गोवा के 'बर्च बाय रोमियो लेन' नाइटक्लब में शनिवार (6 दिसंबर) की रात भीषण आग लग गई थी, जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशासन ने अब तक क्लब के मैनेजर समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है और इन्हें जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा। मंगलवार (9 दिसंबर) को प्रशासन ने नाइटक्लब को बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया, क्योंकि यह अवैध तरीके से बनाया गया था। इन कार्रवाइयों के बीच नाइटक्लब के मालिक लुथरा ब्रदर्स (गौरव और सौरभ) अभी तक फरार हैं। अधिकारियों के अनुसार, दोनों भाई शनिवार रात से ही फरार हैं। खबरों के अनुसार, दोनों भाई थाइलैंड चले गए हैं और सरकार ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। थाइलैंड से उन्हें देश वापस लाने की प्रक्रिया क्या है, आइए इसे समझते हैं।


खबरों के अनुसार, आधी रात को क्लब में लगी आग के कुछ ही घंटों बाद, सोमवार सुबह इंडिगो की फ्लाइट से ये थाईलैंड के फुकेट भाग गए। इससे पहले कि भारत में उन पर लापरवाही और हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा सके, उन्हें देश में वापस लाना जरूरी है।

 

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हादसे के बाद से क्या-क्या हुआ?

अधिकारियों के मुताबिक, पणजी से 25 किलोमीटर दूर अरपोरा गांव में इस क्लब में आग लगने का संभावित कारण पटाखे से आग लगना सामने आया है। इसके पहले फायर अधिकारियों ने था कि अरपोरा नदी के बैकवाटर पर बने इस क्लब में छोटे एग्जिट डोर थे जो सिर्फ एक पतले पुल से जुड़े थे, जिससे आग लगने के दौरान लोगों को भागने में बहुत दिक्कत हुई। मालिकों के भागने का पता तब चला जब FIR दर्ज होने के बाद बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया गया। जांच के दौरान, इमिग्रेशन रिकॉर्ड से पता चला कि दोनों ने रविवार सुबह 5:30 बजे फुकेट के लिए इंडिगो की फ्लाइट 6E 1073 ली थी।

भारत-थाईलैंड प्रत्यर्पण संधि के बिंदु:

  • भारत और थाईलैंड ने यह प्रत्यर्पण संधि 2013 में हस्ताक्षरित की थी, जो 29 जून 2015 से लागू है। इस संधि का उद्देश्य दोनों देशों के बीच आपराधिक मामलों में सहयोग को मजबूत करना और अपराधियों को मुकदमा चलाने या सजा पूरी करने के लिए प्रत्यर्पित करना है।
  • भारत में प्रत्यर्पण का निर्णय विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा लिया जाता है, जबकि थाईलैंड में इसके लिए अटॉर्नी जनरल जिम्मेदार हैं।
  • इंटरपोल ने पहले ही लूथरा बंधुओं के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है। यह नोटिस उनकी पहचान, ठिकाना या आपराधिक गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए होता है लेकिन यह गिरफ्तारी का आदेश नहीं है। 
  • भारत की जांच एजेंसियां और गोवा पुलिस थाईलैंड के अधिकारियों के संपर्क में हैं। जल्द ही, उन्हें गिरफ्तारी वारंट भेज कर MEA के माध्यम से थाईलैंड को प्रत्यर्पण का औपचारिक अनुरोध भेजना होगा।

 

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प्रत्यर्पण संधि के सामान्य नियम:

  • जिस अपराध के लिए प्रत्यर्पण मांगा जा रहा है, वह अपराध मांगे जाने वाले और अनुरोध करने वाले, दोनों देशों के कानूनों के तहत दंडनीय होना चाहिए।
  • अपराध आमतौर पर एक निश्चित न्यूनतम सजा (जैसे कम से कम एक वर्ष की कैद) से दंडनीय होना चाहिए।
  • प्रत्यर्पित किए गए व्यक्ति पर केवल उन्हीं अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है जिनके लिए उसे प्रत्यर्पित किया गया था, जब तक कि प्रत्यर्पण करने वाला देश अतिरिक्त सहमति न दे दे।