रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) पहली बार इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जीती और विवादों में फंस गई। 3 जून को फाइनल में पंजाब किंग्स इलेवन (PBKS) को हराने के बाद जब 4 जून को RCB ने जीत का जश्न मनाया तो यहां भगदड़ मच गई। भगदड़ ऐसी मची कि 11 लोगों की मौत हो गई। 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। कर्नाटक हाई कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया और सरकार से 10 जून तक स्टेटस रिपोर्ट जमा करने को कहा है। सिद्धारमैया सरकार ने भी इसकी जांच के लिए CID में SIT बनाई है। 


4 जून की शाम को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ के मामले में FIR दर्ज कर ली गई है। इसमें पुलिस ने तीन आरोपी बनाए हैं। RCB को आरोपी नंबर-1 बनाया गया है। इवेंट मैनेजमेंट कंपनी DNA एंटरटेन्मेंट को आरोपी नंबर-2 बनाया है। जबकि, कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) को आरोपी नंबर-3 बनाया गया है।


इस मामले में पुलिस ने RCB और DNA के 4 अफसरों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार होने वालों में RCB से निखिल सोसले (मार्केटिंग और रेवेन्यू हेड) हैं, जबकि DNA से सुनील मैथ्यू (वाइस प्रेसिडेंट, बिजनेस अफेयर्स), किरण कुमार (सीनियर इवेंट मैनेजर) और सुमंत (टिकटिंग ऑपरेशन लीड) शामिल हैं। कोर्ट ने इन चारों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।


यह गिरफ्तारियां तब हुई हैं, जब एक दिन पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक DGP और IGP को भगदड़ से जुड़े मामले में RCB, DNA और KSCA के प्रतिनिधियों को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। FIR की मानें तो इस पूरे मामले में 'गैरजिम्मेदाराना' और 'लापरवाही' रवैया सामने आया है।

 

 

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RCB, DNA और KSCA को आरोपी क्यों?

वह इसलिए क्योंकि जीत का जश्न था RCB का। पूरा इवेंट करवाया DNA ने। यह सारा प्रोग्राम हुआ चिन्नास्वामी स्टेडियम में, जिसकी जिम्मेदारी KSCA के पास है।


पुलिस ने FIR में बताया है कि 3 जून की शाम को 6 बजे KSCA के CEO शुभेंदु घोष ने फोन कर 4 जून की शाम स्टेडियम में जीत का जश्न मनाने की इजाजत मांगी थी। पुलिस ने तभी KSCA को बता दिया था कि अगर शाम को जश्न मनाया जाता है तो लाखों लोग इकट्ठा होंगे और पुलिस का सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैफिक डायवर्जन के लिए समय चाहिए होगा। इसलिए KSCA को इसकी अनुमति नहीं दी।

 


पुलिस का कहना है कि इजाजत नहीं मिलने के बावजूद RCB ने सोशल मीडिया पर कार्यक्रम की घोषणा कर दी। इस कारण इमरजेंसी बैठक बुलानी पड़ी। RCB की टीम को ताज वेस्ट एंड होटल और बाद में विधान सौध परिसर तक ले जाने के लिए जरूरी व्यवस्था की गई थी। जीत का जश्न शाम 5 बजे से स्टेडियम में शुरू होना था, इसलिए यहां भीड़ जुटने लगी थी। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था की लेकिन स्टेडियम में लगभग 35 हजार लोगों के बैठने की क्षमता थी।


आरोप लगाया है कि KSCA की मैनेजमेंट कमेटी और RCB के अधिकारी यह तय नहीं कर सके कि फैंस को स्टेडियम में एंट्री कैसे दी जाए। लगभग 3.10 बजे जहां सबसे ज्यादा भीड़ थी, वहां से लोगों को अंदर जाने के लिए गेट खोल दिए गए। इससे गेट पर भगदड़ मच गई।


पुलिस ने FIR में KSCA और RCB पर लापरवाही का आरोप लगाया है। साथ ही यह भी आरोप लगाया है कि KSCA और RCB ने पास और फ्री जोन के बारे में सही से जानकारी नहीं दी थी।


इसी मामले में कबन पार्क पुलिस थाने में एक और FIR दर्ज की गई है। यह FIR पीड़ित रोहन गोम्स की शिकायत पर दर्ज हुई है। इस FIR में भी RCB, DNA और KSCA को ही आरोपी बनाया गया है। 

 

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विराट कोहली के खिलाफ भी शिकायत

इस बीच, इंडियन क्रिकेट टीम और RCB के पूर्व कप्तान विराट कोहली के खिलाफ सोशल एक्टिविस्ट एचएम वेंकटेश ने शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत में वेंकटेश ने विराट कोहली को भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, अब तक कोहली के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की गई है।

 

ऐसे मामलों में सजा किसे होगी?

