एक्टिंग जगत से राजनीति में आए केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने रविवार को ऐसा बयान दिया जिससे विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रचार को संबोधित करते हुए उन्होंने एक जातिवादी टिप्पणी कर दी जिसके कारण अब वह विवाद में फंस गए हैं। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गोपी ने सुझाव दिया कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी ऊंची जातियों के लोगों को दिया जाना चाहिए। 

 

पर्यटन विभाग का प्रभार संभाल रहे सुरेश गोपी ने कहा, 'यह हमारे देश का अभिशाप है कि आदिवासी समुदाय से ही कोई व्यक्ति आदिवासी मामलों का मंत्री बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह मेरा सपना और उम्मीद है कि आदिवासी समुदाय के बाहर से किसी को उनके कल्याण के लिए नियुक्त किया जाए। किसी ब्राहम्ण या नायडू को इसका कार्यभार संभालने को दिया जाए जिससे महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। इसी तरह आदिवासी नेताओं को अगड़े समुदायों के कल्याण के लिए विभाग दिया जाना चाहिए।'

भाजपा नेता ने दी सफाई

हालांकि, उनके इस बयान के बाद विवाद छिड़ गया और उनकी जमकर आलोचना होने लगी। सोशल मीडिया पर जब मामला तूल पकड़ने लगा तो भाजपा नेता ने सफाई पेश की। उन्होंने कहा, 'मैंने यह भाषण दिल से दिया था। मेरा इरादा केवल विभागों के आवंटन में जातिगत भेदभाव को खत्म करना था। मैं एक ऐसी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा हूं जिसने आदिवासी समुदाय की एक महिला को देश का राष्ट्रपति नियुक्त किया है। मैंने अगड़े समुदायों की तरक्की के लिए निचली जाति से एक मंत्री नियुक्त करने की भी मांग की थी।' 

 

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भाकपा नेता ने की इस्तीफे की मांग

इस विवादस्पद बयान के कारण भाकपा के राज्य सचिव बिनय विक्षम ने गोपी पर हमला बोला और उन्हें मंत्री के पद से इस्तीफा देने की मांग की। उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन से भी इस्तीफा देने की मांग की है और उन पर संघीय सिद्धांतों की अवहेलना करने और केरल का अपमान करने का आरोप लगाया। दरअसल, कुरियन ने शनिवार को कहा कि राज्य को केंद्र से अधिस धन हासिल करने के लिए शिक्षा, बुनियादे ढांचे और सामाजिक कल्याण में खुद को पिछड़ा घोषित करना चाहिए।