चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। भारत में इसे ब्रह्मपुत्र नदी कहा जाता है, लेकिन तिब्बत में इसे यारलुंग सांगपो नदी के नाम से जाना जाता है। चीन ने पिछले हफ्ते इस नदी पर सबसे बड़ा बांध बनाने का ऐलान किया था। इस पर भारत ने गहरी चिंता जताई है। इसके साथ ही चीन को एक रिमांडर भी भेजा है, जिसमें चीन से अपने प्रोजेक्ट को लेकर पारदर्शिता बरतने की मांग की है।

भारत ने क्या कहा?

चीन के इस डैम प्रोजेक्ट पर भारत ने चिंता जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हम अपने हितों की रक्षा की निगरानी करने और जरूरी कदम उठाना जारी रखेंगे।'


उन्होंने बताया कि 'चीन से आग्रह किया गया है कि ऊपरी क्षेत्रों में गतिविधियों से ब्रह्मपुत्र के निचले क्षेत्रों के हितों को नुकसान न पहुंचे।' जायसवाल ने कहा, 'एक निचले तटवर्ती देश के रूप में हमने विशेषज्ञ और कूटनीति स्तर पर चीन को उनके क्षेत्र में नदियों पर मेगा प्रोजेक्ट पर अपने विचार और चिंताएं व्यक्त की हैं।'


उन्होंने कहा, '25 दिसंबर 2024 को शिन्हुआ ने रिपोर्ट दी थी कि तिब्बत में चीन यारलुंग सांगपो नदी पर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए डैम बना रहा है। इसके बाद हमने चीनी पक्ष के सामने निचले तटवर्ती राज्यों के साथ परामर्श और पारदर्शिता की जरूरत को दोहराया है।'

 

क्या है चीन का डैम प्रोजेक्ट?

चीन का दावा है कि वो यारलुंग सांगपो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा डैम बनाने जा रहा है। अभी दुनिया का सबसे बड़ा बांध भी चीन में ही है। चीन ने 2003 में 'थ्री गॉर्जेस डैम' बनाया था। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक, इस डैम की वजह से पृथ्वी के घूमने की रफ्तार 0.06 सेकंड धीमी पड़ गई है।


एक बार पूरा बन जाने के बाद ये दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट होगा। इसे यारलुंग सांगपो नदी पर बनाया जाएगा, जो ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से में होगा। इस डैम के बनने के बाद सालाना 300 अरब किलोवाट की बिजली पैदा होगी। इसकी लागत 137 अरब डॉलर आंकी गई है। 


चीन के थ्री गॉर्जेस बांध से हर साल 88.2 अरब किलोवॉट बिजली पैदा होती है। जब चीन ने इस डैम को बनाया था, तो इससे 14 लाख लोग प्रभावित हुए थे और उन्हें दूसरी जगह बसाया गया था। यारलुंग सांगपो नदी पर बनने से कितने लोग प्रभावित होंगे, इसे लेकर चीन ने अभी तक कोई अनुमान जाहिर नहीं किया है।