बीड़ी को लेकर सियासत शुरू हो गई है। केरल कांग्रेस ने X पर एक पोस्ट की थी, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया। इस पोस्ट में कांग्रेस ने बिहार और बीड़ी की तुलना कर दी थी। कांग्रेस ने यह पोस्ट GST में हुए बदलावों पर तंज कसते हुए की थी। हालांकि, उसका यह दांव उल्टा पड़ गया और बीजेपी ने इस बिहार के अपमान से जोड़ दिया। बवाल बढ़ा तो कांग्रेस ने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया।


दरअसल, 3 सितंबर को GST काउंसिल की मीटिंग में GST में बदलाव को मंजूरी दी गई। इसके बाद अब GST में सिर्फ दो ही स्लैब- 5% और 18% बची है। एक 40% की स्लैब भी है, जो लग्जरी आइटम्स और सिगरेट-तंबाकू पर लगेगी।

 

अब हुआ यह कि इस 40% के स्लैब में सिगरेट को तो रखा गया लेकिन बीड़ी को नहीं। बीड़ी तो पहले 28% GST के दायरे में थी लेकिन अब यह 18% में आ गई। इसी तरह बीड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तेंदू पत्ते पर भी GST को 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

 

 

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मगर बीड़ी पर क्यों घटा GST?

बीड़ी पर पहले 28% GST लगता था लेकिन अब 18% लगेगा। तेंदू पत्ता पर भी अब 18% की बजाय 5% GST ही लगेगा। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब सिगरेट और तंबाकू पर 40% GST लग सकता है तो फिर बीड़ी पर GST कम क्यों किया गया?


बताया जा रहा है कि ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में बिड़ी का कारोबार बहुत बड़ा है। लगभग 70 लाख लोग बीड़ी के कारोबार से जुड़े हैं। ऐसे में अगर बीड़ी पर GST बढ़ाया जाता तो इससे जुड़े कारोबार पर असर पड़ सकता है। 


वहीं, NDTV ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि RSS से जुड़ी स्वदेशी जागरण मंच ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखकर कहा था कि 28% GST की वजह से बीड़ी सेक्टर से जुड़े रोजगार पर असर पड़ा है। स्वदेशी जागरण मंच ने यह भी कहा था कि बीड़ी पर पहले बहुत कम टैक्स लगता था, ताकि इसके काम से जुड़े लोगों के रोजगार पर असर न पड़े।

 

 

बीड़ी पीने वाले कौन? हर दिन कितनी खपत?

  • पीने वाले कितने?: ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GTAS) के मुताबिक, भारत में 26.7 करोड़ से ज्यादा लोग हैं जो तंबाकू का सेवन करते हैं। तंबाकू का सबसे ज्यादा सेवन करने के मामले में भारतीय दूसरे नंबर पर हैं। सर्वे के मुताबिक, भारत में 42.4% पुरुष और 14.2% महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं।
  • बीड़ी पीने वाले कौन?: GTAS के मुताबिक, 2016-17 तक 7.7% भारतीय ऐसे थे जो बीड़ी पीते थे। इनमें लगभग 14% पुरुष और 1.2% महिलाएं थीं। वहीं, शहरों में रहने वाले 4.7% और गांवों में रहने वाले 9.3% लोग बीड़ी पीते हैं। बीड़ी पीने वालों में सबसे ज्यादा मजदूर हैं। मजदूरी करने वालों में 14.2% लोग बीड़ी पीते हैं।
  • बीड़ी पीने वाले कितने?: सर्वे बताता है कि करीब 10 करोड़ भारतीय स्मोकिंग करते हैं। इनमें 7.18 करोड़ से ज्यादा बीड़ी पीते हैं। बीड़ी पीने वालों में 6.6 करोड़ पुरुष होते हैं। गांवों में 5.6 करोड़ लोग ऐसे हैं जो बीड़ी पीते हैं। बीड़ी पीने वालों में 52.57 लाख महिलाएं हैं।
  • बीड़ी पीने वाले कहां?: सबसे ज्यादा बीड़ी त्रिपुरा के लोग हैं। त्रिपुरा के 19.3% लोग बीड़ी पीते हैं। इसके बाद मेघालय के 17.2%, उत्तराखंड के 15.7%, हरियाणा के 15.5%, अरुणाचल में 14.8% और पश्चिम बंगाल के 14.4% लोग बीड़ी पीते हैं। बिहार के सिर्फ 4.2% लोग ही बीड़ी पीते हैं।
  • कितनी बीड़ी पी जाते हैं भारतीय?: भारत में सिगरेट की तुलना में बीड़ी ज्यादा पी जाती है। दिसंबर 2020 में टोबैको कंट्रोल की एक स्टडी बताती है कि भारत में हर साल 400 अरब बीड़ी पी जाती है। हालांकि, जुलाई 2024 की एक स्टडी में अनुमान लगाया गया था कि हर साल 1.2 ट्रिलियन बीड़ी की खपत हो जाती है। GTAS के मुताबिक, बीड़ी पीने वाला एक व्यक्ति रोजाना औसतन 15 बीड़ी पी जाता है।

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भारत में बीड़ी की इतनी खपत क्यों?

