इलाहबाद हाई कोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा के कैश कांड के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहे जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा के कलकत्ता हाई कोर्ट में ट्रांसफर से विवाद खड़ा हो गया है। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा के खिलाफ वकीलों का विरोध जारी है। कलकत्ता हाई कोर्ट के वकीलों ने जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा के ट्रांसफर के विरोध में किसी भी मामले की सुनवाई से दूरी बना ली है। क्या है पूरा मामला, आइये समझें...
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कोर्ट से दूरी बना रहे वकील
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से कलकत्ता हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी। इसके बाद वकीलों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया लेकिन उसके बावजूद केंद्र ने जस्टिस शर्मा के ट्रांसफर का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसका असर मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में देखने को मिला। वकील सुबह 10 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक कोर्ट से दूर रहे।
क्या हो रही मांग?
कलकत्ता हाई कोर्ट के तीन वकीलों के संगठन- कलकत्ता हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, बार लाइब्रेरी क्लब और इनकॉर्पोरेटेड लॉ सोसाइटी ने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने मांग की है कि उनके सदस्य जस्टिस शर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार करेंगे। वकीलों ने यह भी धमकी दी कि अगर जस्टिस शर्मा को केस दिए गए तो वे उनकी कोर्ट से दूर रहेंगे।
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CJI को लिखे पत्र में क्या की गई मांग?
जस्टिस शर्मा के ट्रांसफर के कदम का विरोध करते हुए, तीन वकील के संगठन ने पिछले शनिवार को भारत के CJI संजीव खन्ना को एक पत्र लिखा था कि कलकत्ता हाई कोर्ट कोई डंपिग ग्राउंड नहीं है जहां संदिग्ध इमेज या कम कार्यकाल वाला न्यायधीश काम करें। इससे कुछ दिन पहले ही इलाहबाद हाई कोर्ट के वकील ने जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले का विरोध करते हुए इसी शब्द का इस्तेमाल किया था। न्यायमूर्ति वर्मा इस समय कैश कांड विवाद में उलझे हुए हैं। इलाहबाद हाई कोर्ट के वकील दिल्ली हाई कोर्ट से उनके ट्रांसफर का विरोध कर रहे हैं।
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जस्टिस शर्मा पर आरोप क्या?
कलकत्ता हाई कोर्ट के वकीलों की गैरमौजदुगी के कारण, दिन के समय बहुत कम मामलों की सुनवाई हुई। तीन वकील के संगठनों ने सीजेआई को पत्र लिखकर 28 अक्टूबर और 4 नवंबर, 2024 के व्हिसलब्लोअर ईमेल भी अटैच किए, जिसमें आरोप लगाया गया कि रोस्टर में बदलाव के बावजूद जस्टिस शर्मा ने कुछ सिविल विवादों को बरकरार रखा। उन्होंने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और एडवोकेट जनरल से उनके शपथ ग्रहण का बहिष्कार करने का आग्रह किया।