देश की राजधानी दिल्ली में बीते दो साल में एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ जब यहां पर साफ हवा चली हो। नवंबर के महीने में अक्सर हवा धुंध की एक परत में डूबी रहती है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के जारी डेटा से पता चलता है कि दो साल में एक भी दिन साफ हवा रिकॉर्ड नहीं हुई है। जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 50 से कम हो तो हवा सबसे साफ मानी जाती है। पिछली बार राजधानी में जब बारिश और तेज हवाओं के कॉम्बिनेशन ने पोल्यूटेंट्स को साफ कर दिया था तब 'अच्छी' हवा सितंबर 2023 में रिकॉर्ड की गई थी।
सोमवार 3 अक्टूबर को शाम 4 बजे दिल्ली का औसत AQI 309 (बहुत खराब) दर्ज किया गया था। ठीक इससे एक दिन पहले इस सीजन की सबसे खराब हवा सुबह 10 बजे की रीडिंग के हिसाब से 388 रिकॉर्ड की गई थी। CPCB के जारी आकड़ों के अनुसार इस हालत में आने वाले दिन में AQI 'बहुत खराब' से 'गंभीर' हो जाएगा।
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हवा को साफ मापने का पैमाना
CPCB या कोई भी एजेंसी हवा को 'अच्छा' या साफ तब मानता है जब AQI 50 या उससे कम हो। 'संतोषजनक' तब जब यह 51 और 100 के बीच हो। 'मध्यम' तब जब यह 101 और 200 के बीच हो, 'खराब' तब जब यह 201 और 300 के बीच हो, 'बहुत खराब' तब जब यह 301 और 400 के बीच हो, और 'गंभीर' तब जब यह 400 से ज्यादा हो।
AQI 45
दो साल पहले यानि 10 सितंबर 2023 को बारिश और 30 km/h से ज्यादा की हवाओं की मदद से AQI 45 तक पहुंच गया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौसम की स्थिति खराब होने के कारण, मानसून के महीनों में 41% ज्यादा बारिश होने के बावजूद भी दिल्ली में 2025 भी बिना किसी 'अच्छे' हवा वाले दिन के खत्म होने की संभावना है।
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2024 में भी ऐसा ही कुछ हुआ था जब भरपूर बारिश के बावजूद, साल बिना किसी एक भी 'अच्छे' हवा वाले दिन के खत्म हो गया था। बारिश आमतौर पर वॉशआउट इफेक्ट डालती है, जिससे पार्टिकुलेट मैटर (PM) और धूल जम जाती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि 'अच्छे' हवा वाले दिनों की कमी, शायद दिल्ली में हाई बैकग्राउंड एमिशन की ओर इशारा करती है।