भारत में सिगरेट से ज्यादा बीड़ी पसंद की जाती है। 7 करोड़ से ज्यादा वयस्क सिर्फ बीड़ी ही पीते हैं। इसकी वजह यह है कि सिगरेट की तुलना में बीड़ी ज्यादा सस्ती होती है।


दरअसल, भारत में 50% से ज्यादा आबादी ऐसी है जो दिन के 200 रुपये भी नहीं कमाती। इसलिए यहां बीड़ी की खपत ज्यादा है। स्मोकिंग करने वाले 10 करोड़ भारतीयों में 3.75 करोड़ सिगरेट पीते हैं। 


सबसे ज्यादा बीड़ी मजदूर पीते हैं। बीड़ी का एक बंडल 5 रुपये में भी मिल जाता है। अगर इसकी जगह सिगरेट ली जाए तो कम से कम 1 सिगरेट ही 10 रुपये की पड़ती है। इसलिए सिगरेट की बजाय बीड़ी की खपत ज्यादा है। GTAS की रिपोर्ट बताती है कि सिगरेट पीने वाले भारतीय हर दिन औसतन 7 सिगरेट पीते हैं। इसकी तुलना में बीड़ी पीने वाले भारतीय रोज औसतन 15 बीड़ी तक पी जाते हैं।


GTAS की रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में सिगरेट पीने वाला हर व्यक्ति महीनेभर में औसतन 1,192 रुपये खर्च करता है। जबकि, बीड़ी पाने वाले का हर महीने का औसत खर्च 284 रुपये है। 

 

 

बीड़ी की इकॉनमी कितनी बड़ी?

भारत में बीड़ी का कारोबार भी बहुत बड़ा है। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। मार्च 2025 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि बीड़ी बनाने के कारोबार से 49.82 लाख लोग जुड़े हैं। यह वे लोग हैं जो रजिस्टर्ड हैं। ऐसा अनुमान है कि बीड़ी बनाने के काम में 60 से 70 लाख लोग जुड़े हैं।


जुलाई 2024 की एक स्टडी बताती है कि बीड़ी बनाने के कारखानों में एक मजदूर साल के 300 दिन काम करता है। एक मजदूर हर दिन औसतन 400 से 700 बीड़ी बनाता है। इस हिसाब से भारत में हर साल 600 अरब से 1.05 ट्रिलियन बीड़ियां बनती हैं। 


बीड़ी पर सरकार ने टैक्स में छूट भी दे रखी है। टोबैको कंट्रोल की एक स्टडी बताती है 2017 में जब GST लागू किया तो बीड़ी-सिगरेट और तंबाकू उत्पादों को 28% के दायरे में रखा गया। हालांकि, सिगरेट और गुटखा जैसे तंबाकू उत्पादों से इतर बीड़ी पर कंपनसेशन सेस नहीं लगाया गया। इसका मतलब हुआ कि बीड़ी पर सिर्फ 28% GST ही लगा। अब यह और कम होकर 18% हो गया है।


इसके अलावा, नियमों के तहत जिन मैनुफैक्चरर्स का सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये से कम है, उन्हें GST रजिस्ट्रेशन में छूट मिलती है। यानी, इन्हें GST देने की जरूरत नहीं। इसका मतलब हुआ कि जो मैनुफैक्चरर्स सालाना 20 लाख बीड़ियां बनाते हैं, सिर्फ वही GST के दायरे में आते हैं। इसके अलावा, 2019 में सरकार ने तंबाकू उत्पादों पर ड्यूटी भी लगाई। इसमें बीड़ी पर सिर्फ 0.05 रूपये प्रति 1000 बीड़ी की दर से ड्यूटी लगाई गई, जो काफी कम थी। यही कारण है कि बीड़ी इतनी सस्ती होती है।


यह स्टडी बताती है कि अगर बीड़ी को टैक्स और ड्यूटी से मिलने वाली छूट को खत्म कर दिया जाए तो इससे बीड़ी महंगी हो जाएगी। इसका नतीजा यह होगा कि 22 लाख लोग बीड़ी पीना छोड़ सकते हैं। इतना ही नहीं, इससे सरकार को सालाना लगभग 15 अरब रुपये का टैक्स भी मिलेगा।