दिल्ली हाई कोर्ट ने कैश-फॉर क्वेरी मामले में शुक्रवार को लोकपाल के आदेश के खिलाफ दाखिल तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका को स्वीकार लिया है। कोर्ट ने इस मामले में महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई को चार्टशीट दाखिल करने की मंजूरी देने वाले लोकपाल के आदेश को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि मुझे लगता है कि लोकपाल ने इस मामले में फैसले लेते वक्त गलती की है।
जस्टिस अनिल क्षत्रपाल और हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई की और लोकपाल को एक महीने के अंदर इस मामले में पुनर्विचार करने को कहा है। लोकपाल के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की पीठ ने कहा, 'यह आदेश रद्द किया जाता है। हमने लोकपाल से अनुरोध किया है कि वे एक महीने के अंदर संबंधित प्रावधानों के मुताबिक लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20 के तहत मंजूरी देने पर विचार करें।'
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कैश-फॉर-क्वेरी मामला टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़ा है। उन पर कैश और गिफ्ट के बदले संसद में सवाल पूछने का आरोप है। 12 नवंबर को लोकपाल के आदेश को महुआ मोइत्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी याचिका का सीबीआई ने कोर्ट में विरोध किया। अपने पक्ष में सीबीआई ने कहा कि मोइत्रा को लोकपाल की कार्यवाही में दस्तावेज पेश करने का कोई अधिकार नहीं है। वह केवल टिप्पणी देने की हकदार हैं। महुआ मोइत्रा के वकील ने तर्क दिया कि लोकपाल ने जो प्रक्रिया अपनाई है, उसमें कमी है। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20(7) के तहत जरूरी है कि मंजूरी देने से पहले सरकारी कर्मचारियों की राय भी ली जाए।
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महुआ मोइत्रा पर क्या आरोप?
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से संसद में सवाल पूछने के बदले गिफ्ट और कैश लिया। भ्रष्ट तरीके से अनुचित फायदा हासिल किया, ताकि संसदीय विशेषाधिकारों से समझौता और लोकसभा लॉगिन क्रेडेंशियल शेयर करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाया जा सके। लोकपाल के निर्देश पर 21 मार्च 2024 को सीबीआई ने कैश-फॉर-क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा और बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के खिलाफ मामला दर्ज किया।
