दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर में कथित रूप से मिली जली हुई नकदी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक रिपोर्ट सार्वजनिक की है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने दिल्ली हाई कोर्ट से चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय के साथ जली हुई नकदी से जुड़ी तस्वीरें साझा की हैं। शनिवार को जारी यह रिपोर्ट, उसी से संबंधित है। रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब भी शामिल है। उन्होंने आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि न तो वह, न उनका परिवार ने, कभी स्टोर रूम में कैश रखा है। उन्होंने कैश मिलने से इनकार किया है।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को कुछ तस्वीरें और वीडियो रिपोर्ट में सौंपा है, जिसमें कथित रूप से जली हुई नकदी दिखाई गई है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है। उनका कहना है कि उन्होंने या उनके परिवार ने कभी भी उस स्टोररूम में नकदी नहीं रखी।
कैश की बरामदगी पर जस्टिस यशवंत वर्मा ने क्या कहा?
जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा है, 'कैश हमारा नहीं है। न मैंने, न ही मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने उस स्टोर रूम में कैश रखा था। जब-जब हमने पैसे निकाले हैं, उनसे जुड़े हुए कागजात हमारे पास हैं। हमेशा बैंक, UPI ऐप और कार्ड के जरिए हमने पैसों का लेनदेन किया है। जहां तक कैश बरामद होने के आरोप का सवाल है, मैं साफ कर दूं कि मेरे घर से किसी ने भी कमरे में जले हुए कैश मिलने की सूचना नहीं दी है।'
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'मुझे फंसाने और बदनाम करने की हो रही है साजिश'
दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा ने कहा है कि पुलिस कमिश्नर की ओर से शेयर की गई तस्वीरों और वीडियो को देखकर वह हैरान हैं, आग लगने के बाद मौके पर जो था, ये चीजें उससे अलग हैं। उनका दावा है कि उन्हें फंसाने और बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
'जो था ही नहीं, उसे भी पुलिस ने दिखाया'
जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में कहा है, 'हाई कोर्ट गेस्टहाउस में हमारी मुलाकात के दौरान मुझे सबसे पहले वीडियो और अन्य तस्वीरें दिखाई गईं, जिन्हें पुलिस आयुक्त ने चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय के साथ साझा किया था। वीडियो का कंटेंट देखकर मैं पूरी तरह से हैरान रह गया। उसमें वह भी दिखाया गया है, जो वहां से नहीं मिला है। यह मुझे फंसाने और बदनाम करने की साजिश है।'
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस डीके उपाध्याय की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने एक गार्ड के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि 15 मार्च को जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और जली हुई चीजों को हटा दिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जज के आवास पर कर्मचारी, CPWD वर्कर्स के अलावा कोई नहीं घुस सकाता। 21 मार्च को यह रिपोर्ट पेश की गई है, शनिवार देर रात इसे सार्वजनिक किया गया है।
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'आग लगने के बाद मलबे को हटाया गया'
जस्टिस डीके उपाध्याय ने रिपोर्ट में जिक्र किया है, 'घटना की रिपोर्ट, सामने आई चीजों और जस्टिस वर्मा के जवाब की जांच करने पर मुझे यह पता चला है कि पुलिस कमिश्नर ने 16 मार्च 2025 को अपने रिपोर्ट में कहा है कि 15 मार्च 2025 की सुबह जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और आंशिक तौर पर जले हुए सामानों को हटा दिया गया है। ऐसा उन्होंने जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड के हवाले से कहा है।'
'केस की जांच होनी चाहिए'
जस्टिस उपाध्याय ने 21 मार्च को जारी की गई अपनी रिपोर्ट में कहा, 'मेरे जांच में अब तक यह नजर आया है कि बंगले में रहने वाले लोगों, नौकरों, माली और CPWD कर्मियों के अलावा कोई और शख्स कमरे में जाए, ऐसी संभावना नहीं नजर आ रही है। पहली नजर में मेरी राय है कि पूरे केस की जांच होनी चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी 6 महीने की कॉल डिटेल, IDPR
हाई कोर्ट की रिपोर्ट मिलने के बाद भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) संजीव खन्ना ने 21 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को पत्र लिखकर आगे की जांच के लिए जस्टिस यशवंत वर्मा के बीते 6 महीनों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड और इंटनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (IDPR) मांगा है।
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CJI संजीव खन्ना ने क्या कहा?
जस्टिस संजीव खन्ना ने लिखा, 'जस्टिस यशवंत वर्मा से अनुरोध है कि वे अपने मोबाइल फोन को हटाएं न, अपने मोबाइल या फोन से किसी भी बातचीत, मैसेज या डेटा को न मिटाएं। जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से पेश किया गया जवाब आगे की कार्रवाई के लिए उपलब्ध कराई जाए।'
अब आगे क्या होगा?
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रिपोर्ट का हवाला देते हुए CJI संजीव खन्ना से गंभीर जांच करने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।