पुलिस ने RCB, DNA और KSCA पर भारतीय न्याय संहित (BNS) के अनुसार मर्जी से चोट पहुंचाना, गैर-इरादतन हत्या, गैर-कानूनी सभा करना और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा पहुंचाने की धाराएं लगाई गईं हैं।


FIR में पुलिस ने अभी तक किसी व्यक्ति को नामजद नहीं किया है। सिर्फ RCB, DNA और KSAC को आरोपी बनाया है। ऐसे मामलों में फिर मुकदमा किसपर चलता है? यही सवाल जब हमने सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान विशेषज्ञ विराग गुप्ता से किया तो उन्होंने विस्तार से बताया। 


उन्होंने बताया, 'इस तरह के हादसों में दो पहलू सामने आते हैं। पहला- प्रशासन और दूसरा- ऑर्गनाइजर। सबसे पहले बात यह आती है कि क्या इस तरह के कार्यक्रम की अनुमति ली गई थी, जो जरूरी होती है। क्योंकि पब्लिक प्लेस में इस तरह का कार्यक्रम हो रहा है तो उसमें कई तरह की बातें आती हैं। मसलन, ऑर्गनाइजर कौन है? कितनी भीड़ आएगी? उस भीड़ को मैनेज करने के लिए ऑर्गनाइजर की तरफ से क्या बंदोबस्त किए गए हैं? फिर इस हिसाब से पुलिस अपनी व्यवस्था करती है। इमरजेंसी के लिए एंबुलेंस और दूसरे बंदोबस्त किए जाते हैं। यहां ऐसा लगता है कि जो सारी कानूनी जरूरतें हैं, उनका पालन नहीं किया गया।'

 

जहां तक गैर इरादतन हत्या की बात आती है तो क्या उन्हें पता था कि इसके परिणाम क्या होंगे? संस्था के खिलाफ तो कोई कार्रवाई नहीं होती है लेकिन उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। - विराग गुप्ता (वकील, सुप्रीम कोर्ट)


विराग गुप्ता बताते हैं, 'कार्यक्रम भी दो तरह के होते हैं। एक कार्यक्रम होता है जहां कोई कथा हो रही है। इसमें पहले से पता है कि एक ऑर्गनाइजर है। दूसरी तरह के कार्यक्रम, जो सार्वजनिक जगहों पर होते हैं, वहां स्टेट यानी सरकार भी एक पार्टी होती है। अब ऐसे में देखना होगा कि कोई संस्था या टीम भले ही लीगल एंटीटी हो लेकिन उनकी जिम्मेदारी बनती है। इसमें देखना पड़ेगा कि किन लोगों ने इस पूरे मामले को बढ़ावा दिया? किन लोगों को मामले की जानकारी थी? और किन लोगों ने भीड़ को प्रोत्साहन दिया?'


उनका कहना है कि इस पूरे मामले में ऑर्गनाइजर कानूनी तौर पर सामने थे, जिन्होंने अनुमति मांगी थी। टीम से जुड़े लोग तो ऑर्गनाइजर नहीं हो सकते।

 

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क्या क्रिकेटर्स पर भी कोई ऐक्शन होगा?

