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अनिल अंबानी ने कहां गड़बड़ की जो जब्त हो गई 3000 करोड़ की संपत्ति?

अनिल अंबानी की 3000 करोड़ की 40 संपत्तियों को ईडी ने जब्त कर लिया गया है। उनके घर से लेकर फर्म तक को सीज किया गया है। आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई, विस्तार से समझते हैं।

Anil Ambani

अनिल अंबानी। (Photo Credit: Social Media)

अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 3000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को ईडी ने सीज किया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई है। ED ने ग्रुप से जुड़ी 40 से ज्यादा संपत्तियां फ्रीज कर दी हैं, जिनकी कीमत 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इनमें अनिल अंबानी का पाली हिल वाला घर भी शामिल है। संपत्तियां दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जैसे शहरों में फैली हैं। 

ज्यादातर संपत्तियां ऑफिस, घर और जमीन हैं, जिन्हें अब ईडी ने सीज कर दिया है।ED ने 31 अक्टूबर 2025 को मनी लॉन्डरिंग कानून के तहत ये संपत्तियां अस्थायी रूप से जब्त कीं हैं। इनकी कुल कीमत करीब 3,084 करोड़ रुपये आंकी गई है। ईडी ने संपत्तियों को जब्त करने के संबंध में 4 आदेश जारी किए थे।
 
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किन संपत्तियों की हुई है जब्ती?

PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये संपत्तियां दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और पूर्वी गोदावरी में हैं, जिन्हें ईडी ने अब सीज कर लिया है। 

क्यों जब्ती हुई है?

ईडी की जब्ती का यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड ( RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) से जुड़ा है। यस बैंक ने 2017 से 2019 के दौरान रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड में 2,965 करोड़ रुपये और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया। दिसंबर 2019 तक ये निवेश नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में बदल गया था।

किसी भी कर्ज को NPA तब माना जाता है, जब उसे उधार लेने वाली संस्था, तय समय सीमा के भीतर वापस नहीं कर पाती है। भारतीय बैंकों के संदर्भ में जब 90 दिनों से ज्यादा वक्त तक अगर किसी लोन का ब्याज या मूलधन बकाया रहता है, तो उसे बैंक नॉन परफॉर्मिंग एसेट के तौर पर समझते हैं।  

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कितने करोड़ पर फंसा था मामला?

  • रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड को 1,353.50 करोड़ रुपये बैंक को लौटाने थे
  • रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड को  1,984 करोड़ रुपये लौटाने थे

ED ने कार्रवाई क्यों की?

ईडी का मानना है कि यस बैंक के इस लोन में वित्तीय धांधली बरती गई है। जिस मकसद के लिए बैंक ने कर्ज दिया था, उसे दूसरी जगह निवेश कर दिया गया। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर सहित समूह की कई कंपनियों ने 17,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के पब्लिक लोन को रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड के कार्यक्षेत्र से बाहर खर्च किया गया है।

ईडी ने अब तक क्या किया है?

अगस्त में ईडी ने अनिल अंबानी से पूछताछ की थी। 24 जुलाई को मुंबई में ED ने 50 कंपनियों और उनके मैनेजममेंट से जुड़े धिकारियों समेत 25 लोगों के 35 परिसरों की तलाशी की थी। CBI ने इस केस में एक FIR दर्ज की थी, जिसके बाद ईडी सक्रिय है।  

बातें जो ED को खटक रहीं हैं

2017-2019 के बीच यस बैंक ने RHFL में 2,965 करोड़ और RCFL में 2,045 करोड़ रुपये लगाए थे। दिसंबर 2019 तक ये पैसे NPA में बदल गए। RHFL के 1,353 करोड़ और RCFL के 1,984 करोड़ अभी भी नहीं चुकाए गए हैं। ED का कहना है कि पब्लिक का पैसा पहले म्यूचुअल फंड से इकट्ठा किया गया है, फिर यस बैंक के जरिए रिलायंस ग्रुप की कंपनियों तक पहुंचाया गया। SEBI के नियमों कहते हैं कि म्यूचुअल फंड को ग्रुप कंपनियों में सीधे निवेश नहीं किया जा सकता है। आरोप हैं कि पैसे का निवेश म्युचुअल फंड के जरिए ही हुआ है।

हेराफेरी वाले आरोप क्या हैं?

  • लोन के पैसे ग्रुप की दूसरी कंपनियों में डाल दिए गए और बाहर निकाल लिए गए
  • लोन देने में बड़ी लापरवाही हुई, कई लोन एक ही दिन में अप्लाई, अप्रूव और दिए गए
  • कुछ मामलों में पैसा मंजूर होने से पहले ही ट्रांसफर हो गया
  • कंपनियों की जांच नहीं हुई, डॉक्यूमेंट्स ब्लैंक रहे या बदल दिए गए
  • उधार लेने वाली कंपनियां कमजोर या बंद पड़ी हुई थीं
  • सिक्योरिटी कम थी, कंपनियां रजिस्टर्ड ही नहीं थीं
  • ED का कहना है कि यह धांधली जान-बूझकर हुई है


CBI की चार्जशीट क्या कह रही है?

  • CBI ने भी अनिल अंबानी की कंपनियों और यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर के परिवार पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। CBI के मुताबिक, शेल कंपनियों के जरिए पैसे घुमाए गए। यस बैंक को 2,700 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। 

  • ED इसी मामले में पैसों लेन देन से संबंधित जांच कर रही है। ED अब रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के लोन फ्रॉड की जांच तेज कर रही है। 13,600 करोड़ रुपये के डायवर्ट होने के हर एंगल पर ईडी नजर रख रही है। 

  • 12,600 करोड़ ग्रुप कंपनियों में भेजे गए, जबकि 1,800 करोड़ FD और म्यूचुअल फंड में लगाकर बाद में निकाल लिए गए। बिल डिस्काउंटिंग का भी गलत इस्तेमाल हुआ। 

अब आगे क्या?

ईडी सीजी की कार्रवाई जारी रख सकती है। 

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