सुप्रीम कोर्ट ने अपने 11 फरवरी के एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर शेयर मार्केट में पत्नी ने कर्ज लिया है तो उसके चुकाने की जिम्मेदारी पति पर भी आएगी। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर पति-पत्नी के बीच मौखिक समझौता हुआ हो, तो दोनों के बीच पैसे के लेन-देन के आधार पर पति को कर्ज चुकाने के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में ये फैसला जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनाया। दरअसल, पति-पत्नि दोनों का ज्वाइंट अकाउंट था। पति-पत्नि संयुक्त रूप से शेयर मार्केट में निवेश करते थे। इसकी वजह से पति के खाते में काफी नुकसान हुआ और उसका कर्ज बढ़ता चला गया।
ट्रिब्यूनल ने दोनों को कर्जदार ठहराया
जब मामला ऑर्बिटर ट्रिब्यूनल पहुंचा तो उसने दोनों को कर्जदार ठहरा दिया। पति ने ट्रिब्यूनल के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती चुनौती दी, लेकिन उसे राहत नहीं मिली। यहां भी राहत नहीं मिलने पर पति ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
यह भी पढ़ें: 1984 दंगा केस: पूर्व कांग्रेस MP सज्जन कुमार दोषी, 18 को सजा पर सुनवाई
देनदारी दोनों की जिम्मेदारी
इसके बाद मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी दोनों को कर्ज के लिए जिम्मेदार मानते हुए बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 1947 के एक कानून का हवाला देते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल चाहे तो पति पर वित्तीय देनदारी की जिम्मेदारी डाल सकता है।
दोनों के अलग-अलग ट्रेडिंग अकाउंट
बता दे कि पति-पत्नी दोनों के अलग-अलग ट्रेडिंग अकाउंट थे, दोनों मिलकर इसे चलाते थे। पत्नी को शेयर मार्केट में हुए नुकसान को पति का डेबिट बैलेंस बढ़ता चला गया। इससे पति अंत तक नाराज हो गया और ट्रिब्यूनल में जाकर इसकी शिकायत कर दी।
ट्रिब्यूनल ने पति को दो टूक फैसला सुनाते हुए कहा कि यह कर्ज दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी ट्रिब्यूनल के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पति को 9 फीसदी सालाना ब्याज के साथ में 1 करोड़ 18 लाख 58 हजार रुपये चुकाने होंगे।