मां अगर पढ़ना-लिखना जानती है तो उनके बच्चों में शिक्षा और समझ का स्तर कई गुना तक बढ़ जाता है। अच्छी बात ये है कि अब पढ़ी-लिखी मांओं का आंकड़ा बढ़ रहा है।


पिछले महीने एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER 2024) आई थी। इसके मुताबिक, 8 साल में पढ़ी-लिखी मांओं की संख्या बढ़ी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में कभी स्कूल न जाने वाली मांओं की संख्या 46.6% थी, जो 2024 में घटकर 29.4% हो गई। ये वो महिलाएं हैं, जो 5 से 16 साल के बच्चों की मां हैं।


सिर्फ स्कूल जाने वाली मांओं की संख्या ही नहीं बढ़ी है। बल्कि, रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि अब महिलाएं ज्यादा शिक्षा हासिल कर रही हैं। 2016 में 10वीं कक्षा से आगे की पढ़ाने करने वाली मांओं की संख्या 9.2% थी। 2024 में ये बढ़कर 19.5% हो गई।

सबसे ज्यादा सुधार केरल में

सबसे ज्यादा सुधार केरल में हुआ है। यहां न केवल पढ़ने-लिखने वाली मांओं की संख्या बढ़ी है, बल्कि इनमें शिक्षा का स्तर भी काफी बढ़ा है। 2016 में केरल में 40% मांएं ऐसी थीं जिन्होंने 10वीं से आगे की पढ़ाई की थी। 2024 में ऐसी मांओं का आंकड़ा बढ़कर 69.6% हो गया।


केरल के बाद सबसे ज्यादा सुधार करने वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश है। 2016 में 10वीं से आगे पढ़ाई करने वाली मांओं की संख्या 30.7% थी, जो 2024 में बढ़कर 52.4% हो गई। यानी, 8 साल में हिमाचल में ऐसी मांओं का आंकड़ा 22 फीसदी बढ़ गया।


हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में 10वीं से आगे की पढ़ाई करने वाली मांओं का आंकड़ा 10 साल में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है।

 

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माता-पिता की पढ़ाई में कितना अंतर

10वीं से आगे की पढ़ाई करने वाली पिताओं की संख्या धीमी गति से बढ़ रही है। 2016 में 17.4% पिता ही ऐसे थे जिन्होंने 10वीं के आगे की पढ़ाई की थी। 2024 में ऐसे पिताओं का आंकड़ा 25% ही है।


हालांकि, 10वीं से आगे की पढ़ाई करने वाली माता-पिता के बीच का अंतर 8 साल में थोड़ा कम हुआ है। 2016 में 10वीं से आगे की पढ़ाई करने वाले पिताओं का प्रतिशत मांओं की तुलना में 8% ज्यादा था। 2024 में ये अंतर घटकर लगभग 5% रह गया है।