा जा रही है। कई विपक्षी दलों के साथ-साथ मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने भी इसका विरोध किया है। संसद में चर्चा के दौरान भी माहौल गर्म है और ज्यादातर पार्टियों ने अपने सांसदों को संसद में मौजूद रखने के लिए व्हिप भी जारी किए हैं। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कहा है कि अगर लोकसभा और राज्यसभा में यह बिल पास हो जाता है तो इसके खिलाफ पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने भी संकेत दिए हैं कि वह पूरे देश में 'शाहीन बाग' जैसा आंदोलन कर सकती है। वहीं, लखनऊ ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महल ने भी कहा है कि अगर यह बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो जाता है तो सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे हमेशा खुले हैं।

 

इस मामले को लेकर बुधवार को भी AIMPLB ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में AIMPLB के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, 'जो अधिकार वक्फ संपत्तियों को मिले हुए हैं, वही तो हिंदुओं और सिखों को भी मिले हुए हैं, अगर आप हमारे यहां तब्दीली कर रहे हैं तो क्या आप कहना चाहते हैं कि आप हिंदू और सिख अक्षय निधि के नियमों में भी बदलाव करेंगे? जब आप वहां नहीं कर रहे हैं और यहां कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि यह भेदभावपूर्ण है। दूसरी बात यह है कि जो लिमिटेशन का कानून है कि अगर किसी ने 12 साल तक किसी जमीन पर कब्जा किया है और किसी ने उसको चैलेंज नहीं किया तो वह संपत्ति कब्जा करने वाली की हो जाती है। यह अपवाद सिर्फ वक्फ बोर्ड को हासिल नहीं है, यह हिंदुओं, सिखों और सरकारी संपत्तियों को भी हासिल है लेकिन आप से वक्फ से छीन रहे हैं।'

 

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पूरे देश में आंदोलन की तैयारी

 

उन्होंने आगे कहा, 'आज जो तमाशा बीजेपी संसद में इसे पेश करके कर रही है, यह मुसलमानों के हक के खिलाफ है। यह कम्युनली मोटिवेटेड है। एक समुदाय को हाशिये पर धकेलने की कोशिश है। उससे उसकी इबादतगाहें, मस्जिदें, कब्रिस्तान आदि छीनने की कोशिश है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमें उम्मीद है कि बीजेपी के सहयोगी उसके कम्युनल अजेंडा का समर्थन नहीं करेंगे। इसके बावजूद अगर यह बिल संसद में पास हो जाता है तो हम शांत नहीं बैठेंगे। हम देशव्यापी अभियान छेड़ेंगे। जितने भी संवैधानिक और कानूनी अधिकार हमें हासिल हैं, उसको सामने रखते हुए हम पूरे देश में एक शांतिपूर्ण आंदोलन तब तक चलाएंगे, जब तक इसे वापस नहीं लिया जाता।'

 

 

AIMPLB ने वक्फ संशोधन विधेयक पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के लिए लाभकारी होने के बजाय नुकसानदेह होगा। AIMPLB के वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, 'एआईएमपीएलबी और अन्य मुस्लिम संगठनों ने विधेयक पर अपनी चिंताओं से संयुक्त संसदीय समिति को अवगत कराया था लेकिन इस पर विचार नहीं किया गया। इसके बाद, दिल्ली और पटना समेत कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किए गए जहां प्रदर्शनकारियों ने असहमति दर्ज कराने के लिए सांकेतिक रूप से काली पट्टी बांधी।' उन्होंने कहा, 'हमने सभी सांसदों से मुस्लिम समुदाय की भावनाओं पर विचार करने और प्रस्तावित संशोधनों को खारिज करने का आग्रह किया है।' 

AIMIM की 'शाहीन बाग' वाली तैयारी

 

बता दें कि पिछली बार जब CAA और NRC बिल का संसद में पास किया गया था तब दिल्ली के शाहीन बाग, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और देश के कई अन्य हिस्सों में लंबे आंदोलन हुए थे। हालांकि, कोविड महामारी के चलते ऐसे ज्यादातर मोर्चे हट गए। CAA तो लागू हो गया और उसके तहत नागरिकता भी दी जा रही है लेकिन NRC फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। इस बीच अब वक्फ बिल का मामला सामने आने पर AIMIM के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शोएब जामई ने भी देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है।

 

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डॉ. शोएब जामई ने अपने X हैंडल पर लिखा है, 'अगर वक़्फ़ बिल जबरन मुसलमानों पर थोपने की कोशिश की गई तो देशव्यापी आंदोलन होगा और इसकी शुरुआत दिल्ली से करेंगे। पिछली बार आंदोलन जहां से खत्म हुआ था शुरूआत वहीं से होगी। हम अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करेंगे और संविधान में अल्पसंख्यकों को दिए गए अधिकार पर हमला बर्दाश्त नहीं करेंगे।'

सकारात्मक पहल है लेकिन अभी काम बाकी है- विष्णु शंकर जैन

 

इस बीच, वाराणसी में विभिन्न अदालती मामलों में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि विधेयक ने वक्फ बोर्डों के पहले के कई अधिकारों को कम कर दिया है, जो एक सकारात्मक कदम है। जैन ने कहा, 'यह विधेयक वक्फ की परिभाषा में महत्वपूर्ण बदलाव करता है और इसकी अनियंत्रित शक्तियों को सीमित करता है। यह एक स्वागत योग्य कदम है लेकिन कुछ पहलुओं पर अभी भी ध्यान देने और बहस की आवश्यकता है।'

 

विष्णु शंकर जैन ने आगे कहा, 'वक्फ संशोधन विधेयक के माध्यम से हमें बहुत राहत मिली है लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है। गलत तरीके से जिन संपत्तियों को वक्फ संपत्ति नामित किया गया उन्हें वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है। उदाहरण के लिए, किसी अन्य धर्म या न्यास की संपत्ति जो सरकारी संपत्ति नहीं है और जिसे वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है, उसे वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।' जैन ने कहा कि उन्होंने उपरोक्त मुद्दों पर कोई प्रावधान नहीं किए जाने के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार द्वारा दिन में संसद में वक्फ विधेयक पेश किया जाना है। विपक्षी दल इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं और इसे 'असंवैधानिक' और मुस्लिम समुदाय के हितों के विरुद्ध बता रहे हैं।