क्या इस पूरे मामले में किसी क्रिकेटर के खिलाफ भी कोई कार्रवाई हो सकती है? इस पर विराग गुप्ता कहते हैं, 'ऐक्शन तो किसी के खिलाफ कभी भी हो सकता है। ऐक्शन होने का मतलब है कि FIR में नाम आना, पूछताछ होना लेकिन ऐक्शन होने का मतलब यह भी है कि जो अपराध बताया जा रहा है, उसे अदालत में साबित किया जा सके।'


वे कहते हैं, 'किसी भी अपराध में तीन बातें जरूरी हैं। पहली- आपराधिक मानसिकता। दूसरी- आरोपी ने यह काम किया है। और तीसरी- इस घटना में उसकी जिम्मेदारी है। उदाहरण के लिए कोई तेज रफ्तार से गाड़ी चलाता है और हादसा होता है तो बताया जाता है कि ड्राइवर की लापरवाही से हादसा हुआ। पर इस मामले में कई सारे स्टेकहोल्डर्स हैं। पुलिस भी है। प्रशासन भी है। खिलाड़ी भी हैं।' 


गुप्ता बताते हैं, 'कोई भी लीगल एंटीटी किसी व्यक्ति के माध्यम से काम करती है। अब देखा जाएगा कि किसने क्या परमिशन मांगी थी? प्रशासन को किसने जानकारी दी थी? जानकारी दी थी तो क्या दी थी? क्या कुछ छिपाया गया था? भीड़ अपने आप आई या फिर लाई गई थी? इन सब बातों से अपराध तय होगा। पुलिस को साबित करना होगा कि इन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी थी। अगर ऐसा है तो लोगों को गुमराह करने और उनकी जान जोखिम में डालने के लिए भी कार्रवाई होगी।'


विराग गुप्ता कहते हैं, 'इस मामले में इवेंट मैनेजमेंट कंपनी पर भी केस हुआ है। अब यह भी देखा जाएगा कि इवेंट कंपनी से तालमेल कौन कर रहा था? क्योंकि कंपनी तो किसी और के लिए इवेंट कर रही है। इवेंट जिसके लिए हो रहा था, जिम्मेदारी भी उसकी होगी।'

 

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कानूनी पचड़े भी कम नहीं हैं?

इस मामले में अभी कई सारे कानूनी पचड़े भी होने वाले हैं। वह इसलिए क्योंकि अब KSCA के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रघु राम भट, सचिव ए. शंकर और कोषाध्यक्ष ईएस जयराम ने FIR रद्द करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर KSCA के पदाधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।


आरोपी पक्ष की याचिका पर हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। लेकिन FIR रद्द होने या फिर ट्रायल जारी रहने के बारे में हाई कोर्ट के फाइनल आदेश से भीड़ में हो रही दुर्घटनाओं के बारे में आपराधिक जवाबदेही से जुड़े मसलों पर कानूनी स्पष्टता आएगी। - विराग गुप्ता (वकील, सुप्रीम कोर्ट)


विराग गुप्ता कहते हैं कि 'जिस हाई कोर्ट ने इस मामले का खुद संज्ञान लिया और सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी। उसी हाई कोर्ट के सामने अब FIR रद्द करने की मांग को लेकर याचिका भी आ गई है। अब हाई कोर्ट के सामने आरोपी भी है और पीड़ित भी।'

 

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अब इस मामले में आगे क्या?

4 जून को मची इस भगदड़ के बाद से अब तक काफी कुछ हो चुका है। दो-दो FIR दर्ज हो चुकी हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट तक मामला पहुंच गया है। जांच के लिए एक आयोग का गठन भी हो गया है, जिसे एक महीने में अपनी रिपोर्ट देनी है। बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद समेत कई पुलिस अफसर सस्पेंड हो चुके हैं। CID में SIT का गठन भी हो गया है।


इन सबके बीच सामने आया है कि KSCA ने कर्नाटक सरकार से विक्ट्री परेड की परमिशन मांगी थी। न्यूज एजेंसी PTI ने दावा किया है कि KSCA ने राज्य सरकार से विधान सौध में RCB की जीत का जश्न मनाने की अनुमति मांगी थी। यह अनुमति DNA एंटरटेन्मेंट की तरफ से मांगी गई थी। 


KSCA ने हाई कोर्ट में बताया है कि उसने सिर्फ परमिशन मांगी थी लेकिन सारे इंतजाम करने की व्यवस्था इवेंट कंपनी की थी। KSCA ने बताया है कि गेट मैनेजमेंट और क्राउड मैनेजमेंट की जिम्मेदारी इवेंट कंपनी की थी।


अब इस पूरे मामले पर 10 जून तक सरकार को हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी है। वहीं, KSCA की याचिका पर हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 16 जून तक होगी। तब तक KSCA के पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। हालांकि, हाई कोर्ट ने KSCA को जांच में सहयोग करने को कहा है।