पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने का काम समय से पहले पूरा हो गया है। सरकार ने इसका टारगेट 2030 तक रखा था। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने बताया है कि 2025 में ही सरकार ने पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने का टारगेट पूरा कर लिया है। उन्होंने 24 जुलाई को बताया था कि 2014 तक पेट्रोल में सिर्फ 1.5% एथेनॉल होता था, जो 2025 तक बढ़कर 20% हो गया है। यानी, 11 साल में यह 13 गुना बढ़ गया है।
हालांकि, अब इस पर हल्ला भी मच रहा है। कई लोग दावा कर रहे हैं कि 20% एथेनॉल वाला पेट्रोल डलवाने से गाड़ी का इंजन खराब हो सकता है। ऑटो कंपनियों का दावा है कि 2023 से पहले बनी गाड़ियां 20% एथेनॉल वाले पेट्रोल के लिए सही नहीं है। उनका कहना है कि सरकार को 20% एथेनॉल वाले और प्योर पेट्रोल में से किसी एक का विकल्प देना चाहिए।
क्या है यह 20% एथेनॉल वाला पेट्रोल?
एथेनॉल को ईंधन का विकल्प माना जा रहा है। इससे पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी। अमेरिका में 2001 से ही एथेनॉल ईंधन का इस्तेमाल हो रहा है।
भारत ने पहले E10 लागू किया था, जिसका मकसद था कि पेट्रोल में 10% एथेनॉल मिलाना। बाद में सरकार ने E20 शुरू किया, जिसके तहत पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाया जा रहा है।
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तो क्या खराब हो रही हैं गाड़ियां?
दावा किया जा रहा है कि भारत में जो गाड़ियां चल रहीं हैं, वे 10% एथेनॉल वाले पेट्रोल को तो झेल सकती हैं लेकिन 20% एथेनॉल वाला पेट्रोल इनके लिए सही नहीं है।
ऑटो कंपनी हीरो मोटरकॉर्प का कहना है कि पुरानी गाड़ियों में 20% एथेनॉल वाले पेट्रोल का इस्तेमाल करने से कई नुकसान हो सकते हैं। कंपनी ने कहा कि अप्रैल 2023 से पहले बनी गाड़ियों को E20 ईंधन पर चलाने के लिए इंजन में कई सारे बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है। कुछ रबर, इलास्टोम्स और प्लास्टिक कंपोनेंट को बदलना पड़ सकता है। कंपनी ने यह भी कहा कि 20% एथेनॉल वाले पेट्रोल का इस्तेमाल करने से माइलेज पर असर पड़ सकता है।
हीरो मोटरकॉर्प अकेली कंपनी नहीं है, जिसने ऐसी चिंता जताई है। TVS ने भी एथेनॉल वाले पेट्रोल पर चिंता जाहिर की है। TVS ने कहा कि गैसोलीन की तुलना में एथेनॉल की रासायनिक विशेषताएं अलग होती हैं और इससे इंजन को कई तरह से नुकसान पहुंच सकता है। TVS का कहना है कि सरकार के दबाव में ऐसी गाड़ियां बनाना जरूरी हो गईं हैं, जो एथेनॉल वाले पेट्रोल के लिए अनुकूल हो।
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लोगों का क्या है कहना?
सोशल मीडिया पर कई लोग 20% एथेनॉल वाले पेट्रोल पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि उन्हें E20 और प्योर पेट्रोल में से किसी एक को चुनने का विकल्प मिले। एक यूजर ने लिखा, 'एथेनॉल का मामला उल्टा पड़ गया है। आपको जल्द ही पोस्टर गायब मिलेंगे।'
उन्होंने सोशल मीडिया पर कई सवाल करते हुए लिखा, 'गाड़ियों की फ्यूल एफिशिएंसी कम क्यों हो रही है? 20% एथेनॉल वाला ईंधन आम पेट्रोल जितना महंगा क्यों है? ब्राजील और अमेरिका की तरह गाड़ियों के लिए e0, e5 और e10 ईंधन उपलब्ध क्यों नहीं है? 2023 से पहले की लगभग सभी गाड़ियां E20 के अनुरूप नहीं हैं, इसलिए हो सकता है कि उन्हें फ्यूल लाइन, इंजेक्टर और पंप में इंजन की समस्याओं का सामना करना पड़े। अगर हर 1-2 साल में एथेनॉल की मात्रा बढ़ रही है तो पेट्रोल कार खरीदने का मतलब क्या है?'
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सरकार का क्या है कहना?
सरकार ने फिलहाल इस पर कुछ नहीं कहा है। सरकार दावा करती है कि एथेनॉल वाला पेट्रोल बाकी पेट्रोल से थोड़ा सस्ता होता है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि एथेनॉल वाला पेट्रोल न सिर्फ एनर्जी सिक्योरिटी के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसके पर्यावरण और आर्थिक फायदे भी हैं।
उन्होंने कहा था कि 2014 में भारत में 38 करोड़ लीटर एथेनॉल का प्रोडक्शन होता था, जो जून 2025 तक बढ़कर 661.1 लीटर हो गया है। इससे भारत को कच्चा तेल कम आयात करना पड़ा है और 1.36 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।
एथेनॉल को गन्ना और मक्के से बनाया जाता है। इसे किसानों से खरीदा जाता है। हरदीप पुरी ने बताया कि किसानों को 1.18 लाख करोड़ रुपये दए हैं। उन्होंने दावा किया कि एथेनॉल वाले पेट्रोल के कारण 698 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है।