उत्तरी दिल्ली में 28 जून की शाम एक दर्दनाक हादसा हो गया। स्कूटर से जा रहे 22 साल के युवक यश गोस्वामी की गला कटने से मौत हो गई। उसका गला चाइनीज मांझे से कट गया था। हादसा बाड़ा हिंदू राव इलाके की रानी झांसी रोड पर हुआ। यश स्पेयर पार्ट्स का कारोबार करता था और अपने परिवार के साथ करावल नगर, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में रहता था। हादसे की जानकारी पुलिस को राहगीरों ने दी, जिन्होंने देखा कि युवक पतंग की डोर से गला कटने के बाद स्कूटर से गिर गया।
लोगों ने तुरंत उसे नजदीकी हिंदू राव अस्पताल पहुंचाया लेकिन तब तक काफी खून बह चुका था और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसके पास मिले दस्तावेजों से पहचान हुई और पुलिस ने परिवार को सूचित किया। इस मामले में एफआईआर तो दर्ज कर ली गई है लेकिन अभी तक यह पता नहीं चला कि पतंग किसने उड़ाई थी। पुलिस अब आरोपी की तलाश कर रही है।
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सैकड़ों लोगों की जान लेता है चाइनीज मांझा
चाइनीज मांझा हर साल सैकड़ों लोगों की जान लेता है। मकर संक्रांति और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर यह मांझा लोगों के लिए डर का कारण बन जाता है। साल 2016 में नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) ने इस खतरनाक मांझे पर बैन लगाया था लेकिन इसके बावजूद यह अब भी धड़ल्ले से बिक रहा है। पहले यह सिर्फ दुकानों में मिलता था लेकिन अब तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, व्हाट्सएप ग्रुप्स और सोशल मीडिया के जरिए भी लोग इसे मंगा रहे हैं।
कांच और नायलॉन का मिश्रण
चाइनीज मांझा दिखने में भले ही आम मांझे जैसा लगे लेकिन इसमें कांच और नायलॉन मिला होता है, जिससे इसकी धार बहुत तेज हो जाती है। यह इतना खतरनाक होता है कि किसी का भी गला तक काट सकता है। पतंगबाज इसे इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि ये मजबूत है और सस्ता भी। एक रील करीब 200 से 700 रुपये में मिल जाती है। इसी वजह से लोग पारंपरिक सूती मांझे की जगह इसे चुनने लगे हैं। हाल ही में यूपी, तेलंगाना, गुजरात और दिल्ली से ऐसी खबरें आई हैं कि यह मांझा खुलेआम बिक रहा है, वह भी बैन के बावजूद। कुशीनगर (यूपी) में तो दुकानों में यह मांझा खुलेआम बेचा जा रहा है और प्रशासन भी कुछ खास कार्रवाई करता नहीं दिख रहा। कुल मिलाकर, जानलेवा होने के बावजूद चाइनीज मांझा बाजार में बिक रहा है और लोगों की जान से खेला जा रहा है।
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चाइनीज मांझा बाजार में कैसे बिक रहा है?
आपने सुना होगा कि चाइनीज मांझा बैन है लेकिन फिर भी यह हर साल पतंगबाजों के हाथ में आसानी से दिखाई देता है। सवाल उठता है कि जब इस पर 2016 में ही बैन लग गया था, तो फिर यह बिक कैसे रहा है? असल में, इसका जवाब एक सरकारी 'तकनीकी चूक' में छिपा है। नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) ने 2016 में चाइनीज मांझे को खतरनाक बताते हुए इस पर सख्त रोक लगा दी थी लेकिन मजे की बात यह है कि सरकारी दस्तावेजों में अभी तक इसे 'मनोरंजन की चीज' यानी 'Entertainment Item' माना जाता है। यह HSN Code 95059090 के तहत आता है, जो खिलौनों और खेल की चीजों के लिए तय किया गया है।
इस कोड की वजह से जब मांझा विदेशों से आयात होता है, तो कस्टम विभाग उसे गैरकानूनी नहीं मानता। नतीजा, कोई इसे पकड़ नहीं पाता और यह आसानी से बाजार तक पहुंच जाता है। दुकानदार भी इसे आसानी से स्टॉक कर लेते हैं, और अब तो ऑनलाइन, सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए भी घर-घर सप्लाई हो रही है। सरकार ने भले ही बैन लगा दिया हो लेकिन जब तक इस HSN कोड को बदला नहीं जाता या इसे 'खतरनाक सामग्री' की श्रेणी में नहीं डाला जाता, तब तक कागजों में बैन और जमीन पर बिक्री दोनों चलती रहेंगी।
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सिर्फ पतंगबाज नहीं, आम लोग और पक्षी भी हैं निशाने पर
चाइनीज मांझा सिर्फ पतंग उड़ाने वालों के लिए ही नहीं, बल्कि आम लोगों और बेजुबान पक्षियों के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है। हर साल इसके कारण कई हादसे होते हैं। सबसे ज्यादा खतरा बाइक और स्कूटी सवारों को होता है। तेज रफ्तार में मांझा अचानक गले पर आ जाए तो जान तक जा सकती है। कई बार बच्चों के हाथ, चेहरा या आंखें भी इससे कट जाती हैं। वहीं, सबसे ज्यादा नुकसान पक्षियों को होता है। हर साल हजारों पक्षी मांझे में उलझकर घायल हो जाते हैं या दम तोड़ देते हैं। यह सिर्फ एक पतंगबाज़ी का सामान नहीं, बल्कि उड़ती जिंदगियों के लिए जानलेवा जाल बन चुका है।
हर साल कितनी होती मौतें
हर साल चाइनीज मांझे की वजह से कई लोगों की जान चली जाती है और दर्जनों घायल हो जाते हैं। दिल्ली में 2022 में इस मांझे के कारण 4 लोगों की मौत और 11 लोग घायल हुए थे, जबकि 2023 की शुरुआत के केवल 20 दिनों में ही 3 मौतें दर्ज हुईं। ओडिशा के कटक शहर में पिछले 10 सालों में 4 लोगों की जान गई और 24 लोग घायल हुए हैं। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हाल ही में एक युवक की मौत हुई और कम से कम 11 लोग घायल हो चुके हैं।
सिर्फ इंसान ही नहीं, चाइनीज मांझा पक्षियों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहा है। हैदराबाद में 2017 से अब तक 429 पक्षी घायल हुए हैं, जिनमें से हर साल करीब 20 से 25 पक्षियों की मौत हो जाती है। वहीं अहमदाबाद जैसे शहरों में एक साल में करीब 4,000 पक्षी इस मांझे की चपेट में आकर घायल हो जाते हैं।
कुल मिलाकर देखें तो हर साल चाइनीज मांझे की वजह से औसतन 3 से 6 लोगों की मौत, 10 से 20 लोग घायल और सैकड़ों से लेकर हजारों पक्षी जख्मी होते हैं। ये आंकड़े इस खतरनाक मांझे के खतरे को साफ तौर पर दिखाते हैं।